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कई जिलों में कोरोना किट खरीद में बड़े घोटाले का पर्दाफाश, एक्शन में योगी सरकार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सात जिलों में कोरोना जांच किट खरीद में धांधली सामने आई है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से डोर-टु-डोर सर्वे के लिए ग्राम पंचायतों को थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सिमीटर खरीदने को कहा गया था। शुरुआती जांच में पता चला है कि सुलतानपुर के अलावा चंदौली, प्रतापगढ़, मैनपुरी, झांसी, फर्रुखाबाद और पीलीभीत में दोगुने से अधिक दाम पर खरीदी की गई। इन जिलों में डीएम ने जांच टीमें गठित कर दी हैं।
इन जिलों में सामने आई धांधली
जानकारी के मुताबिक, प्रतापगढ़ में 2,700 रुपये के चाइनीज थर्मल स्कैनर और ऑक्सिमीटर को 12,500 रुपये में खरीद कर 1,255 ग्राम पंचायतों से बिल का भुगतान करने को कहा गया। वहीं, 100 से ज्यादा पंचायतों ने भुगतान भी कर दिया है।

चंदौली में पंचायती राज विभाग ने 734 ग्राम सभाओं और 65 नगर निकाय वार्डों के लिए 1,598 थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सिमीटर दोगुना से ज्यादा दाम पर खरीदे। वहीं, पीलीभीत में बिना टेंडर प्रक्रिया के एक ही कंपनी से 47.21 लाख रुपये से अधिक की खरीद कर 720 ग्राम पंचायतों को बिल भेज दिए गए।

दोगुने दामों में खरीदे गए ऑक्सिमीटर
मैनपुरी में भी ग्राम पंचायतों ने स्कैनर और ऑक्सिमीटर की खरीद बाजार से दोगुने दाम पर खरीद की। यहां ढाई हजार रुपये के उपकरणों के लिए 55सौ से छह हजार रुपये का भुगतान किया गया। झांसी में 1500 रुपये का ऑक्सिमीटर 4000 रुपये में खरीदने और फर्रुखाबाद में एक ही कंपनी से दोगुने दाम पर खरीद का पता चला है।
पूरे मामले पर पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सुलतानपुर में खरीद में शिकायत मिली थी। वहां के अधिकारी को तय रेट में भी भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर अन्य जिलों से भी ऐसी शिकायतें मिलती हैं तो विभाग प्रदेशस्तर पर खरीद की जांच करवाएगा।

शासन से रोक के बाद भी चलती रही किट की खरीद
शासन के आदेश को दरकिनार कर डोर-टू-डोर सर्वेक्षण के लिए पल्स ऑक्सिमीटर और आईआर थर्मामीटर की खरीदी हुई। 19 जून को मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी ने आदेश जारी किया था कि सभी विभागों में जेम पोर्टल से ही खरीद की जाए।

यदि कोई वस्तु, सामग्री, सेवा जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, तो पत्रावली पर विभागाध्यक्ष अथवा कार्यालयाध्यक्ष स्वयं प्रमाणित करेंगे, कि वह वस्तु जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। इसके बाद ही ई-टेंडर के जरिए खरीद होगी। यदि किसी भी दूसरी प्रक्रिया से खरीद होती है तो वह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में मानी जाएगी।
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