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कनकधारा ने ही किया रसियन कृष्ण भक्त का अंतिम संस्कार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मथुरा : रूस के मुस्लिम परिवार में जन्मे सुल्तान अखमद के जीवन पर श्रील प्रभुपाद के विचारों का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने हिदू धर्म को जीवन में उतार लिया। अपना नाम भी बदल कर निताई दास रख लिया। परिवार से रिश्ता तोड़, मोक्ष की चाह में वृंदावन की राह पकड़ ली। छह साल से कैंसर से जूझ रहे निताई दास ने कृष्ण भक्ति नहीं छोड़ी और वृंदावन न छोड़ने का संकल्प भी ले लिया। बीमारी से जूझते निताई दास ने गुरुवार को हरिनाम लेते हुए अंतिम सांस ली। इस्कॉन भक्त साथियों ने हिदू रीति से ही उनका अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया। रूसी दूतावास से अनुमति मिलने के बाद पुलिस की अपील पर कनकधारा फाउंडेशन ने शुक्रवार को निताई दास का यमुना किनारे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हिदू रीति से अंतिम संस्कार कर दिया। निताई पिछले साल ही टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे। उन्होंने अंतिम समय में वृंदावन को ही मोक्ष के लिए सुना था। कनकधारा फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी गौतम ने अपने सहयोगी अमित गौतम, मृतक के पड़ोसी कुशलपाल सिंह, अंतरिक्ष कुमार के साथ शुक्रवार की दोपहर यमुना किनारे वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य वैदिक रीति से अंतिम संस्कार कर दिया।

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