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रामलला के दरबार में आजमगढ़ की मदद से लगेगी पहली ईंट, ये है वजह

श्री राम मंदिर अब सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनेगा. इसकी शुरुआत आजमगढ़ के इस्लाम ने कर दी है, जो कि जल्द ही अयोध्या (Ayodhya) जाकर महंत नृत्य गोपाल दास (Mahant Nritya Gopal Das) को एक पौराणिक महत्व वाला सिक्का भेंट करेंगे. इस्‍लाम की ख्‍वाहिश है कि मंदिर में पहली ईंट आजमगढ़ के नाम से लगे.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. श्री राम जन्मभूमि के विवाद को निपटाने में सालों लगे और काफी लोग कुर्बान हो गए, लेकिन अब ये सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनेगा. अगर हिंदू यहां रामलला को स्थापित करेंगे तो मुस्लिम उसकी छत तैयार करेंगे. इसकी शुरुआत आजमगढ़ के इस्लाम ने कर दी है. मोहम्‍मद इस्लाम जल्द ही अयोध्या (Ayodhya) जाकर महंत नृत्य गोपाल दास (Mahant Nritya Gopal Das) को एक पौराणिक महत्व वाला सिक्का भेंट करेंगे, जिसकी कीमत लाखों में बताई जा रही है. वह महंत से गुजारिश करेंगे कि सिक्का बेचकर जो धनराशि एकत्रित हो उससे एक ईंट मंदिर में लगवाई जाए. जबकि इस्लाम का मानना है कि अल्लाह और भगवान एक हैं. हमने उन्हें अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म के आधार पर बांट दिया है. जब यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम दोनों के सहयोग से बनेगा तो देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सौहार्द का संदेश जाएगा.

सिक्‍के पर बना है श्रीराम का चित्र
मूल रूप से निजामाबाद तहसील क्षेत्र के मजभीटा गांव निवासी मुंशी सैयद मो. इस्लाम पिछले तीन दशक से शहर के सीताराम मोहल्ले में रहते हैं. परिवार बढ़ा तो उन्होंने अपने पैतृक गांव के पुराने आवास को नए सिरे से बनवाने का फैसला किया. 30 नवंबर 2019 को जब भवन की नींव खोदी गई तो उस दौरान दो प्राचीन सिक्के बरामद हुए. अष्टधातु से बने इन सिक्कों पर भगवान श्रीराम, जानकी व हनुमान का चित्र बना हुआ है. इस्लाम ने इसके धार्मिक महत्व को समझा और फैसला किया कि भगवान के चित्र वाले यह सिक्के उन्हीं के काम आएंगे.

ऐसे पता चली सिक्‍के की कीमत
इसी बीच इस्लाम की पत्नी कनीज फातिमा एक सिक्‍का लेकर ज्‍वैलर के पास चली गयी और उसने उन्हें तीन लाख के जेवरात दे दिए. लेकिन जब यह बात इस्लाम को पता चली तो उन्‍हें काफी दुख हुआ. हालांकि इस्लाम चाहते हैं कि जितना जल्दी हो सके बचा हुआ एक सिक्का अयोध्या श्रीराम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के पास पहुंच जाए ताकि आजमगढ़ के नाम से मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखी जाए. हालांकि वह सिक्का लेकर जिलाधिकारी के पास भी गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हुई. अब इस्लाम ने फैसला किया वह खुद अयोध्या जाएंगे और महंत नृत्य गोपाल दास से मिलकर उन्हें यह सिक्का सौंपेंगे.
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