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दिल को झकझोर देगी ये घटना, खुद भूखी रह अजनबी को मुंह का निवाला देकर बचाई जिंदगी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर। देवदूत आसमान से नहीं आते, इसी धरती पर बसते हैं और जरूरतमंदों की मदद के लिए अचानक सामने आ जाते हैं। बुधवार की सुबह ऐसे ही एक फरिश्ते की मदद पाकर नई जिंदगी पाने वाले राहगीर की आंखों से सिर्फ अश्रू धारा बहती रहीं और दिल से सिर्फ दुआएं निकल रही थीं। यह नजारा बेहद भावुक कर देने वाला था, हर कोई एक बार उस राहगीर की ओर देख रहा था और फिर फरिश्ता बनी उस गरीब बेटी को निहार रहा था, जिसने अपनी भूख काे नजरअंदाज करके मुंह का निवाला देकर राहगीर की जिंदगी बचाई थी।

समाज को बड़ा संदेश दे गई इस बेटी की इंसानियत
झोपडपट्टी में मुफलसी में गुजर-बसर कर रही 14 साल की बेटी ने रविवार सुबह इंसानियत की जो मिसाल पेश की, वो समाज के लिए बड़ा संदेश दे गई। भारत की इस बेटी ने मानवता को शर्मसार होने से बचा लिया। उसने न सिर्फ अपने परिजनों की बात को दरकिनार कर दिया और राहगीर की जिंदगी बचाने के लिए अपने हिस्से का निवाला दे दिया। उसकी नेकदिली पर नाम पूछा तो उसने नाम बताने से इंकार करते हुए कहा कि मुझे मशहूर नहीं होना है, बस मुझे इस बात का सुकून है कि मैंने आज किसी की मदद की।


दिल को झकझोर गई घटना
कानपुर- प्रयागराज हाईवे पर महाराजपुर के कुलगांव मोड़ के पास रविवार सुबह तेज धूप में डिवाइडर पर करीब 45 वर्षीय व्यक्ति बेहोश पड़ा था और पास में झोला व अन्य सामान भी था। बेहोशी की हालत में उसके मुहं से बस दो ही शब्द निकल रहे थे, पानी और खाना। ठीक सामने हाईवे किनारे झोपड़पट्टी में रहने वाले लोग दूर से ही तमाशबीन बने खड़े थे।

सड़क पर पड़े तड़पते व्यक्ति की मदद को कोई आगे नहीं बढ़ रहा था, इस बीच झोपड़पट्टी से निकली एक 14 साल की बेटी एक बोतल पानी लेकर उसकी ओर चल पड़ी। घर वालों ने मना करते हुए कहा, पता नहीं वो कौन है, कहां से आया है, किसी संक्रमित के संपर्क में तो नहीं रहा। इन सब बातों को अनसुना करते हुए वह चिंता किए बगैर मदद को पहुंच गई।


खुद भूखी रहकर दिया मुंह का निवाला
किशोरी ने मुंह पर पानी के छींटे मारे तो व्यक्ति को होश आया। उसने अकेले ही व्यक्ति को उठाकर बिठाया और पानी पिलाया। भूखे होने की वजह से उसकी यह हालत होने की जानकारी के बाद वह फिर घर आई और अपने हिस्से का खाना लाकर चल दी। इस बार फिर घर वालों ने उसे रोकते हुए कहा कि बस उतना ही खाना है चाहे खुद खा लो या उस खिला दो। अपनी भूख की परवाह किए बगैर उसने घर वालों से कहा-मैं आज नहीं खाऊंगी।

इसके बाद अपने मुंह का निवाला देकर अचेत राहगीर को खिला दिया। अन्न- जल ग्रहण करने के बाद राहगीर में चैतन्यता आई तो आशीर्वाद के लिए उसके मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे केवल आखों से आंसू की धारा बह रही थी। पूछने पर उस व्यक्ति ने बस इतना कहा कि परिस्थितियों का मारा हूं, घर जा रहा हूं, कई दिनों से खाना नहीं खाया था। बिटिया ने फरिश्ता बनकर मेरे प्राण बचाकर मुझे नई जिंदगी दी है।

 
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