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वाराणसी नगर निगम की ओर से स्थापित होगा बायो फ्यूल प्लांट, प्लांट से किसानों को सीधा लाभ

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी के किसानों को नई सौगात मिलने जा रही है। यहां बायो फ्यूल प्लांट लगाने की तैयारी है। इसमें गोबर, कचरा, खरपतवार से फ्यूल बनेगा जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और खेती-किसानी व पशुपालन से निकले अपशिष्टों का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण होगा। 

इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए आवश्यक निर्देश दिए हैं जिसमें सबसे अहम जमीन की उपलब्धता है। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने आराजीलाइन व काशी विद्यापीठ ब्लाक में तीन स्थानों को सुझाया है। इसमें पहला शहंशाहपुर व छितौनी कोट में बने गौवंश आश्रय स्थल यानी कान्हा उपवन के पास की जमीनें हैं तो तीसरी रमना एसटीपी प्लांट के समीप नगरीय कूड़ा डंपिंग स्थल है।

जिलाधिकारी के अनुसार बायो फ्यूल प्लांट निर्माण के सर्वे को लेकर अगस्त में एक तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बनारस आ रही है। बायो फ्यूल प्लांट से नगरीय कचड़ा, खेत की पुआली, खरपतवार से भी ईंधन उत्पन्न किया जा सकेगा। गाय-भैंस के गोबर का दाम भी यहां के लोगों को मिलने लगेगा। सरकार निराश्रित गोवंशों के लिए कई योजनाएं चला रही है, गोआश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं। निराश्रित गोवंश को रखने वाले किसान को प्रतिमाह 900 रुपये दिए जाएंगे। गोमूत्र व गोबर की बिक्री से भी आय में वृद्धि हो सकेगी।

ऐसा ही प्लांट गोरखपुर के धुरियापार में करीब 50 एकड़ जमीन पर 1050 करोड़ की लागत से बायोफ्यूल कॉम्प्लेक्स तैयार हो रहा है। कॉम्प्लेक्स के दो चरण हैं। पहले चरण में कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित होगा। करीब 200 टन धान की भूसी के साथ मवेशी के गोबर, गन्ने का अपशिष्ट कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होंगे। 20 मीट्रिक टन क्षमता के इस प्लांट की लागत 150 करोड़ रुपये है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सालाना एक लाख कार्य दिवस का रोजगार सृजित होगा।

दूसरे चरण में करीब 900 करोड़ रुपये की लागत से द्वितीय जनरेशन (टूजी) इथेनॉल प्लांट की स्थापना होनी है। इस प्लांट को करीब 700 मीट्रिक टन प्रतिदिन फीडस्टॉक की जरूरत होगी, जिसमें धान की भूसी, गेहूं का भूसा और गन्ने से निकला तरल कचरा शामिल होगा। प्लांट की क्षमता 100 किलोलीटर प्रतिदिन होगी। प्रतिवर्ष करीब चार लाख दिवस का रोजगार सृजित हो सकेगा।

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