गाड़ी में पड़ा रहा कोरोना संदिग्ध का शव, पर नहीं किया अंतिम संस्कार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. कोरोना वायरस के खौफ ने इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया है। पार्थिव शरीर के सामने हर किसी के सिर झुक जाते हैं लेकिन अब कोरोना नाम सुनते ही लोग भाग जाते हैं। ऐसा ही वाकया कानपुर के हैलट अस्पताल में शनिवार रात को जान गंवाने वाले कोरोना संदिग्ध युवक के साथ हुआ।
वाहन से जैसे ही उसका शव भैरोघाट विद्युत शवदाह गृह पहुंचा तो वहां के स्टाफ ने कोरोना संदिग्ध सुनते ही हाथ खड़े कर दिए और अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। हद हो गई कि शव रातभर भैरोघाट की सड़क पर वाहन में ही पड़ा रहा। सुबह भी जब नहीं जवाब मिला तो वाहन चालक शव लेकर भैरोघाट से वापस न्यूरो कोविड-19 आया और हैलट के अधिकारियों को जानकारी देकर चला गया। यह सब सुनकर अफसरों के भी हाथ-पैर फूल गए।
अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों ने जिला प्रशासन से बात कर विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार की अनुमति दिलाने की बात कही, तब जाकर दस बजे मंजूरी मिल सकी। इसके बाद फिर से शव को भैरोघाट भेजा गया। जहां पर 11 बजे अंतिम संस्कार किया गया। हैलट से भैरोघाट के बीच 15 घंटे तक कोरोना संदिग्ध युवक का शव झूलता रहा। इस दौरान परिजनों का बिलखना सभी की आंखें नम कर गया।
कोरोना संदिग्ध घाटमपुर के हिरनी गांव का 18 वर्षीय युवक था, जिसे बुखार और सांस लेने में दिक्कत के बाद शनिवार शाम को हैलट इमरजेंसी लाया गया था। परीक्षण के बाद न्यूरो साइंस सेन्टर के कोविड-19 हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था जहां रात उसकी साढ़े नौ बजे मौत हो गई थी। हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो.आरके मौर्या ने माना कि भैरोघाट में अंतिम संस्कार न होने से घंटों शव वाहन में ही पड़ा रहा। प्रशासन की अनुमति पर संस्कार कराया गया है। कोरोना संदिग्धों का संस्कार विद्युत शवदाह गृह में ही होगा, इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हैलट के प्रभारी डॉ.आलोक वर्मा ने कहा कि सुबह परिजनों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया।