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गाजीपुर: हकीकत जाने बगैर आजम खान पर हमला गलत- राधेमोहन सिंह

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लोकसभा में अपनी बदजुबानी को लेकर चौतरफा हमले झेल रहे सपा सांसद आजम खान के बचाव में पार्टी के पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह भी आगे आए हैं। उनका कहना है कि निःसंदेह महिलाओं का सम्मान होना चाहिए। यह सभ्य समाज का शिष्टाचार है। सिद्धांत भी है, लेकिन संसदीय राजनीति में यह बिल्कुल गलत है कि किसी को घेरने के लिए उसके कथन का अपने मनमाफिक मतलब निकाला जाए।

श्री सिंह ने कहा कि लोकसभा में बीते गुरुवार को प्रोटेम स्पीकर रमा देवी पर कथित बदजुबानी को लेकर सपा सांसद आजम खान का मुखालफत सरासर गलत है। आजम खान के कथन का क्या अर्थ था और क्या प्रतिध्वनि थी। यह लोकसभा टीवी के फुटेज से देखा जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी। उस वीडियो फुटेज से यह भी पता चल जाता है कि एक दल विशेष के लोगों ने किस तरह आजम खान के कथन को ट्वीस्ट कर उस बात को बतंगड़ बना दिया। वह यह भी भूल गए कि खुद आजम खान संसदीय राजनीति के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। उनको पता है कि सदन की क्या मर्यादा होती है और क्या कायदा होता है। 

वीडियो फुटेज पर गौर किया जाए तो यह भी साफ है कि आजम खान के कथन से खुद प्रोटेम स्पीकर को भी तत्तक्षण ऐसा बुरा नहीं लगा था, जैसा कि दल विशेष के लोगों ने कहना शुरू कर दिया था। जाहिर है कि एक रणनीति के तहत उस दल के लोगों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया था। उसमें आजम खान की वह बात भी दब गई थी, जिसमें उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को बहन की तरह सम्मान भरे स्वर में कहा कि अगर उनकी बात अमर्यादित और असंसदीय साबित हो जाए तो लोकसभा की सदस्यता तक छोड़ देने की बात कही।

पूर्व सांसद ने कहा कि इतिहास गवाह है कि सदन में कई बार हास-परिहास, व्यंग्य, विनोद, हंसी-ठहाके के भी मौके आए हैं, लेकिन अब लोकसभा के इस वाकये ने यह साबित कर दिया है कि सड़क-चौराहे की तरह सदन भी ओछे तरीके से राजनीतिक दुश्मनी साधने का मंच बन चुका है। एक सवाल पर राधेमोहन सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सपा मुखिया अखिलेश यादव को लपेटना भी सरासर बेमानी है। वह चश्मदीद थे। 

वह देख रहे थे कि किस तरीके से इनकी पार्टी के एक सम्मानित सांसद को जलील किया जा रहा है। लिहाजा वह उनके पक्ष में बगैर हकीकत बोले कैसे रह सकते थे। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि बसपा मुखिया मायावती का इस संबंध में आजम खान के खिलाफ आया बयान भी एकदम गलत है। बेशक वह यह भूल रहीं हैं कि सड़क पर या फिर सदन में संख्या बल के बूते सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को किस असंसदीय तरीके से दबाया जा रहा है। इसके लिए कैसे-कैसे हथकंडे आजमाए जा रहे हैं।
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