गाजीपुर: प्री मानसून की रिकार्ड बारिश से गाजीपुर तरबतर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर वैसे तो सबको मानसून का इंतजार है, लेकिन गाजीपुर में प्री-मानसून की बारिश ने ही तरबतर कर दिया। शुक्रवार रात करीब दो बजे शुरू हुआ झमाझम लगभग शनिवार दोपहर 12 बजे तक जारी रहा। उसके बाद भी रुक-रुक कर बूंदा-बादी चल रही है। आसमान में काली घटाएं छाई हैं। बादल भी रह-रह कर गरज रहे हैं। हवा भी खुशगवार बह रही है। जिला मुख्यालय पर ही दस घंटे में 70 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है। पीजी कॉलेज की वेधशाला के प्रेक्षक मदन गोपाल दत्त कहते हैं-यह प्री मानसून की बारिश है। बीते गुरुवार को भी 13 मिलीमीटर बारिश हुई थी।
करीब दो माह से भीषण तपिश झेल रहे लोग इस बारिश से सुकून महसूस कर रहे हैं। कई जगह लोग बारिश में भिगने का आनंद लेते भी दिखे। खासकर बच्चे जगह-जगह जमा पानी में छपा-छप खेलते नजर आए। शहरी सहित ग्रामीण इलाकों के नीचले हिस्सों की गलियों, गड्ढों में पानी जमा हो गया है। सबसे बुरी स्थिति मलिन बस्तियों की है। ऐसी कई बस्तियों की मुख्य गलियों में पानी भर गया है।
प्री मानसून ही सही इस बारिश से सबसे ज्यादा किसान खुश हैं। वह खरीफ सत्र की खेती की तैयारी शुरू कर दिए हैं। जिला कृषि अधिकारी अभिमन्यु सिंह कहते हैं-यह बारिश से अरहर की बोवाई का बेहतर मौका बना दी है। अन्य फसलों के लिए नम हुए खेत की जोताई भी संभव हो गई है। साथ ही अन्य संसाधनों से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर रोपे गए धान के लिए पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब तक धान की नर्सरी डालने से वंचित किसानों को भी मौका मिल गया है।
करीब दो माह से भीषण तपिश झेल रहे लोग इस बारिश से सुकून महसूस कर रहे हैं। कई जगह लोग बारिश में भिगने का आनंद लेते भी दिखे। खासकर बच्चे जगह-जगह जमा पानी में छपा-छप खेलते नजर आए। शहरी सहित ग्रामीण इलाकों के नीचले हिस्सों की गलियों, गड्ढों में पानी जमा हो गया है। सबसे बुरी स्थिति मलिन बस्तियों की है। ऐसी कई बस्तियों की मुख्य गलियों में पानी भर गया है।
प्री मानसून ही सही इस बारिश से सबसे ज्यादा किसान खुश हैं। वह खरीफ सत्र की खेती की तैयारी शुरू कर दिए हैं। जिला कृषि अधिकारी अभिमन्यु सिंह कहते हैं-यह बारिश से अरहर की बोवाई का बेहतर मौका बना दी है। अन्य फसलों के लिए नम हुए खेत की जोताई भी संभव हो गई है। साथ ही अन्य संसाधनों से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर रोपे गए धान के लिए पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब तक धान की नर्सरी डालने से वंचित किसानों को भी मौका मिल गया है।