एक पिता बन गया श्रवण कुमार, लाचार बेटे को कांधे पर उठा चल पड़ा घर की ओर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर, वैसे तो श्रवण कुमार के बारे में सभी ने सुना है, जिन्होंने अपने नेत्रहीन माता-पिता को कांवर में बिठाकर तीर्थयात्रा कराई थी। लेकिन, कोरोना संकट में इससे उलट एक पिता इस कसौटी पर उतरते नजर आया, जो अपने बेटे को चारपाई की डोली बनाकर कांधे पर उठाकर पैदल ले जा रहा है। कानपुर से गुजरे इस पिता को जिसने भी देखा वह भावुक हो गया। उनकी यह तस्वीर और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
रस्सी के सहारे चारपाई की डोली बनाई
मध्य प्रदेश के सिंगरौली गांव के राजकुमार लुधियाना में मजदूरी करते थे। लॉक डाउन के चलते रोजी-रोटी की दिक्कत होने पर उन्होंने परिवार सहित फैदल ही घर लौटने का फैसला लिया, लेकिन उनका 15 साल का बेटा बृजेश साथ देने योग्य नहीं था, गर्दन में चोट के कारण वह चलने में असमर्थ है। उन्होंने चारपाई पर रस्सी के सहारे एक बल्ली बांधकर डोली बनाई, जिसपर उसे लिटाकर ले जाने की व्यवस्था बनाई। राजकुमार के अनुसार परिवार के साथ गांव के लोगों को मिलाकर 18 लोग हैं, जो बारी-बारी से चारपाई को उठाकर साथ पैदल चलते हैं।
पैदल ही तय किया 800 किमी का सफर
शुक्रवार शाम को रामादेवी हाईवे पर परिवार को इस तरह बच्चे को ले जाते हुए देखकर थाना प्रभारी रामकुमार गुप्ता ने उन्हें रोककर बातचीत की। परिवार ने बताया कि लुधियाना से कानपुर तक की लगभग 800 किमी. की दूरी इसी तरह पैदल तय की है। इस सफर में सिर्फ 50 किमी तक का सफर वाहन से तय किया क्योंकि अधिकतर वाहन बेटे को चारपाई पर लेटा देखकर ले जाने से मना कर देते। थाना प्रभारी रामकुमार ने सभी लोगों की खाने-पीने की व्यवस्था कराकर वाहन की व्यवस्था करके घर भिजवाया। थाना प्रभारी ने बताया कि एक परिवार अपने बेटे को चारपाई पर ले जा रहा था, जिसे देखने के बाद वाहन की व्यवस्था कराकर उन्हें घर भेज दिया गया है।

