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गाजीपुर में क्यों गिरफ्तार हुए सत्याग्रही, क्या देश में गांधी का संदेश फैलाना जुर्म है?

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर विस्तार क्या इस देश में शांतिपूर्वक और अहिंसात्मक तरीके से चलकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का संदेश फैलाना जुर्म है? यदि नहीं तो बड़ा सवाल है दो फरवरी से चौरी चौरा से पदयात्रा के माध्यम से शांति, सद्भाव, अहिंसा का संदेश लेकर निकले मनीष शर्मा और उनके 10 साथियों को गाजीपुर पुलिस ने क्यों गिरफ्तार किया?

गिरफ्तार करने का कारण उन पर दंगा फैलाने की स्थिति पैदा करना बताया और प्राथमिकी की कापी नहीं दी गई। एसडीएम ने भी बार-बार के प्रयास के बाद भी कोई संवाद नहीं किया।

क्यों निकाल रहे हैं यात्रा?
मनीष शर्मा और उनके दस साथी राष्ट्रपिता के अहिंसा के संदेश से प्रेरित हुए। मनीष ने बताया कि गांधी जी ने चौरी चौरा की घटना के बाद संदेश दिया था हिंसा का रास्ता छोड़कर हमें अहिंसा के रास्ते के  रास्ते पर चलना होगा।

मनीष के मुताबिक वर्तमान परिवेश में वह देख रहे हैं देश की राजनीतिक व्यवस्था हिंदू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान, नफरत फैलाओ राज करो, पक्ष-विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप तक सीमित हो गई है।

राजनीतिक दल नफरत फैलाकर जनता के वोट से सत्ता में आ रहे हैं और जनता के लिए जरूरी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा, समाधान का काम ठप पड़ा है। मनीष का कहना है कि ऐसे में जरूरी है कि लोगों को जागरुक किया जाए। उन्हें सद्भावना, अहिंसा, नागरिकों के कर्तव्य, आपसी मेलजोल, प्रेम, सहयोग, साझीदारी से विकास के बारे में बताया जाए।

इसके लिए उन्होंने गोरखपुर और देवरिया के बीच में स्थिति चौरी चौरा से 02 फरवरी 2020 को पद यात्रा निकालने का फैसला किया। उनके दस साथ दल लोग इस अभियान में जुड़े। प्रदीपिका सारस्वत भी बतौर पत्रकार जुड़ीं।

यात्रा आगे बढ़ी
दो फरवरी को शुरू हुई यात्रा एक गांव से दूसरे दूसरे गांव, लोगों के बीच में संवाद करते हुए, खाते-पीते, उनके साथ समय बिताते हुए आगे बढ़ी। मनीष बताते हैं कि लोगों को सद्भाव समझ में आने लगा। लोग मान रहे थे कि हिंदू मुसलमान, जाति, धर्म में टकराव पैदा करके राजनीतिक दल उनके हितों की अनदेखी कर रहे हैं।

लोग प्रभावित भी हो रहे थे और एक गांव के करीब 60-70 लोग साथ चलकर दूसरे गांव तक छोड़ने आते थे। यात्रा करीब 200 किमी तक की दूरी तय कर चुकी थी, लेकिन 11 फरवरी को गाजीपुर पुलिस ने सभी 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। कारण पूछने पर पुलिस ने बताया कि उनके प्रयासों से शांति भंग होने, दंगा भड़कने की संभावना है।

उन्होंने एसडीएम और पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी। उन्हें जेल में डाल दिया। 11 फरवरी से 16 फरवरी की शाम तक वह जेल में रहे और देर शाम उन्हें पुलिस ने दो-दो लाख रुपये का निजी मुचलका भरवाकर छोड़ दिया।

17 तारीख को सुबह उनके कुछ साथियों को पुलिस ने जबरन एक गाड़ी में बिठाया और बनारस लाकर छोड़ दिया। बनारस यात्रा का पहला पड़ाव है।

क्यों गिरफ्तार किया?
जो कारण समझ में आता है, वह इस प्रकार है। प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र बनारस आने वाले थे। समझा जा रहा है कि नफरत, हिंसा और सांप्रदायिकता के खिलाफ संदेश देता हुआ चल रहा यह जत्था प्रशासन की आंख में किरकिरी की तरह चुभ रहा था।

प्रशासन नहीं चाह रहा था कि प्रधानमंत्री बनारस में हों और उस समय गांधीगिरी के रास्ते पर चल रहा यह जत्था वहां पहुंचकर अपना संदेश दे। माना जा रहा है कि इस कारण प्रशासन मनीष शर्मा और उनके सहयोगियों को गाजीपुर में ही गिरफ्तार कर लिया।

16 फरवरी को अपना दौरा पूरा करके जब प्रधानमंत्री दिल्ली लौटे तो उन्हें प्रशासन ने जेल से रिहा कर दिया।
यात्रा तो दिल्ली पहुंचेगी

सत्याग्रहियों का कहना है कि उनकी यह यात्रा दिल्ली पहुंचेगी। वह बनारस में यात्रा का पहला पड़ाव समाप्त करने के दो दिन बाद 20 फरवरी को बनारस से कानपुर और फिर कानपुर से आगे यात्रा का अगला पड़ाव आरंभ करेंगे।

दिल्ली के राजघाट पर पहुंचकर अपनी यात्रा समाप्त करेंगे। इससे पहले इन सत्याग्रहियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी गिरफ्तारी के विरोध में जनहित याचिका दायर की है। जिसकी 19 फरवरी को सुनवाई भी है।

जिला प्रशान ने नहीं दिया जवाब
गाजीपुर के जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य से संपर्क किया तो पता चला कि उनका सरकारी मोबाइल फोन उनके स्टेनो के पास था। स्टेनो ने कहा कि सभी सत्यागहियों को रिहा किया जा चुका है। वह जा चुके हैं।

गिरफ्तार करने के कारण पर स्टेनो ने बताया कि इस बारे में एसडीएम सदर से जानकारी मिल सकेगी। एसडीएम सदर से कई बार के प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिल पाई।

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