Today Breaking News

मुख्तार अंसारी के बाद भाई व सांसद अफजाल अंसारी की बिल्डिंग गिराने की तैयारी, कभी भी चल सकती है जेसीबी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बाहुबली मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों की बिल्डिंग गिराने के बाद अब प्रशासन व एलडीए की नजर मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी की इमारत पर लग गई है। जिलाधिकारी ने जियामऊ के गाटा संख्या 93 की जिस जमीन को निष्क्रान्त संपत्ति घोषित की है। अफजल अंसारी की बिल्डिंग भी उसी में बनी है। 
मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों अब्बास अंसारी तथा उमर अंसारी की दोनों बिल्डिंग गिराने के बाद आप प्रशासन व एलडीए के अधिकारी अफजाल अंसारी की बिल्डिंग को गिराने की जोड़-तोड़ में लग गए हैं। जिलाधिकारी ने 14 अगस्त 2020 को जियामऊ के गाटा संख्या 93 की जमीन के सभी खातेदारों का नाम खारिज कर दिया है। जमीन को निष्क्रान्त घोषित कर दिया है।

इसी जमीन मुख्तार अंसारी के बेटों की बिल्डिंग बनी थी। अब पता चला है की इसी गाटा संख्या 93 पर ही अफजाल अंसारी की भी बिल्डिंग है।  उनका भूखंड संख्या 23/14 बी है जो कि मुख्तार के बेटों की बिल्डिंग के ठीक पीछे है। डीएम ने 14 अगस्त को एलडीए उपाध्यक्ष को लिखे पत्र में इस जमीन को भी सुरक्षित कराने को कहा है।

इसलिए कल नहीं गिराई जा सकी अफजाल की बिल्डिंग
मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों के साथ ही अफजाल अंसारी की बिल्डिंग भी गिराई जानी थी, लेकिन इसमें एक कानूनी पेच फंस गया। जिलाधिकारी ने कार्रवाई के लिए भले ही लिखा था लेकिन अफजाल की बिल्डिंग की एनओसी नहीं निरस्त की। प्रशासन व नगर निगम ने अफजाल का नक्शा पास करने के लिए एलडीए को एनओसी दी थी। एनओसी के बाद 2007 में एलडीए ने अफजाल की बिल्डिंग का नक्शा पास किया। अफजाल अंसारी ने नक्शे का पैसा भी जमा किया और नियमानुसार निर्माण भी कराया। इसीलिए एलडीए कल इसे नहीं गिरा सका। जिला प्रशासन के एनओसी निरस्त करने पर यह भी गिरेगी। 

जिसे गाटा संख्या 93 को निष्क्रान्त घोषित किया उसमें बने हैं 50 से ज्यादा मकान
जिलाधिकारी ने जियामऊ के जिस गाटा संख्या 93 की पूरी जमीन को निष्क्रान्त संपत्ति घोषित की है उस पर करीब 50 और बिल्डिंग बनी है। कुछ बहुमंजिला भी हैं। इससे इन इमारतों पर भी खतरा मंडराने लगा है। इनकी जमीनों को भी प्रशासन कब्जे में ले सकता है।

32 लाख शुल्क जमा किया होता तो अब्बास व उमर की बिल्डिंग भी आसानी से न गिरती
मुख्तार अंसारी की बिल्डिंग भी गिराना एलडीए के लिए आसान ना होता अगर उनके दोनों बेटों ने नक्शा पास करने का शुल्क जमा कर दिया होता। प्राधिकरण ने इनका कंडीशनल नक्शा मंजूर किया था। दोनों को 32 लाख रुपए शुल्क जमा करना था। जो नहीं किया। नगर निगम से एनओसी भी नहीं मिली। इधर दोनों ने बिना नक्शा जारी हुए बिल्डिंग बना डाली।
'