गाजीपुर: दुष्कर्म के मामले में फरार चल रहे बसपा सांसद अतुल राय का वाराणसी कोर्ट में सरेंडर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर करीब डेढ़ माह से दुष्कर्म के कथित मामले में फरार चल रहे घोसी(मऊ) के नवनिर्वाचित सांसद अतुल राय ने शनिवार की सुबह करीब साढ़े 11 बजे वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) आशुतोष तिवारी ने उन्हों 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। उनकी अगली पेशी के लिए पांच जुलाई की तारीख भी मुकर्रर कर दी। नवनिर्वाचित सांसद के वकील अनुज यादव ने समर्पण के लिए कोर्ट में पहले ही अर्जी दी थी। उसकी सुनवाई के लिए 22 जून की तिथि मुकर्रर की गई थी। हांलाकि कोर्ट कैंपस में अतुल राय के मौजूद होने की भनक लगने के बाद पुलिस महकमा हरकत में आया, लेकिन उसे कैंपस में श्री राय की झलक तक नहीं मिली। अलबत्ता, कोर्ट में उनके सरेंडर की जानकारी के बाद पुलिस एहतियातन कोर्ट कैंपस की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। कैंपस में आने वालों की सघन तलाशी लेने का काम शुरू हो गया। घोसी के नवनिर्वाचित सांसद के साथ के कोर्ट में सरेंडर के साथ ही उनकी लंबी फरारी और पुलिस की उनकी तलाश के काम का पटाक्षेप भी हो गया। कोर्ट में सरेंडर की खबर मिलते ही अतुल राय के समर्थकों का कोर्ट कैंपस में जमावड़ा लग गया था।
मालूम हो कि अतुल राय पर दुष्कर्म का कथित मामला वाराणसी के यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने वाराणसी के ही लंका थाने में पिछले माह दर्ज कराई थी। वह छात्रा बलिया जिले के नरही थाने के कोटवा-नारायनपुर की रहने वाली है। यह मामला वह तब दर्ज कराई थी जब घोसी संसदीय सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अतुल राय का चुनाव अभियान जोर पकड़ चुका था। उसके बाद अतुल राय मीडिया से मुखातिब होकर अपना पक्ष रखे थे। कहे थे कि उन्हें भाजपा गहरी साजिश रच कर इस झूठे मामलें में फंसाई है। उनके पक्ष में बसपा मुखिया मायावती भी खड़ी हो गईं थीं। वह अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट कर अतुल के पक्ष की बात दोहराईं थीं। इतना ही नहीं वाराणसी पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण भूमिगत हुए अतुल के लिए तब गठबंधन के साथी रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव को लेकर मायावती मऊ में चुनावी रैली भी की थीं।
नतीजा सामने आया। अतुल राय भाजपा उम्मीदवार और तत्कालीन सांसद हरिनारायण राजभर को करीब सवा लाख के वोट के अंतर से हराए। वह दुष्कर्म के कथित मामले में बचने के लिए हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाए, लेकिन वहां राहत नहीं मिली। अतुल राय ने पहली बार वाराणसी की कोर्ट में 17 मई को अर्जी दी थी। उस अर्जी पर वाराणसी के लंका थाना से 28 मई को आख्या (रिपोर्ट) आने के बाद अग्रिम सुनवाई के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) आशुतोष तिवारी ने समर्पण के लिए उन्हें दो मौका दिया। बावजूद कोर्ट में आत्मसमर्पण नहीं होने पर उनके खिलाफ कुर्की की नोटीस तक जारी हो गई थी। अतुल राय मूलतः गाजीपुर के भांवरकोल ब्लाक के वीरपुर गांव के रहने वाले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की जमानियां सीट से बसपा के उम्मीदवार थे। अभी तक वह लोकसभा में सदस्य पद की शपथ नहीं लिए हैं।
बराबर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले अतुल राय कोर्ट में सरेंडर करने से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर शेयर कर बताया कि वह वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर करने जा रहे हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र घोसी के वोटरों को संबोधित करते हुए उन्होंने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि जनता की अदालत ने उन्हें सांसद चुन कर बेकसूर साबित कर दिया है। शासन-प्रशासन को चुनौती दिए कि सीबीआई तक की वह जांच को तैयार हैं। जरूरत समझी जाए तो नार्केटिक्स जांच अथवा अपने ब्रेन मैपिंग के लिए भी वह तैयार हैं। निश्चित रूप से वह हर जांच में भी बेकसूर साबित होंगे। कहे कि इस मामले में उनके साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, यूपी के मुख्यमंत्री औार कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना पर भी आरोप लगे लेकिन कोई कार्रवाई से पहले उनकी जांच कराई गई लेकिन उनके मामले में ऐसा करने की जरूरत नहीं समझी गई।
मालूम हो कि अतुल राय पर दुष्कर्म का कथित मामला वाराणसी के यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने वाराणसी के ही लंका थाने में पिछले माह दर्ज कराई थी। वह छात्रा बलिया जिले के नरही थाने के कोटवा-नारायनपुर की रहने वाली है। यह मामला वह तब दर्ज कराई थी जब घोसी संसदीय सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अतुल राय का चुनाव अभियान जोर पकड़ चुका था। उसके बाद अतुल राय मीडिया से मुखातिब होकर अपना पक्ष रखे थे। कहे थे कि उन्हें भाजपा गहरी साजिश रच कर इस झूठे मामलें में फंसाई है। उनके पक्ष में बसपा मुखिया मायावती भी खड़ी हो गईं थीं। वह अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट कर अतुल के पक्ष की बात दोहराईं थीं। इतना ही नहीं वाराणसी पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण भूमिगत हुए अतुल के लिए तब गठबंधन के साथी रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव को लेकर मायावती मऊ में चुनावी रैली भी की थीं।
नतीजा सामने आया। अतुल राय भाजपा उम्मीदवार और तत्कालीन सांसद हरिनारायण राजभर को करीब सवा लाख के वोट के अंतर से हराए। वह दुष्कर्म के कथित मामले में बचने के लिए हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाए, लेकिन वहां राहत नहीं मिली। अतुल राय ने पहली बार वाराणसी की कोर्ट में 17 मई को अर्जी दी थी। उस अर्जी पर वाराणसी के लंका थाना से 28 मई को आख्या (रिपोर्ट) आने के बाद अग्रिम सुनवाई के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) आशुतोष तिवारी ने समर्पण के लिए उन्हें दो मौका दिया। बावजूद कोर्ट में आत्मसमर्पण नहीं होने पर उनके खिलाफ कुर्की की नोटीस तक जारी हो गई थी। अतुल राय मूलतः गाजीपुर के भांवरकोल ब्लाक के वीरपुर गांव के रहने वाले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की जमानियां सीट से बसपा के उम्मीदवार थे। अभी तक वह लोकसभा में सदस्य पद की शपथ नहीं लिए हैं।
बराबर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले अतुल राय कोर्ट में सरेंडर करने से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर शेयर कर बताया कि वह वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर करने जा रहे हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र घोसी के वोटरों को संबोधित करते हुए उन्होंने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि जनता की अदालत ने उन्हें सांसद चुन कर बेकसूर साबित कर दिया है। शासन-प्रशासन को चुनौती दिए कि सीबीआई तक की वह जांच को तैयार हैं। जरूरत समझी जाए तो नार्केटिक्स जांच अथवा अपने ब्रेन मैपिंग के लिए भी वह तैयार हैं। निश्चित रूप से वह हर जांच में भी बेकसूर साबित होंगे। कहे कि इस मामले में उनके साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, यूपी के मुख्यमंत्री औार कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना पर भी आरोप लगे लेकिन कोई कार्रवाई से पहले उनकी जांच कराई गई लेकिन उनके मामले में ऐसा करने की जरूरत नहीं समझी गई।