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गाजीपुर: मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर दान-पुण्य किया। घना कोहरा होने के बावजूद घाटों पर सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटने लगी थी। गंगा में डुबकी लगाने के बाद लोगों ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। वहीं श्रद्धालुओं ने दही-चूड़ा, लाई, तिलवा के साथ ही खिचड़ी का स्वाद चखा। उधर, समाजसेवी संस्थाओं ने ददरीघाट पर गरीबों में लाई-चूड़ा, तिलवा एवं कंबल का वितरण किया।

गंगा घाटों पर तड़के से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। आलम यह था कि पुण्य काल शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में महिला-पुरुष स्नानार्थी नदी तट पर पहुंच गए थे। नगर के ददरी घाट, पोस्ताघाट, चीतनाथ घाट, कलेक्टर घाट, नवापुरा घाट, बड़ा महादेवा घाट सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सबसे ज्यादा भीड़ ददरीघाट, पोस्ताघाट और चीतनाथ घाट पर रही। स्नान के बाद लोगों ने घाटों पर स्थित मंदिरों में पूजन-अर्चन कर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं समाजसेवी संस्था रोटरी एवं इनर व्हील क्लब ने गरीबों में लाई, चूड़ा, ढु्ढा एवं कंबल का वितरण किया।


जमदग्नि से लेकर तमाम घाटों पर तांता
जमानियां : नगर के जमदग्नि परशुराम घाट, बलुआ घाट, सतुआनी घाट, बड़ेसर टुटहिया घाट सहित चक्काबांध घाट पर दोपहर तक स्नानार्थियों का तांता लगा रहा। बिहार व चंदौली जनपद के सीमावर्ती क्षेत्रों के भी बड़ी तादाद में श्रद्धालु गंगा स्नान व दान-पुण्य किया। दिन में लोगों ने दही-चूड़ा लाई-ढूंढ़ा खाया तो रात में खिचड़ी का स्वाद चखा। सैदपुर: बूढ़ेनाथ महादेव घाट, पक्का घाट, संगत घाट, महावीर घाट, रामघाट, रंगमहल घाट, कोल्हुआ घाट व औड़िहार स्थित बराह रूप घाट पर दर्शन-पूजन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ रही। मंदिरों के पुजारियों को लोगों ने लाई-चूड़ा, तिलवा आदि दिया। बहरियाबाद: स्थानीय कस्बा सहित पूरेक्षेत्र में पंरपरागत ढंग से श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया गया। सुबह स्नान कर लोगों ने दान-पुण्य किया।

मुहम्मदाबाद : स्नान के लिए क्षेत्र के बच्छलपुर-रामपुर, गौसपुर, सुल्तानपुर, हरिहरपुर, सेमरा गंगा तट पर श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ रही। भांवरकोल : क्षेत्र के शेरपुर, फिरोजपुर, वीरपुर, पलिया, लोहारपुर गंगा घाट पर स्नान करने वालों की काफी भीड़ रही। स्नान के पश्चात श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन पूजन कर दान किया।

आसमान में खूब दिखीं रंगबिरंगी पतंगें
मकर संक्रांति के मौके पर बच्चों ने जमकर पतंगबाजी की। सुबह से ही बच्चे पतंग लेकर घरों कर छतों पर चढ़ गए और भक्काटे की आवाज गूंजने लगी। हालांकि हवा नहीं होने के कारण बच्चे पतंगबाजी को लेकर थोड़ा निराश जरूर दिखे। लेकिन उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी। पतंग की स्थायी एवं अस्थायी दुकानों पर बच्चों ही नहीं, बल्कि बड़ों की भी दिन भर पतंग खरीदने को लेकर भीड़ बनी रही।


सांस्कृतिक मिलन का त्योहार है मकर संक्रांति
खानपुर : मकर संक्रांति सांस्कृतिक मिलन का पर्व है। मकर संक्रांति पर गोमती नदी के किनारे गौरी गांव स्थित पर्णकुटी के महंत अरुनदास ने श्रद्धालुओं को मकर संक्रांति का महत्व बताया। कहा कि दो ऋतुओं और दो राशियों के साथ सिख और हिन्दू धर्म के त्यौहार लोहड़ी और खिचड़ी के साथ दक्षिण भारतीय समुदाय के प्रमुख पर्व पोंगल और पूर्वोत्तर भारत में बिहू मनाए जाने से आज का दिन राष्ट्रीय उत्सव का दिन बन जाता है। सांस्कृतिक मिलन के इस त्यौहार में लोग अपने बहन और बेटियों के घर अन्न का उपहार लेकर मिलने जाते हैं और अन्न मिलन का प्रतीक खिचड़ी का सेवन करते हैं। 


दान के इस महापर्व में अन्न वस्त्र और धन का दान किया जाता है। इस दिन दान करने से व्यक्ति को लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था।
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