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भाजपा का एजेंडा झांसा दर झांसा - अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला है. उन्‍होंने कहा कि झांसा दर झांसा भाजपा का एजेंडा है. जबकि वह रोजगार देने के मुद्दे पर भी विफल है. साथ ही उन्‍होंने यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ पर गायों की खराब हालत को लेकर तंज कसा है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आज ने एक लिखित बयान जारी करते हुए कहा है कि झांसा दर झांसा भाजपा का एजेंडा है. आखिर रोजगार देने के भाजपा (BJP) के दावों का क्या हो रहा है? नौजवान कब तक रोजगार के झांसे में रहेंगे? पहले बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) को संकट में फंसा दिया अब उसको उबारने की घोषणा निरर्थक एक्सरसाइज नहीं तो क्या है? उन्‍होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और गौमाता को संरक्षण देने की स्थिति यह है कि सरकारी संरक्षण में रोज गायों की मौत हो रही है. आवारा पशु खेत चर रहे हैं. जबकि जीवन बीमा निगम, एयर इंडिया और रेलवे से सरकार हाथ खींच रही है. भाजपा सरकार की नीतियों के कारण अन्नदाता को ऊर्जाविहीन बनाया जा रहा है.


भाजपा राज में अमीर और अमीर हो गया
अखिलेश यादव ने अपने बयान में सरकार को घेरते हुए कहा कि मंहगाई पर कोई नियंत्रण नहीं है. उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं. बाहरी निवेश आ नहीं रहा है. नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो रहे हैं. भारत में एक प्रतिशत अमीरों के पास 70 प्रतिशत आबादी की 4 गुना दौलत बंधक है. देश के 63 अरबपतियों की सम्पत्ति तो भारत के एक साल के बजट से भी अधिक है. देश में एक टॉप सीईओ साल में जितना कमाता है उतना हासिल करने में घर की मेड को 22-27 साल लग सकते हैं. स्पष्ट है कि भाजपा राज में अमीर ही और अमीर हो रहे हैं. गरीबी हटाओ का अर्थ गरीब को हटाओ हो गया है.

अस्पताल में दवाएं नहीं है और जनता परेशान
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि भाजपा सरकार के राज में कौन सी अर्थव्यवस्था है जिससे आम नागरिक का कोई भला नहीं हुआ है. किसान, गरीब, गांव-खेती, छोटा कारोबारी, छात्र-छात्राएं सभी तो भाजपा के धोखे के शिकार हैं. आयुष्मान योजना का क्या हुआ? अस्पतालों में दवाएं नहीं हैं, जिन दवाओं के दाम घटाने के वादे हुए वे भी वादे लागू नहीं हुए. योजनाओं के विचित्र नाम रखकर जनता को भ्रमित करने का काम ही यह भाजपा सरकार कर रही है, तभी किसान उड़ान, विजन, डिजिटल क्रांति जैसी शब्दावाली चल रही हैं.

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