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गाजीपुर: 1330 ई. में गाधिपुर से गाजीपुर हुआ था जिले का नाम

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर गाजीपुर जनपद के नामकरण को लेकर इतिहासविदों और साहित्यकारों में मतवैभिन्य है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गाधि की राजधानी गाधिपुरी हुआ करती थी। स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य व साहित्यकार डा. मंधाता राय ने अपनी पुस्तक 'मुहम्मदाबाद तहसील कांड' में विभिन्न ऐतिहासिक पुस्तकों में दर्ज तथ्यों के माध्यम से यह प्रमाणित किया है कि गाजीपुर का नाम पहले गाधिपुर था। उन्होंने जिक्र किया है कि सातवीं शताब्दी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र को 'चेन-चू' कहा था। यह चीनी भाषा का शब्द है। चीनी लिपि के जानकार विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ 'युद्धों के स्वामी का राज्य' और 'योद्धाओं का क्षेत्र' बताया है। 

विद्वान डा. भोलानाथ तिवारी ने नामकरण के आधार पर इस क्षेत्र का नाम 'युद्धपतिपुर' बताया है। विदेशी विद्वान कनिघम ने इसका नाम 'गर्जपुर' बताया है। उसने गाजीपुर को 'गर्जपुर' का बिगड़ा स्वरूप बताया। एक अन्य विद्वान फ्लीट ने भी कनिघम के मत का समर्थन किया है। कितु बाद में लोगों ने इसे अशुद्ध करार दिया था। नेविल ने अपने गजेटियर में 'चेन चूं' का अर्थ 'युद्धरनपुर' बताया। प्रख्यात निबंधकार कुबेर नाथ राय ने 'चेन चूं' अर्थ गाधिक्षेत्र बताया जो लोक परंपरा से प्रमाणित भी होता है। 

उपर्युक्त विश्लेषण, प्रमाणों भग्नावशेषों और लोक मान्यता से स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र को गाधि क्षेत्र तथा स्थान को गाधिपुर कहा जाता था। कालांतर में हिदू राजाओं के अन्यत्र चले जाने पर यह स्थान खंडहरनुमा हो गया था। 1330 ई. में मुस्लिम आक्रांता मुहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार मलिक सादात गाजी ने इसे अपनी उपाधि से जोड़कर गाजीपुर नाम दिया। इसके बाद से इसका नाम गाजीपुर ही पड़ गया। बताया जाता है कि गोराबाजार में आज भी वो कब्रिस्तान आबाद है जहां मलिक सादात गाजी को दफनाया गया है।
 
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