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मौसेरी बहन से प्यार में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट बन बैठा राशिद

गाजीपुर न्यूज़ टीम, चंदौली में एटीएस के हत्थे चढ़ा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट राशिद दो बार पाकिस्तान गया था। दूसरी बार कराची यात्रा के दौरान अपनी मौसरी बहन अनम से प्यार कर बैठा। उसके मौसेर भाई शाजेब और दो एजेंटों ने इसका फायदा उठाया। राशिद की अनम से शादी का लालच देकर पाकिस्तानी एजेंटों से मिलवा दिया। 

आर्मी इंटेलिजेंस और यूपी एटीएस ने रविवार को चंदौली के पड़ाव से 23 वर्षीय आईएसआई एजेंट राशिद अहमद को गिरफ्तार किया। राशिद मार्च 2019 से व्हाट्सएप के जरिये पाकिस्तानी एजेंटों आसिम और अमद के संपर्क में था। उसने सेना, सीआरपीएफ कैंप की फोटो, वाराणसी, मुंबई, अमेठी, रायबरेली, अयोध्या के संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें और लखनऊ में सीएए व एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन की वीडियो व फोटो साझा किये थे।


आईएसआई एजेंट राशिद की मौसी हसीना की शादी कराची के ओरंगी टाउन निवासी शगीर अहमद से हुई है। हसीना का बेटा शाजेब है। राशिद पहली बार अपने नाना जब्बार के साथ अगस्त 2017 में कराची अपनी मौसी के यहां गया था। दिसंबर 2018 में मौसी के यहां एक शादी में शामिल होने गए राशिद के साथ नाना जब्बार के अलावा उसकी मां शहजादी भी साथ थी। 

इस यात्रा में उसके मौसेरे भाई शाजेब ने आईएसआई एजेंटों-आसिम और अमद से मुलाकात कराई। दोनों एजेंटों ने रुपयों का लालच देते हुए राशिद से भारत के दो मोबाइल नंबर हासिल कर लिया। राशिद के दिए दो मोबाइल नंबर पर पाक एजेंटों ने व्हाट्एस एक्टिवेट किया। इसकी ओटीपी भी राशिद ने उन एजेंटों को दिया। इन व्हाट्सएप नंबरों पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने भारत की गोपनीय जानकारियां हासिल कीं। 


सूचनाएं, फोटो व वीडियो भेजने के एवज में राशिद को मई 2019 में टीशर्ट उपहार भेजा गया। फिर जुलाई 2019 में उसे पांच हजार रुपये दिये गए थे। उपहार में मिली टी-शर्ट  हरे व सफेद रंग की थी। राशिद ने वाराणसी, मुंबई, अयोध्या, अमेठी, रायबरेली आदि जगहों की जरूरी जानकारियां साझा की लेकिन जुलाई-2019 के बाद उसे न उपहार मिले थे, ना ही रुपये। राशिद इसके इंतजार में था।

मौसी और मौसा ने समझाया, पर नहीं माना
राशिद की मौसी हसीना व मौसा सगीर को जानकारी हो गई थी कि राशिद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट बनने के लिए तैयार हो गया है। तब उन दोनों ने राशिद को समझाया था लेकिन वह नहीं माना। फिर मौसेरे भाई शाजेब के जरिए उसने पाक एजेंटों को व्हाट्सएप चलाने के लिए दो मोबाइल नंबर दिये। फिर जानकारियां साझा करने लगा। 


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