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प्रशासन ने क्‍लीनिक पर बुल्‍डोजर चलाया तो डॉक्‍टर ने मलबे पर बैठकर देखने शुरू कर दिए मरीज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. गोरखपुर के सुमेर सागर क्षेत्र में प्रशासन द्वारा अपनी क्लिनिक को ढहाए जाने के बाद डॉ.आरएन सिंह ने मलबे पर ही कुर्सी रखकर मरीजों का इलाज शुरू कर दिया। ये डा.आर.एन.सिंह वही हैं जिन्‍होंने साल-2005 से 2017 तक इंसेफेलाइटिस उन्‍मूलन के लिए गोरखपुर बस्‍ती मंडल में अभियान चलाया था। उन्‍मूलन के राष्‍ट्रीय कार्यक्रम की मांग को लेकर जगह-जगह कार्यक्रमों में खून से खत लिखने का सिलसिला चलाया और कुशीनगर के होलिया गांव में इंसेफेलाइटिस उन्‍मूलन के सूत्रों को लागू करके मॉडल पेश करने की कोशिश की थी।

उनका कहना है कि कोरोना के महात्रासद काल में जब क्लिनिक की अत्यधिक आवश्यकता है तो इसे ध्वस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण, अमानवीय, असंवैधानिक है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि कोरोना काल में बिना नोटिस या पूर्व सूचना के शंकर क्लिनिक को प्रशासन द्वारा 28 जुलाई को 15 मिनट में गिरा दिया गया। दरअसल, सुमेर सागर पोखरे पर हुए अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि वहां पहले ताल था जिसकी जमीन पर कुछ लोगों ने वर्षों से अवैध कब्‍जा कर रखा था। अब उन कब्‍जों को हटाकर ताल का सौन्‍दर्यीकरण कराया जा रहा है। इससे शहर की जलनिकासी की समस्‍या दूर होगी और एक नया रमणीक स्‍थल भी नागरिकों को मिल जाएगा। इसी क्रम में प्रशासन ने डॉ. आर.एन.सिंह के क्लीनिक को ध्वस्त कर दिया।

इस कार्यवाही को गलत और असंवैधानिक कहने के पीछे डॉ.आर.एन.सिंह का तर्क है कि उन्‍होंने जमीन खरीदने और क्‍लिनिक बनवाने से पहले उन्‍होंने हर वो प्रक्रिया अपनाई जो किसी भी सामान्‍य व्‍यक्ति को अपनानी चाहिए। उनके पास सारे वैध दस्‍तावेज हैं। उन दस्‍तावेजों पर तत्‍कालीन अधिकारियों के दस्‍तखत हैं। अब यदि इसके बाद भी प्रशासन की नज़र में उनका निर्माण अवैध था तो यह उस समय उन महत्‍वपूर्ण पदों पर तैनात रहे प्रशासनिक अधिकारियों और उनके मातहतों पर सवाल है। वर्षों बाद उन्‍हीं पदों पर बैठे नए अधिकारियों ने जनता की सेवा कर रहे क्लिनिक को महामारी काल में ध्‍वस्‍त करा दिया। स्‍पष्‍ट है कि या तो पहले के अधिकारियों ने गलत किया या अब के अधिकारी गलत कर रहे हैं इसलिए इस पूरे प्रकरण में उच्‍च स्‍तरीय जांच कराकर जवाबदेही और जिम्‍मेदारी तय की जानी चाहिए। जनता और मासूम बच्‍चों को संकट काल में इस तरह उनके क्लिनिक से महरूम नहीं किया जाना चाहिए। प्रशासन की हठधर्मिता और गलती के कारण ऐसा न हो इसलिए वह मलबे पर बैठकर इलाज कर रहे हैं। 

समर्थन में आगे आया आईएमए, डीएम को लिखी चिट्ठी
डॉ.आर.एन सिंह के समर्थन में आईएमए भी आगे आया है। उनके क्लीनिक के ध्वस्तीकरण पर आईएमए ने सवाल उठाते हुए डीएम को पत्र लिखा है। आईएमए ने मामले की निष्‍पक्षता से जांच कराने की मांग की है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ एसी कौशिक और सचिव डॉ राजेश गुप्ता ने डीएम को भेजे पत्र में बताया है कि डॉ. आरएन सिंह ने क्लीनिक को वर्ष 2002 में खरीदा था। रजिस्ट्री और खारिज दाखिल राजस्व विभाग की ओर से किया गया था। विकास प्राधिकरण ने इस पर निर्माण की अनुमति दी थी। 

नगरपालिका ने जनधन से यहां सड़क, नाली आदि सामुदायिक सुविधा का निर्माण किया था। हाउस टैक्स के रूप में वसूली करता था। बिजली विभाग ने व्यवसायिक कनेक्शन दिया था। उच्च न्यायायल में इसे लेकर एक वाद भी दाखिल है, जिसकी सुनवाई अगस्त माह में होनी है। ऐसी स्थिति में इन तथ्यों को दरकिनार कर उनकी अनुपस्थिति में ताला तोड़कर, बिना नोटिस दिए ही ध्वस्तीकरण कर दिया गया। आईएमए ने कहा है कि अगर निर्माण अवैध था, तो यह राजस्व विभाग की अनियमितता और भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। आईएमए इसका विरोध करता है। ऐसे में मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्‍त कार्यवाही की जानी चाहिए।
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