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लोन दो या ना दो कम से कम लोगों से ढंग से बात करो, सरकारी बैंकों को सीतारमन की नसीहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने सरकारी बैंकों को झाड़ लगाते हुए कहा कि इन बैंकों को ग्राहकों से बात करना ही नहीं आता. निर्मला सीतारमन ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्षों के सामने यह बात कही. सीतारमन ने कहा कि इन बैंकों में ब्रांच स्तर पर कर्मचारी अपने ग्राहकों को उनकी स्थानीय भाषा में समझा ही नहीं पाते हैं. सीतारमन ने कहा कि उन्हे देश भर से इस तरह की शिकायत मिलती हैं.

सीतारमन ने बैंकों के मुखियाओं के साथ बात करते हुए कहा कि मैं कुछ ऐसी बातें आपके सामने करने वाली हूं जो आपको अच्छी नहीं लगेंगी. उन्होने कहा, "आज जब लोग मुझसे मिलने आते हैं तो वो मुझे कहते हैं कि बैंक ब्रांच स्तर पर लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं."


उन्होने कहा,"यह एक सामान्य बात होनी चाहिए कि जो बैंक में लोन लेने आता है उसे लोन मिल जाए. अगर आप उनको लोन दे सकते हैं तो उन्हे बताएं की आप उन्हे लोन देंगे, अगर आप उन्हे लोन नहीं दे सकते तो उन्हे समझाएं की उन्हे लोन क्यों नहीं मिल सकता. लेकिन कम से कम उनसे बात ज़रूर करें."

निर्मला सीतारमन ने बैंकों के अध्यक्षों से कहा कि वो जब चाहें वित्तमंत्री से मिल सकते हैं, वो उन्हे समय देंगी. साथ ही उन्होने बैंक अधिकारियों से कहा कि वो भी उसी तरह से अपने ग्राहकों और आम लोगों से मिलने का समय दें. सीतारमन ने यह बातें उस समय कही हैं जब बैंकों के कर्ज़ देने दर कम हुई है. यानि बैंकों ने लोगों को कम लोन दिए हैं. वित्त मंत्री ने बैंकों के डर को दूर करने की कोशिश में एकबार फिर कहा कि सरकार बिजनेस के फ़ैसलों का बचाव करने को मौजूद है. इसलिए बैंकों को डरने की ज़रूरत नहीं है और उन्हे बिजनेस के सही मामलों को तुरंत लोन देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.

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