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लॉकडाउन में बड़ा काम: 264 पहियों वाले वाहन पर नदी पाटकर पार कराई गोरखपुर खाद कारखाने की अमोनिया चिलर टरबाइन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। हिन्दुस्तान यूरिया उवर्रक रसायन लिमिटेड (हर्ल) के यूरिया प्लांट के लिए गुजरात से आ रही अमोनिया चिलर टरबाइन के लिए इंजीनियरों ने कुशीनगर में घाघी नदी को पाटकर अस्थाई रास्ता बना डाला। हेतिमपुर में छोटी गंडक नदी को पार करने के लिए भी करीब 400 मीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। यह टरबाइन 264 पहियों वाले वाहन पर लाद कर आ रही है। 7 मई तक इसके गोरखपुर के यूरिया प्लांट में पहुंचने की उम्मीद है।  

गुजरात से अमोनिया चिलर टरबाइन करीब छह महीने पहले समुद्र मार्ग से कोलकाता के लिए चली थी। कोलकाता पोर्ट से इस टरबाइन को गंगा नदी के सहारे जलमार्ग से छपरा के गौरीघाट तक लाया गया। छपरा से यह टरबाइन सड़क मार्ग से आ रही है। इसको लेकर कार्गो कंपनी ने 9 महीने पहले ही रास्ते का सर्वे कर लिया था। कुशीनगर के जोकवा बाजार के पास घाघी नदी और हेतिमपुर में छोटी गंडक नदी के कमजोर पुल के चलते कंपनी को नदी पाटकर अस्थाई रास्ता बनाना पड़ा है।

फाजिलनगर संवाद के अनुसार यह टरबाइन सड़क मार्ग से जोकवा बाजार के पास घाघी नदी के पास पहुंची तो जर्जर पुल को देखते हुए इंजीनियरों ने अस्थाई रास्ते का विकल्प दिया। तीन महीने में इंजीनियरों ने अस्थाई सड़क बना ली। नदी के करीब 30 मीटर चौड़ाई में पानी था। पानी वाले हिस्से में बड़ी-बड़ी ह्यूम पाइप डाली गई। पाइप पर दस फीट ऊंचाई में मिट्टी डाली गई और इसके बाद लोहे की मजबूत चादर से सड़क को मजबूती दी गई। कंपनी के सुपरवाइजर नागेन्द्र शुक्ला ने बताया कि रविवार को अस्थाई पुल को सफलता पूर्वक पार लिया गया।

अब हेतिमपुर के छोटी गंडक पर हो रहा सड़क निर्माण
हेतिमपुर में छोटी गंडक नदी पर पक्का पुल है, लेकिन इंजीनियरों को इसकी मजबूती पर संदेह है। ऐसे में पिछले दो महीने से करीब 40 मीटर लंबाई में नदी के पानी वाले हिस्से में ह्यूम पाइप डालकर अस्थाई सड़क बनाई जा रही है। तीन से चार दिन में सड़क बनने के बाद से मशीन को इससे गुजारा जाएगा। सुपरवाइजर अनुज कुमार सिंह ने बताया कि मिट्टी डालकर करीब 200 मीटर लंबा एप्रोच भी बनाया जा रहा है।

चार गाड़ियों को जोड़कर खींची जा रही मशीन
टरबाइन लदे ट्रेलर को खींचने के लिए शक्तिशाली चार गाड़ियों को जोड़ा गया है। सामान्य स्थिति में इसकी अधिकतम रफ्तार तीन किमी प्रति घंटा है। इस मशीन को जिस ट्रेलर पर रखा गया है उसमें 264 पहिये लगे हैं। इस मशीन के साथ 50 इंजीनियरों, कर्मचारियों और मजदूरों की टीम भी चल रही है।

यूरिया प्लांट पहुंची दूसरी मशीन
एक दूसरी मशीन सोमवार को यूरिया प्लांट पहुंच गई। 180 पहिये वाले वाहन पर लदी यह मशीन देवरिया बाईपास पर पहुंची। जिसके बाद धीरे-धीरे इसे सिक्टौर, इंजीनियरिंग कॉलेज, कूड़ाघाट, मोहद्दीपुर, कौआबाग, खजांची, मेडिकल कॉलेज होते हुए प्लांट में पहुंचाया गया। मशीन जिधर से गुजरी उस क्षेत्र की बिजली कटौती भी की गई।

गुजरात से आ रही मशीन प्लांट के लिए महत्वपूर्ण है। अभी कुशीनगर में घाघी नदी को इसने पार किया है। हेतिमपुर के बाद कप्तानगंज, परतावल होते हुए यह गोरखपुर पहुंचेगी। मशीन को पहुंचने में करीब दस दिन लगेंगे। एक अन्य मशीन सड़क मार्ग से प्लांट में पहुंच गई।
सुबोध दीक्षित, महाप्रबंधक, एचयूआरएल
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