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गाजीपुर: पूर्वांचल की राजनीति में सुभासपा की प्रासंगिकता खत्म!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लोकसभा चुनाव का नतीजा भले ही सपा-बसपा गठबंधन की उम्‍मीद के बिल्कुल उलट आया है, लेकिन यह नतीजा पूर्वांचल की राजनीति में अपनी दखल रखने का दावा वाली सुभासपा के लिए इस अंचल में खुद के वजूद पर संकट खड़ा हो गया है। पार्टी भाजपा से अलग होने के बाद पूर्वांचल सहित प्रदेश की 36 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार खड़ा की थी, लेकिन हर जगह पार्टी की जमानत जब्‍त हो गई। यही नहीं पार्टी ने अपने भाजपा हराओ अभियान के तहत तीन संसदीय सीट बांवगांव, महाराजगंज तथा संतकबीरनगर में सपा-बसपा गठबंधन को समर्थन दी थी, जबकि मिर्जापुर संसदीय सीट पर उसका समर्थन कांग्रेस को था। बावजूद इन सभी सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल के उम्‍मीदवार जीते। इस दशा में कहा जा रहा है कि गैर भाजपा दलों के लिए भी सुभासपा का कोई मतलब नहीं रह गया है।

भाजपा के वरिष्‍ठ नेता जितेंद्रनाथ पांडेय कहते हैं- संसदीय चुनाव में सुभासपा की जो दुर्गति हुई है, उससे उसके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ओमप्रकाश राजभर का यह भ्रम टूट गया कि बीते विधानसभा चुनाव में उनके बूते ही भाजपा बहुमत हासिल की थी, बल्कि यह साफ हो गया कि सुभासपा के नेताओं को पहली बार विधानसभा में जाने और उसके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष को मंत्री बनने का पहला मौका भाजपा के ही सहयोग से नसीब हुआ। श्री पांडेय ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर के हटने से जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा के लोग सुकून महसूस कर रहे हैं। भाजपा जहूराबाद क्षेत्र में अपने संगठन के ढीले पड़े कल-पुर्जों को भी कसने की तैयारी में जुट गई है। भाजपा के सहयोग से जहूराबाद से विधायक बनने के बाद ओमप्रकाश राजभर इस क्षेत्र में पूरी तरह निरंकुश होकर काम करने लगे थे। कई ऐसे मौके आए जब उन्‍होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के ही खिलाफ उल्‍टी पैरवी की।

उधर पूर्वांचल की राजनीति में अपनी पार्टी की प्रासंगिकता खत्‍म होने के सवाल पर सुभासपा जिलाध्‍यक्ष रामजी राजभर कहते हैं- यह बात फिजूल की है। हकीकत यह है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी 11 संसदीय क्षेत्रों में तीसरे स्‍थान पर रही। लगभग हर जगह कांग्रेस और भाकपा जैसी राष्‍ट्रीय पार्टी के उम्‍मीदवारों से सुभासपा उम्‍मीदवारों को ज्‍यादा वोट मिले। फिर इस चुनाव में जो बयार बही, उसमें सपा-बसपा गठबंधन के समीकरण उखड़ गए। उन्‍होंने कहा कि गाजीपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्‍हा को हराने का उनकी पार्टी का मकसद भी पूरा हुआ।
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