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श्रीराम की यशगाथा को पूरे विश्व में साक्ष्यों सहित मान्यता दिलाने में जुटी योगी सरकार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। अब तक के शोध और सर्वेक्षण से यह बात साफ हो गयी है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की यशगाथा सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के अनेकानेक देशों तक फैली हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार रामायण विश्व कोश और अयोध्या शोध संस्थान के शोध सर्वे के जरिये समूचे विश्व में श्रीराम के व्यक्तित्व और कृतित्व को मान्यता दिलाना चाहती है। 

अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा.योगेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं कि  दक्षिण पूर्व एशिया के देश थाईलैण्ड, वियतनाम, इण्डोनेशिया, कम्बोडिया और कैरेबियन देश वेस्टइंडीज, सूरीनाम व मॉरीशस में रामायण और श्रीराम से संबंधित अनेक प्रसंग जीवंत हैं।

मध्य पूर्वः 
इराक मध्य एशिया में राम के गुफा चित्र लगभग 4000 वर्ष प्राचीन हैं। ईरान-इराक की सीमा पर बेलुला के पास प्राप्त हुए चट्टानों पर चित्र अत्यंत स्पष्ट हैं। 
मिस्र : इस देश में 1,500 वर्ष पूर्व राजाओं के नाम तथा कहानियां ‘राम‘ की भांति ही है। 

रूस: ‘राम‘ गेन्नादी मिरवाइलोविच पिचनिकोय मास्कों में बीते कई वर्षों से रामलीला का प्रशिक्षण देते रहे। रूस के संत को भारत से पद्म श्री जैसा पुरस्कार दिया गया है। 

इटली: पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व रामायण से मिलते-जुलते चित्र प्राप्त हुए हैं। इसमें शोध किये जाने की सम्भावना है। प्राचीन इटली की एट्रस्कैन सभ्यता कला में रामायण सातवीं शताब्दी ई-पूर्व से प्रारम्भ होकर चौथी शताब्दी तक एट्रस्कैन सभ्यता मध्य इटली रोम से पश्चिम तक टस्कनी आदि राज्यों तक फैलाव रहा।  इटली में प्राप्त इन चित्रों में राम लक्ष्मण सीताजी का वन गमन, सीताहरण, लव-कुश का घोड़ा पकड़ना, हनुमानजी का संजीवनी लाना आदि प्रमुख हैं। प्राचीन इटली में ‘रावन्ना‘ क्षेत्र मिलता है, जो रावण की कथा के समान है। यहां कुछ कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं, जिनमें स्वर्ण मृग, मारीच, सीताहरण की कथा बिल्कुल समान है। मुखौटा हटाकर रावण द्वारा सीता माता का हरण स्पष्ट अंकित है।

आकाशमार्ग से उड़ते हुये घोड़ों के साथ चित्र में जटायु का प्रसंग भी अंकित मिलता है। केवल चित्रों में इतनी समानतायें मिलना व स्थान, स्थल आदि के नाम भी रामजी से संबंधित हैं। रोमन सभ्यता से पहले की इसी सभ्यता ने रोम का नामकरण किया है।

ब्रिटेन: फेडरिक सालवन ग्राउस ने 1865 में रामचरितमानस का अंग्रेजी में पहला अनुवाद किया था, जो 700 पृष्ठ में है। ग्राउस जी मथुरा के जिलाधिकारी रहे।

होन्डुरास: मध्य अमेरिका के इस देश में हनुमानजी की प्रतिमा व विशाल शहर घने जंगलों में मिला है। इस खोज को किये जाने से मध्य अमेरिका महाद्वीप के सांस्कृतिक सम्बन्धों को नयी दिशा मिलेगी।

कैलिफोर्निया: अमेरिका के इस प्रान्त के स्कूलों में विगत कई वर्षों से जून के प्रथम सप्ताह में रामलीलाओं को आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के लिए सैकड़ों बच्चे लगभग तीन माह तक प्रशिक्षण लेते हैं। यह दुनिया के लिए उदाहरण है।

कम्बोडिया: वैन्टेन छमार अंकोरवाट से लगभग 100 किलोमीटर दूर थाईलैण्ड की सीमा से लगा हुआ 7वीं-8वीं शताब्दी का महत्वपूर्ण स्थल है। यह वर्तमान में भग्न अवस्था में है, परन्तु पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की सभ्यता का केन्द्र है। बाल्मीकि रामायण कोंच पक्षी की करूणा से प्रारम्भ हुआ और यह प्रसंग इस दृश्य में सजीव हो उठा है।

लाओस: 14वीं शताब्दी में जब वर्मा द्वारा थाईलैण्ड की प्राचीन राजधानी ‘अयुध्या’ पर आक्रमण कर ध्वस्त किया जा रहा था, तब बहुत लोग भागकर वर्तमान नगर बैंकाक पहुंचे और नया शहर बसाया। कुछ लोग लाओस के दुर्गम स्थान लुअंग प्रबंग पहुंचे व बौद्ध संस्कृति के साथ रामायण मंदिर भी बनाया।
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