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सोशल मीडिया पर वायरल इंटर जीव विज्ञान की कोरोना थ्योरी से अलग है कोविड-19

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया को निजात दिलाने के लिए चिकित्सक व शोधकर्ता पूरे मनोयोग से जुटे हैं। सभी को कारगर दवा मिलने का इंतजार है। इसी बीच सोशल मीडिया में यूपी बोर्ड के 27 हजार से ज्यादा कालेजों में पढ़ाए जा रहे जंतु विज्ञान की किताब का एक पृष्ठ खूब वायरल हो रहा है। वजह, किताब में भी कोरोना वायरस का स्पष्ट उल्लेख है। लोग इसे ही मौजूदा संक्रमण का कारक वायरस कोविड-19 मान रहे हैं। किताब में वायरस के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाओं का भी जिक्र है, जिसे लोग उपचार मानकर प्रचारित कर रहे हैं, जबकि जंतु विज्ञान के शिक्षक ही इसे सिरे से नकार रहे हैं और गुमराह न होने की अपील भी कर रहे हैं।


शिक्षक कहते हैं कि कोरोना वायरस किसी एक वायरस का नाम नहीं है, बल्कि यह वायरस का एक समूह है। जो मनुष्यों व पक्षियों में बीमारियों का कारण बनता है। मनुष्यों में कोरोना वायरस श्वसन पथ के संक्रमण का कारण बनते हैं, जैसे सामान्य सर्दी के मामले, जुकाम आदि। राजकीय इंटर कालेज में जंतु विज्ञान के प्रवक्ता उमेश पांडेय कहते हैं कि इंटर विज्ञान की किताब में ऐसे ही कोरोना वायरस की पढ़ाई लंबे समय से हो रही है।

कुछ कोरोना वायरस परिवार के संक्रमण बहुत घातक हो सकते हैं, जैसे सार्स, मर्स और वर्तमान में सक्रिय सीओवीआइडी-19। इसलिए लोग मौजूदा संक्रमण को किताब के कोरोना वायरस से कतई न जोड़ें और किताब में दिए उपचार की दवाएं भी न अपनाएं, बल्कि जो डाक्टर कहें वहीं मानें। यह संभव है कि आगे इसकी भी पढ़ाई हो।


मेवालाल इंटर कालेज सोरांव प्रयागराज के जंतु विज्ञान के शिक्षक शिशिर कहते हैं कि जंतु विज्ञान की किताब में संदर्भ जरूर कोरोना वायरस का है लेकिन, मौजूदा संक्रमण बिल्कुल अलग है। इस समय दुनिया में फैले वायरस की जींस, क्रमबद्धता किताब में दिए कोरोना वायरस से अलग है। इसे साधारण फ्लू या फिर वायरस नहीं कहा जा सकता। यह फेफड़े और किडनी को लक्ष्य करता है, इसलिए बचाव ही कारगर है और चिकित्सक से सलाह लेकर ही उपचार करें।

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