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जिंदगी के साथ... कोरोना ने भी पकड़ी रफ्तार, भारी पड़ रही लापरवाही

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, अनलॉक का एक महीना पूरा हो गया है। लॉकडाउन में ठहरी ङ्क्षजदगी फिर दौडऩे लगी है। काफी कुछ पहले जैसा है। आर्थिक रास्ते खुल चुके हैं। कुछ बंदिशें बाकी हैं लेकिन, हकीकत यह है कि यह आजादी बेहद भारी पड़ रही है। वो भी हमारी लापरवाही के कारण। सरकार ने हमारी मुसीबत, रोटी के संकट को देखते हुए पाबंदियां हटाईं। बदले में कुछ नियमों से बांधा मगर हमने क्या किया...? सारे बैरियर आजादी हाथ में आते ही तोड़ डाले। वो भी यह बिना जाने कि यहां सवाल एक-एक ङ्क्षजदगी का है। परिवारों का है, बच्चों के भविष्य का है...। 

आलम यह है, महज 30 दिन के अनलॉक के हालात दिल बैठाने लगे हैं। कोरोना संक्रमण ने जिस तेजी से रफ्तार पकड़ी है, आने वाले दिनों की भयावह तस्वीर आंखों के सामने घूम जाती है। रोज मरीजों मिलने का रिकॉर्ड टूट रहा है। शहर में कंटेनमेंट नियमों के तहत घेराबंदी बढ़ती जा रही है। हां, अच्छी बात सिर्फ यह है कि हम अपनी इम्युनिटी के दम पर कोरोना को हरा रहे हैं। मौतों का आंकड़ा हमारे देश में सबसे कम है। हालांकि, यह कितना बना रहेगा कुछ कह नहीं सकते क्योंकि पहले से बीमार लोगो ंको कोरोना से बड़़ी चुनौती है। वहीं, सरकार कई मोर्चे पर साफ कर चुकी है कि हमें कोरोना के साथ जीना होगा। संभव है, अनलॉक की प्रक्रिया आगे बढ़े। लिहाजा, अब भी वक्त है चेत जाएं। नियमों का पालन करें।

1200 से ज्यादा कोविड-19 नमूनों की रोजाना की जा रही जांच
10 गुना से अधिक बढ़ा राजधानी में मास्क, सैनिटाइजर और ग्लब्स का कारोबार

वर्क फ्रॉम होम ने आसान की ऑफिस की राह
कोरोना संक्रमण के चलते वर्क फ्रॉम का चलन बढ़ा। कार्य समय की पाबंदी समाप्त हो गई, जिससे लोग अच्छा और बेहतर काम कर के दिखा रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु पांडे बताते हैं कि पढ़ाई भी केवल कक्षा तक सीमित नहीं रही। अब विद्यार्थी फ्री वीडियो लेक्चर एवं अध्ययन सामग्री का यूज कर क्षमता बढ़ा रहे हैं।

सफाई केवल मजबूरी नहीं, आदत बनी
सफाई और सेल्फ हाईजीन की अच्छी आदतें दिनचर्या का हिस्सा हो गईं। कुछ घरों में फुल बॉडी सैनिटाइजर मशीन भी लगी। घरों में मास्क तैयार होने लगे। लोगों ने मास्क, सैनिटाइजर बनाने को स्टार्ट अप के तौर पर भी शुरू किया। कोरोना काल में दफ्तर भी घर का ही हिस्सा बन गया। 

चिंता ना करें, स्वास्थ विभाग की तैयारियां हैं पूरी
 सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि रोजाना 12 सौ से अधिक नमूने जांचे जा रहे हैं। एंटीजन टेस्ट भी शुरू हुए हैं। बलरामपुर अस्पताल से लेकर सिविल लोहिया व पीजीआई में ट्रूनेट मशीन से भी टेङ्क्षस्टग शुरू कर दी गई है, जिससे रिपोर्ट जल्द आती है। अस्पतालों में पर्याप्त बेड व इलाज का इंतजाम हैं। मरीजों को पूरा इलाज मिल रहा है। निजी अस्पतालों को भी अपॉइंटमेंट देकर मरीज देखने की छूट दी गई है।

पटरी पर लौटने लगी जिंदगी
हर किसी ने कोरोना से साथ सुरक्षित रहने की आदत सीख ली। मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स व शारीरिक दूरी दिनचर्या में शुमार हैं। शुरुआत में इनकी कमी थी, कीमतें अधिक थीं। अब सरकार की सख्ती और कई कंपनियों, लोगों के उत्पादन करने से उपलब्धता बढ़ी है। तीन माह में मास्क, सैनिटाइजर एवं ग्लव्स का करीब पांच करोड़ रुपये का कारोबार है, जो पहले से दस गुना से भी अधिक है।  लोहिया संस्थान में मनोरोग चिकित्सा एवं विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. देवाशीष शुक्ला बताते हैं कि धीरे-धीरे लोग उलझन, घबराहट, बेचैनी, नींद का टूटना इत्यादि से उबरने लगे हैं।

लेटेस्ट फैशन नहीं, रुटीन रहा जोर
इलेक्ट्रानिक बाजार में गर्मी रही तो सहालग होने के कारण कपड़ा बाजार भी खूब दौड़ा। लेकिन इस बार ग्राहकों की खरीदारी जरूरतों पर आधारित रही। लेटेस्ट फैशन नहीं रुटीन सामान पर ही जोर रहा। सोना और चांदी पर लोगों का भरोसा लौटा। इनवेस्टर्स बाजार में दिखे। इन दिनों एसी, वाङ्क्षशग मशीन और वाटर प्यूरीफायर सबसे ज्यादा बिकता है। यही हाल ब्यूटी प्रोडक्ट का रहा। मसलन क्रीम, लिपस्टिक, शैंपू, नेल पॉलिश, पाउडर समेत तमाम प्रोडक्ट अभी नहीं उठ रहे हैं।

घर ही बना गया जिम
कोरोना काल में जिम बंद हैं तो सेहत दुरुस्त रखने के लिए लोगों ने अपने घरों को ही जिम बना दिया। किसी ने ट्रेेडमिल लगा ली तो कोई साइकिलिंग कर रहा है। बिजनेसमैन गोपाल अग्रवाल के होटल में जिम भी है, लेकिन होटल बंद होने से घर पर ही व्यायाम की व्यवस्था कर डाली। युवा उद्यमी समीर त्रिपाठी भी भी घर पर ही दूसरे हल्के उपकरणों से व्यायाम कर रहे हैं।

अनावश्यक यात्रा से बच रहे लोग
रोडवेज और नगर बस खाली दौड़ रही हैं। ऑटो, टेंपो में भी 50 फीसद लोग ही बैठ रहे। संक्रमण के डर के चलते लोग अनावश्यक यात्रा करने से बच रहे हैं। प्रबंध निदेशक सिटी बस आरके मंडल के मुताबिक अभी नगर बस में यात्री नहीं आ रहे।
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