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परिवार ने खाई जहरीली खिचड़ी, पिता-पुत्र की मौत, तीन बहनों की हालत गंभीर

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में मकर संक्रांति की देर रात जहरीली खिचड़ी खाने से पिता-पुत्र की मौत हो गई। तो वहीं तीन बहनों की हालत खराब है। घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। गुरुवार दोपहर 12 बजे तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मृतकों के परिजनों का हालचाल लेने नहीं पहुंचा था, जबकि पूरा गांव उनके दरवाजे पर पहुंचा था। जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के भोजापुर गांव में बुधवार को मकर संक्रांति की देर रात आरपीएफ के रिटायर्ड जवान केदार पांडेय(70) के घर परंपरा के अनुसार खाने के लिए खिचड़ी बनी थी। रात लगभग आठ बजे खिचड़ी खाने के बाद केदार पांडेय निकट के अपने डेरा पर सोने के लिए चले गए। जहां जाकर उनकी तबीय बिगड़ने लगी, उल्टी, दस्त और पेट दर्द से परेशान होकर चिल्लाने लगे तो पड़ोसियों ने उनके पुत्र सुनील पांडेय को सूचना दी।


सुनील पांडेय उस समय खिचड़ी खा रहे थे, खिचड़ी खाकर अपने पिता को लेकर सोनबरसा पहुंचे, जहां के चिकित्सकों ने उन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया। गांव के कुछ लोगों के साथ अपने पिता को लेकर बलिया के लिए चले कि हल्दी जाते-जाते सुनील पांडेय(45) की तबीयत बिगड़ने लगी। ग्रामीणों ने दोनों लोगों को इलाज के लिए बलिया के नर्सिंग होम में भर्ती कराया।

तब तक घर में सुनील पांडेय की तीन बेटियां निक्की(20), निधि(16) और नीति(13) ने वही खिचड़ी खाई और उन तीनों की भी तबीयत बिगड गई, जिन्हें ग्रामीणों ने सोनबरसा इस्पताल पहुंचया। चिकित्सकों ने उनकी स्थिति को भी गंभीर देखते हुए सदर अस्ताल रेफर किया। तीनों को उसी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां केदार पांडेय व सुनील पांण्डेय को भी इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।


रात लगभग 12 बजे केदार पांडेय की मौत हो गई, गुरुवार की सुबह में चार बजे केदार पांडेय के पुत्र सपा नेता सुनील पांडेय की भी मौत हो गई। दोनों मृतकों का शव ग्रामीण सुबह लगभग आठ बजे गांव लेकर आए। सुनील पांडेय की तीनों बेटियों की हालत में सुधार होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन जैसे ही सुनील पांडेय की तीनों बेटियां गांव पहुंचीं, निधि की हालत फिर खराब हो गई और उसे फिर से अस्पाल में भर्ती कराया गया।
सुनील पांडेय की तीन बेटियां निक्की बीए तृतीय वर्ष, निधि बीए प्रथम वर्ष व नीति आठवीं कक्षा की छात्रा है। सुनील का बेटा वीरू पांडेय(22) दिल्ली में रहकर पढ़ाई करता है। सुनल पांडेय की पत्नी बेबी ने खाना नहीं खाया था, इसलिए वह बीमार नहीं पड़ी, जबकि सुनील पांजेय की मां गुजरावती देवी बलिया गई हुई थीं, इसलिए खिचड़ी खाने से बच गई थीं। खिचड़ी कैसे विषाक्त हो गई, इसको लेकर लोग अपनी-अपनी तरफ से चर्चा कर रहे हैं।

अलग रहने से बच गया भाइयों का परिवार
मृतक सुनील पांडेय सपा के सेक्टर संयोजक थे और 2000 से 2005 तक भोजापुर के उप प्रधान थे। इनके दो छोटे भाई और हैं संतोष पांडेय किसी कंपनी में नौकरी करते हैं जबकि उससे छोटे पिंटू पांडेय आरपीएफ में वाराणसी में तैनात हैं। दोनों भाई अपना परिवार अपने साथ ही रखते हैं। इसलिए इस हादसे से इन लोगों का परिवार बच गया।


नहीं खुल पाया खिचड़ी के जहरीला होने का राज
जिस खिचड़ी को खाने से पिता-पुत्र की मौत हो गई, तीन बेटियां बीमार हो गई उस खिचड़ी का अवशेष घर में कोई और न खा ले या कोई जानवर न खा ले, इसलिए गांव के लोगों ने उसे गड्ढे में दबा दी। फलस्वरूप खिचड़ी कैसे जहरीली हो गई थी, इसका पता लगा पाना काफी कठिन हो गया है। सुनील पांडेय की पत्नी व मां का रोते-रोते बुरा हाल है। दोनों रह-रह कर बेहोश हो जा रही है। इस हादसे के बाद केदार पांडेय का परिवार टूट गया है। घटनना के बाद पूरा गांव सकते में है। वहीं दो मौतों को लेकर तरह-तरह की चर्चा व्याप्त है।

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