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होम आइसोलेशन में टूट रहे नियम, बढ़ते जा रहे कोरोना के मरीज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. केस एक- गोरखपुर के तिवारीपुर में एक परिवार के दो सदस्य संक्रमित हुए। परिवार में आठ सदस्य हैं। तीन कमरे के घर में एक ही शौचालय है। इसके बावजूद परिजनों ने होम आइसोलेशन में इलाज कराना शुरू किया। इसके कारण परिवार के दूसरे सदस्यों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।
केस दो- गोरखपुर के ही गोरखनाथ क्षेत्र में रहने वाले व्यापारी परिवार के दो सदस्य संक्रमित हैं। एक अस्पताल में भर्ती है। जबकि दूसरा होम आइसोलेशन में है। दो दिन गुरुवार को रैपिड रिस्पांस टीम जब घर पर पहुंची तब सदस्य ताला बंद कर घूमने गए थे। वह कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहें। 

ये दोनों मामले महज बानगी भर हैं। दरअसल होम आइसोलेशन में रहने वाले कुछ लोग कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। वे बेखौफ घूम रहे हैं। उनके कारण कॉलोनी के लोग व परिजन संक्रमण के खतरे की जद में आ गए हैं।

जिले में 22 जुलाई से होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू हुई है। तब से अब तक 90 फीसदी संक्रमितों ने इस सुविधा को पहली प्राथमिकता में चुना है।  अब तक करीब आठ हजार लोगों ने होम आइसोलेशन में इलाज को वरीयता दी है। इनमें से तीन हजार का इलाज अब भी चल रहा है। होम आइसोलेशन में रहने के दौरान संक्रमित व परिजन नियमों को पूरी तरह से पालन नहीं कर पा रहे हैं।

10 दिन बाद भी न हों निश्चिंत 
गोरखपुर के सरकारी अस्पताल से जुड़े एक जूनियर इंजीनियर संक्रमित हैं। वह 20 दिन से होम आइसोलेशन में हैं। गुरुवार को उन्होंने जांच कराई। जांच में वह फिर पॉजिटिव मिले। होम आइसोलेशन में रहने के दौरान कुछ लोग सिर्फ 10 दिन तक ही एहतियात बरत रहे हैं। उसके बाद वह बीमारी व प्रसार को लेकर निश्चिंत हो जा रहे हैं। यह रवैया सही नहीं है। 

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी व चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि अधिकांश संक्रमित 10 दिन बाद ठीक हो जाते हैं लेकिन सभी नहीं। कुछ संक्रमितों में वायरस लोड 20 दिन तक मिला है। ऐसे लोग संक्रमण फैला सकते हैं। ऐसे में संक्रमित को सार्वजनिक जीवन में लौटने से पूर्व जांच जरूर करा लें।

सीएमओ के परिवार ने घर में ही दी कोरोना को मात
डायबिटीज से पीड़ित 61 वर्षीय सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी व उनकी पत्नी व बेटी ने घर में ही सतर्कतापूर्वक कोरोना को मात दी। सीएमओ ने बताया कि बेटे और बहू पहले संक्रमित हुए। दोनों अस्पताल में भर्ती हुए। कुछ दिन बाद मैं, पत्नी और बेटी भी संक्रमित हो गए। हमने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना। घर से सभी कर्मचारियों की ड्यूटी हटा दी। आइसोलेशन का कड़ाई से पालन किया। पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन का लेवल चेक करवाते रहे। योग-व्यायाम और घर के भीतर सुबह-सुबह टहलना, काढ़ा पीना और दवाइयों के सेवन को जिंदगी का हिस्सा बनाया और स्वस्थ हो गया।

निगेटिव होने के बाद भी रहें सतर्क
सीएमओ कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक ने भी होम आइसोलेशन का ही विकल्प चुना था। वह आठ दिनों तक होम आइसोलेशन में रहे लेकिन कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद सांस संबंधित दिक्कत हुई तो उन्होंने फौरन अस्पताल का विकल्प चुना। वह बताते हैं कि मधुमेह और सांस के रोगियों को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी सतर्क रहना चाहिए। मेरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद लूज मोशन और सांस लेने में दिक्कत हुई तो मैंने अस्पताल का विकल्प चुना। होम आइसोलेशन में भी अस्पताल के लिए तैयारी हमेशा रखनी चाहिए।
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