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उत्तर प्रदेश विधानसभा: सपा, बसपा हो या बीजेपी, 90 दिन सदन चलाना एक रस्म अदायगी

ये और बात है समय समय विपक्ष में रहे राजनीतिक दल सत्तापक्ष पर सदन न चलाने का आरोप लगाते रहे और जब खुद की सरकार बनी सारी औपचारिकता को किनारे रखकर अपनी सुविधा और आवश्क्ता के अनुसार ही विधानसभा सत्र चलाया गया.
उत्तर प्रदेश विधानसभा (UP Vidhan Sabha) के बजट सत्र का आगज हो चुका है. 18 फरवरी को योगी सरकार अपना चौथा बजट पेश करेगी और सर्वदलीय बैठक में तय समय के मुताबिक सदन की कार्यवाही 7 मार्च तक चलेगी जिसमें बजट पेश करने के साथ-साथ कई अध्यादेशों को मंजूरी दी जायेगी. लेकिन अगर पिछले कुछ सरकारों के कार्यकाल की बात की जाय तो सदन की कार्यवाही सरकारों के लिए महज आवश्यक्ता और रस्म अदायगी बनकर रह गयी है. साल के 365 दिनों में 90 दिन सदन की कार्यवाही चलाने का प्रावधान है लेकिन सरकार बसपा,सपा की हो या बीजेपी की 90 दिनों का आकड़ा कोई दल छू तक नहीं पाया है.

राजनीतिक दल लगाते है आरोप
ये और बात है समय समय विपक्ष में रहे राजनीतिक दल सत्तापक्ष पर सदन न चलाने का आरोप लगाते रहे और जब खुद की सरकार बनी सारी औपचारिकता को किनारे रखकर अपनी सुविधा और आवश्क्ता के अनुसार ही विधानसभा सत्र चलाया गया. विधानसभा की तरफ से दिये गये आकड़ों के मुताबिक इस मामले कोई भी राजनैतिक खुद की पीठ नही थपथपा सकता क्योंकि आकड़े आईना दिखा रहे है.

2007 में बसपा सरकार थी मायावती मुख्यमंत्री सके बाद साल 2012 में सपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लेकिन सदन की बैठकों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ. 2017 में मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ लेकिन तस्वीर रही जस की तस हैं.

ये रहा बैठकों का आंकड़ा

2007 में 32 बैठकें
2008 में 22 बैठकें
2009 में 13 बैठकें
2010 में 20 बैठकें
2011 में 14 बैठकें
2012 में 27 बैठकें
2013 में 30 बैठकें
2014 में 19 बैठकें
2015 में 27 बैठकें
2016 में 24 बैठकें
2017 में 23 बैठकें
2018 में 25 बैठकें
2019 में 23 बैठकें

मार्च, 2017 में यूपी की सत्ता में काबिज होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून के महीने में शुरू हुए विधानसभा सत्र के पहले सर्वदलीय बैठक में एक वर्ष में कम से कम 100 दिन सदन की बैठकें आयोजित करने का भरोसा दिलाया था. हालांकि यह भरोसा भाजपा सरकार के पहले ही साल यानी वर्ष 2017 में ही अपने लक्ष्य से काफी दूर ही रह गया. इस वर्ष महज 23 ही सदन की बैठक चली. पिछले वर्ष 2019 में भाजपा सरकार ने विधानसभा में प्रदेश का सबसे बड़ा यानी पौने पांच लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था.

18 फरवरी को पेश होगा बजट
हालांकि राजनीतिक दलों के नेता इस बारे में एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आते है. नेता प्रतिपक्ष रामगोंविद चौधरी हो या कांग्रेस की नेता अराधना मिश्रा सभी एक दूसरे नके कार्यकाल की याद दिलाते हुए आरोप लगाते है.  इस बजट सत्र ने भी सबसे कम दिनों तक चलने का रिकार्ड बनाया। वर्ष 2019 का बजट सत्र केवल 10 दिन ही चला जो वर्ष 2009 में नौ दिन के सत्र के बाद का सबसे कम आंकड़ा है. वर्ष 2020 के बजट सत्र का आगाज आज 13 फरवरी को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के साथ हुआ है. सात मार्च तक चलने वाले इस बजट सत्र में 18 फरवरी को योगी सरकार अपना चौथा और प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना अपना पहला बजट पेश करेंगे.

अनुमान है कि इस बार प्रदेश का बजट पांच लाख करोड़ के रिकार्ड आंकड़े को भी पार कर जाएगा। बजट का आकार बढ़ने के साथ क्या इस बार बजट सत्र में सदन की कार्यवाही के दिनों में भी इजाफा होगा इस पर संशय बना हुआ है.
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