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गाजीपुर: माफिया डॉन सुनील राठी का पूर्वांचल में भी अब चलेगा सिक्का!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के हत्यारे माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की मौत की खबर जैसे ही सोमवार की सुबह गाजीपुर में मिली कि कृष्णानंद के समर्थक खुशी जताने लगे। बल्कि दूसरे शहरों, जिलों में यही स्थिति थी जहां के और नामचीन लोगों की मुन्ना बजरंगी ने हत्या की थी। उनके परिवारीजनों और अति उत्साही समर्थक मुन्ना बजरंगी के कथित हत्यारे सुनील राठी को सोशल मीडिया पर शाबाशी तक देने लगे थे। 

बहरहाल, प्रदेश के पश्चिमांचल और उत्तराखंड तक सीमित रहा सुनील राठी अब गाजीपुर समेत पूरे पूर्वांचल, प्रदेश और देश के अंडरवर्ल्ड में अपनी नई पहचान बना चुका है। मुन्ना बजरंगी की हत्या को लेकर अखबारों और खबरिया चैनलों की हेड लाइन में वह चल रहा है। इसको लेकर पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड पर नजर रखने वालों में बहस शुरू हो गई है कि सुनील राठी का सिक्का अब इस अंचल में भी चलेगा या नहीं। वैसे यह भी कहा जा रहा है कि पूर्वांचल में सुनील राठी को पैर जमाना सहज नहीं होगा। इस अंचल में पहले से ही माफिया डॉन से माननीय बने ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी का दबदबा कायम है। 

मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह अपने पति की हत्या की साजिश में ब्रजेश सिंह का भी नाम बार-बार दोहरा रही है लेकिन देखा जाए तो कुछ मामलों में मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी में कोई अंतर नहीं है। जहां मुन्ना बजरंगी किशोरवय में ही अपराध में उतरा वहीं सुनील राठी भी 21 साल की अवस्था में ही अपराध का खिलाड़ी बन गया। दोनों का अपराध का तरीका भी एक जैसा ही रहा। दोनों पर लूट के भी आरोप लगे। मुन्ना बजरंगी ने मुंबई में एक ही रात में कई पेट्रोल पंपों को लूटा तो सुनील राठी दिल्ली में एक बड़े शो रूम में लूटपाट किया। फिर दोनों का मुख्य पेशा रंगदारी वसूली और भाड़े पर हत्या। रियल एस्टेट, ठेका-पट्टा, खनन में भी दखल। साथ ही जेलों में रह कर अपना नेटवर्क चलाने में दोनों माहिऱ। मुन्ना बजरंगी पर रंगदारी, हत्या के कुल 40 मामले दर्ज थे तो सुनील राठी पर ऐसे करीब 30 मामले चल रहे हैं।

ऐसा नहीं कि मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी में समानता ही रही। अंतर पर भी गौर किया जा सकता है। जहां किसी काम को अपने हाथों अंजाम देने में जौनपुर जिले के थाना सुरेही के कसेरू दायल गांव निवासी मुन्ना बजरंगी को मजा मिलता था वहीं गैंगस्टर सुनील राठी गुर्गों के भरोसे वारदात कराता है। एक फर्क यह भी कि मुन्ना बजरंगी कुछ ज्यादा ही दुस्साहसी था। भाजपा विधायक कृष्णानंद सहित उसके हाथों कई ऐसे हत्याकांड हुए जिसकी गूंज राजनीतिक तथा प्रशासनिक हलके तक में उठी। दिल्ली के पास सन् 1998 में यूपी एसटीएफ से उसकी मुठभेड़ हुई थी। 

पुलिस उसके शरीर में एक-दो नहीं बल्कि सात गोलियां उतार दी थी। बावजूद वह बच गया था। उस घटना के बाद अंडरवर्ल्ड में अपनों और विरोधियों में भी लकी माना जाने लगा था लेकिन पुलिस की मानी जाए तो सुनील राठी कभी क्रोधित नहीं होता। वह हार्ड क्राइम में माहिर नहीं है लेकिन बेहद शातिर है। पूछताछ में घिरने लगता है तो अफसरों के पैर पकड़ने से भी वह नहीं हिचकता है। फिलहाल, बागपत के टिकरी नगर पंचायत का रहने वाला सुनील राठी अपने पिता और टिकरी नगर पंचायत के चेयरमैन नरेश राठी की हत्या में शामिल रहे महक सिंह तथा मोहकम सिंह की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। उसकी मां टिकरी नगर पंचायत की पूर्व चेयरमैन राजाबाला चौधरी भी रुड़की के एक चिकित्सक से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने में सहयोग करने के आरोप में जेल में निरुद्ध है। सुनील राठी का दुश्मन कभी उसका चेला रहा रुड़की का कुख्यात चीनू पंडित है लेकिन अब मुन्ना बजरंगी के गैंग को भी उसने चुनौती दे दी है।

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