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29 जून तक पोर्टल पर दर्ज कराएं शस्त्र लाइसेंस के रिकार्ड, बिना यूआईएन के हो जाएंगे अवैध

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि जिन शस्त्र लाइसेंस धारकों के पास तीन लाइसेंस हैं, उन्हें अपना तीसरा लाइसेंस 13 दिसंबर 2020 तक सरेंडर करना होगा। साथ ही यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईएन) लेने के लिए शस्त्र लाइसेंस रखने वालों को दी गई मोहलत 29 जून को समाप्त हो रही है। शस्त्र लाइसेंसों का ऑनलाइन ब्योरा देने और तीसरे शस्त्र को सरेंडर करने को लेकर उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। भारत सरकार ने देश के कुछ भागों में बड़े पैमाने पर बिना उचित सत्यापन किए शस्त्र लाइसेंस जारी किए जाने की बात कही है।

सचिव गृह भगवान स्वरूप की ओर से इस बारे में नया शासनादेश जारी किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय में डाइरेक्टर आर्म्स एंड सिक्योरिटी मुकेश मंगल के पत्र के हवाले से उन्होंने कहा है कि देश के कुछ भागों में बड़े पैमाने पर बिना उचित सत्यापन किए शस्त्र लाइसेंस जारी किए जाने की जानकारी मिली है। गृह विभाग ने आयुध नियम-2016 के तहत कड़े निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सभी शस्त्र लाइसेंस के रिकार्ड एनडीएएल एलिस के पोर्टल पर 29 जून तक अपलोड करा दें। 29 जून के बाद बिना यूआइएन के शस्त्र लाइसेंस अवैध हो जाएंगे। आयुध अधिनियम, 1959 तथा आयुध (संशोधन) अधिनियम, 2019 में दी गई व्यवस्था के तहत ऐसे शस्त्र धारक जिनके पास तीन शस्त्र दर्ज हैं, उन्हें अपने तीसरे शस्त्र को 13 दिसंबर तक जमा कराने का निर्देश भी दिया गया है। शासन ने इसका व्यापाक प्रचार प्रसार करने का निर्देश भी दिया है।

साथ ही अब सभी लाइसेंस प्राधिकारियों को नए शस्त्र के लाइसेंस के लिए आवेदन पत्र केवल एनडीएएल एलिस पोर्टल के जरिए ही स्वीकार करने का निर्देश भी दिया गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर होकर किसी भी जिले में दर्ज हुए शस्त्रों का ऑडिट कराने तथा सभी आर्म्स डीलर का भौतिक सत्यापन कराने को भी कहा गया है। आर्म्स डीलर्स की दुकानों के भौतिक सत्यापन के लिए दो माह का समय दिया गया है। 25 अगस्त तक इसकी अनुपालन आख्या शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।

दरअसल, प्रत्येक लाइसेंसी शस्त्र के लिए यूआईएन का आवंटन कर राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही एक सुविधा भी दी थी कि शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण अब पांच साल के लिए होगा। पहले हर तीसरे साल शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण कराना पड़ता था।
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