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प्लाज्मा थेरेपी से भी नहीं बच सकी 58 वर्षीय कोरोना संक्रमित की जान

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कोविड आईसीयू में भर्ती 58 वर्षीय कोरोना संक्रमित की जान प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी चली गई। उनको संक्रमण जबरदस्त था। डॉक्टरों ने पहली बार दो मरीजों पर इस थेरेपी का प्रयोग किया है। मरीज की मौत से डॉक्टरों में कुछ निराशा जरूर है मगर थेरेपी जारी रखेंगे।

प्लाज्मा थेरेपी के लिए दो मरीजों ने सहमित दी थी। गोविंद नगर निवासी 58 वर्षीय मरीज सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के साथ भर्ती हुए थे। उन्हें दूसरी कई बीमारियां भी थीं। डॉक्टरों ने पहले उन्हें बाईपैप मशीन से बचाने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुए तो वेंटीलेटर पर रखा गया। इस बीच परिजनों ने प्लाज्मा थेरेपी की इच्छा जाहिर की और खुद घरवालों ने ठीक हुए कोरोना संक्रमित के प्लाज्मा का इंतजाम करवाया। 

आईसीयू प्रभारी और पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आनंद कुमार के मुताबिक एक यूनिट थेरेपी दी गई मगर संक्रमण कम करने में कामयाबी नहीं मिली। संक्रमण इतना बढ़ गया था कि मरीज एक्यूट एक्यूट रेस्पिरेटरी फेल्योर से बचाया नहीं जा सका। एक अन्य मरीज को भी यह थेरेपी दी गई है। हालांकि वह पहले ही कुछ बेहतर स्थिति में था। उसमें कुछ सुधार है मगर खतरे में अब भी है। डॉ. आनंद कुमार के मुताबिक इलाज के लिए यह थेरेपी मरीजों की इच्छा पर दी जाएगी। वैसे दिल्ली में इस थेरेपी से काफी लोगों की हालत सुधारने में मदद मिली है।

थेरेपी से कुछ वक्त मिल जाता
डॉ आनंद कुमार के मुताबिक प्लाज्मा में मौजूद कोरोना एंटीबॉडी चढ़ाने पर कुछ वक्त मरीज को मिल जाता है। उसे दी जा रही दवाओं के असर में मदद मिलती है। शरीर को कुछ अपनी ओर से प्रतिरोधक क्षमता तैयार करने का समय मिल जाता है। इस बीच बाकी सपोर्टिव इलाज से मरीज को राहत मिल जाती है।

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