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होटल पर बेचे बच्चे को 18 साल बाद ट्रक चालकों ने मां से मिलवाया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़। ट्रक चालकों की चेन ने 18 साल बाद युवक को उसके मां से मिलवाया। आजमगढ़ जिले के 12 साल के बच्चे को उसके एक रिश्तेदार ने काम दिलाने के नाम पर चंडीगढ़ में 80 हजार में बेच दिया था। लॉकडाउन में ट्रक चालकों ने एक दूसरे की मदद से उसे घर पहुंचाया। 18 साल के वनवास के दौरान एक हादसे में युवक का एक हाथ भी कट गया है। पीड़ित परिवार अब उस रिश्तेदार के खिलाफ कार्रवाई कराने की सलाह ले रहा है।

मां.. मैं भाग नहीं था, काम दिलाने के नाम पर मुझे रिश्तेदार ने एक होटल में बेच दिया था। 18 साल बाद घर पहुंचे युवक से इतना सुनते ही उसकी मां फूटफूट कर रो पड़ी। यह दर्दनाक कहानी कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि आजमगढ़ के हाजीपुर के युवक की दास्तां है। घर पहुंचे युवक ने बताया कि तीन साल तक बिना वेतन काम करने के बाद उसे तब सच्चाई की जानकारी हुई जब होटल बंद हुआ। होटल मालिक ने बताया कि उसके रिश्तेदार उसे 80 हजार रुपये में बेच गया है। न उसके पास पैसे थे और न ही कुछ खास याद था। उसके जेहन में सिर्फ गांव का नाम हाजीपुर और ननिहाल कोलघाट है। इसी नाम के सहारे ट्रक चालकों ने दो दिन पहले उसे घर पहुंचाया। शनिवार को युवक अपने भाई के साथ लेकर इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा रविंद्र नाथ राय के पास गया और अपनी रामकहानी बताई। 

12 साल के उम्र में बेचा था चंडीगढ़ में
आजमगढ़ के रौनापार के हाजीपुर रामनगर कुकरौछी गांव मैनेजर यादव के सात बेटे-बेटी हैं। संतकबीर नगर के एक रिश्तेदार ने नौकरी दिलाने के लिए अपने 12 साल के रामविजय को साथ ले गया। लेकिन रिश्तेदार कुछ दिन बाद गांव लौटकर बताया कि रामविजय रास्ते से ही भाग गया। गरीब मां-बाप को गहरा सदमा लगा लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं था। कुछ दिन तक इंतजार किया और और रो-धोकर मौन साध लिए। 

छलक उठीं मां की आंखें
इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ रविंद्र नाथ राय ने बताया कि आजमगढ़ के रौनापार के हाजीपुर रामनगर कुकरौछी गांव के रामविजय यादव 18 साल बाद दो दिन पहले अपने घर पहुंचा। बेटे को देख उसकी बूढ़ी मां की आंखों छलक उठीं। रामविजय की मां के अलावा उसके 6 भाई व बहन खुशी से उछल पड़े। हालांकि रामविजय के पिता मैनेजर यादव अभी मुंबई में हैं  लेकिन वह भी बहुत खुश हैं। रामविजय ने प्रधानाचार्य को बताया कि 80 हजार में उसे उसके रिश्तेदार ने भेजा था। 

कभी भीख मांगी तो कभी की मजदूरी
बारह वर्षीय रामविजय को उसके रिश्तेदार ने जिस होटल में बेचा था वहां सिर्फ खाने पीने को मिलता था। साल भर में एक बार कपड़ा। लेकिन वेतन नहीं मिलता था। जब  होटल बंद हुआ तो सभी नौकरों को फाइनल हिसाब होने लगा। जब रामविजय ने हिसाब मांगा तो होटल मालिक ने रिश्तेदार की हकीकत बताई। 15 साल के उम्र में वह कभी कहीं भीख मांगता तो कभी मजदूरी करता। इसी दौरान एक हादसे में उसका एक हाथ भी कट गया। बाद में वह संगरूर में ट्रकों पर सहायक के रूप में काम करने लगा। ट्रक से एक राज्य से दूसरे राज्य जाता था। उसे सिर्फ इतना पता था कि वह हाजीपुर का रहने वाला है। उसका ननिहाल कोलघाट है।
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