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भारत-नेपाल बॉर्डर पर बढ़ी ISI की घुसपैठ, NIA अलर्ट

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बरेली. कराची की प्रेस में छापे 2000 और 500 के जाली नोटों को दाऊद के गुर्गों के जरिए आईएसआई नेपाल के रास्ते भारत भेज रही है। नेपाल और बांग्लादेश में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में बहेड़ी और पीलीभीत में पकड़ी करीब सवा लाख रुपये के जाली नोटों की खेप को इसी रैकेट से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में एनआईए के अफसरों ने नेपाल बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है। 
दिल्ली में पीलीभीत के कारोबारियों से 1.20 लाख के जाली नोट पकड़े जाने के बाद एनआईए, एटीएस समेत देश की सभी सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी जांच पड़ताल शुरू कर दी है। नोटबंदी के बाद 2000 और 500 के जाली नोटों की सबसे पहले बड़ी खेप नवंबर 2019 में नेपाल के काठमांडू में पकड़ी गई थी। एक पूर्व मंत्री के बेटे और पाकिस्तानी एजेंट के पास सुरक्षा सुरक्षा एजेंसियों ने 7.77 करोड़ के जाली नोट पकड़े थे।

इसके बाद से खुफिया एजेंसियां लगातार नेपाल और बांग्लादेश के बॉर्डर पर नजरें गड़ाये हुए है। जाली नोटों की बढ़ती खेप के साथ सुरक्षा एजेंसी भी चौकन्नी हो गई है। पीलीभीत और बहेड़ी के कुछ लोगों को हिरासत में लेकर उनके नेटवर्क को खंगालने की कोशिश की जा रही है। 

एक के बदले तीन जाली नोट दे रहा डिस्ट्रीब्यूटर
जाली नोटों का पूरा रैकेट नेपाल बॉर्डर पर चल रहा है। भारत नेपाल बॉर्डर खुला होने की वजह से आसानी से जाली नोटों को उत्तराखंड, बरेली, पीलीभीत, खीरी से लेकर गोरखपुर, पूर्वांचल तक भेजा जा रहा है। पाकिस्तान में दाऊद के डिस्ट्रीब्यूटर एक असली नोट के बदले तीन नकली नोट दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि नेपाली डिस्ट्रीब्यूटर 10 प्रतिशत कमीशन लेने के बाद जाली नोटों को यूपी और उत्तराखंड के जरिए देश के अन्य राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं। खुफिया विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान ने इस बार 500 और 2000 के जो जाली नोट तैयार किये हैं। इन नोटों को पाकिस्तान की सरकारी प्रेस में छापा गया है। उनके कागज और स्याही में इतनी ज्यादा समानता है कि बैंक के अधिकारी भी धोखा खा जा रहे हैं। जाली नोट बाजार और लोगों के हाथों में होते हुए अब एटीएम और बैंक में पहुंच गए हैं। एसबीआई में अपडेट करेंसी चेस्ट मशीनें लगी हैं। जहां पर नोट को फिल्टर किया जा सकता है। इसके अलावा उनकी पहचान करना मुश्किल है।

ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का जाली नोटों में इस्तेमाल
ऑप्टिकल वेरिएबल विशेष तरीके की स्याही है। इसका इस्तेमाल 2000 और 500 के नोट के धागे पर होता है। इसकी खासियत है कि यह नोट पर हरे रंग की दिखाई देती है। इससे असली और जाली नोट एक जैसे दिखते हैं। खास किस्म की स्याही एक विदेशी कंपनी बनाती है। कंपनी भारत समेत कुछ देशों में ही इसकी सप्लाई करती हैं। पाकिस्तान सरकार की मदद के बगैर इस स्याही का इस्तेमाल जाली भारतीय नोटों को छापने में नहीं किया जा सकता है। इस स्याही के इस्तेमाल से साफ जाहिर है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह पर ही पाकिस्तान की सरकारी प्रेस में भारतीय जाली करेंसी को छापा जा रहा है।

ब्लडलाइन और डिजिट नंबर हूबहू कापी
नोटबंदी के बाद पूरे देश में जाली नोटों का सफाया हो गया था। आतंक के अडडे और अवैध गतिविधियों को चलाने वालों की नोटबंदी की प्रक्रिया ने कमर तोड़ दी लेकिन नोटबंदी के नये नोट की कॉपी किया गया है। नए नोट में सात लाइने नेत्रहीनों को नोट की पहचान आसानी से कराने में मदद करती हैं। नोट को गोलाकार में मोड़ने पर इन लाइनों के आपस में हुए तरीके से मिलना अब तक लगभग नामुमकिन समझा जाता था। जाली नोट में इसको भी कापी कर लिया है।

ऐसे करें जाली नोटों की पहचान 
जाली नोटों के निचले हिस्से पर अंकों में लिखें 500 के नोट और ब्रीड लाइन को ग्रीन इंक से लिखा गया है। नकली नोट को आड़ा तिरछा करने पर वह ग्रीन रहता है जबकि असली नोट कलर बदलकर नीला और काले की तरह हो जाता है।

पीलीभीत और बहेड़ी के कुछ लोगों के पास 100 के जाली नोट मिले हैं। हाई प्रिंटिंग के नोट हैं। दिल्ली पुलिस उसकी जांच कर रही है। 2000 और 500 के जाली नोटों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां नेपाल बार्डर पर चौकसी बरत रही हैं। - राजेश कुमार पांडेय, डीआईजी रेंज
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