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इस प्यार को क्या नाम दूं...बहुत दर्दभरी है सिपाही रिंकी राजपूत की मौत की कहानी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. एक फिल्म के गीत के बोल- इस प्यार को क्या नाम दूं.., फतेहपुर की रहने वाली सिपाही रिंकी के प्रेम के लिए भी कुछ ऐसा ही सवाल छोड़ रहे हैं। आज इस दुनिया में रिंकी तो नहीं है लेकिन उसके प्यार की दर्द भरी कहानी हर किसी की आंखों में आंसू जरूर ला देती है। प्यार के लिए घर-बार और परिवार को दरकिनार करने वाली रिंकी का हमसफर ही बीच रास्ते साथ छोड़ गया तो पुलिस वाला सख्त कलेजा रखने वाली रिंकी भी सदमा बर्दाश्त न कर सकी और 15वें दिन उसने भी दुनिया को अलविदा कह दिया


नौकरी लगने पर घरवाले करने लगे थे प्यार का विरोध
फतेहपुर के कल्याणपुर थानांतर्गत गौसपुर की मूल निवासी 25 वर्षीय रिंकी राजपूत उरई (जालौन) में कलेक्ट्रेट परिसर स्थित अभियोजन कार्यालय में बतौर सिपाही तैनात थी। दरअसल, नौकरी लगने से पहले रिंकी के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसपर पड़ोसी एलएलबी छात्र मनीष लोधी ही उसकी पढ़ाई-लिखाई से लेकर नौकरी के फार्म भरवाने तक का खर्च उठाता था। तब रिंकी के घरवाले कुछ नहीं बोलते थे लेकिन उसकी नौकरी लगने के बाद विरोध करना शुरू कर दिया। जालौन के रामपुरा थाना में पहली तैनाती होने पर घर वालों ने रिंकी की शादी दूसरी जगह तय कर दी थी।

प्रेमी को जालौन बुलाकर किया था प्रेम विवाह
रिंकी खराब समय में साथ देने वाले और पुलिस की नौकरी के मुकाम तक पहुंचाने वाले मनीष को दगा नहीं देना चाहती थी। मनीष से सच्चा प्यार करने वाली रिंकी ने घर और परिवार को दरकिनार कर दिया और दो साल पहले ही तैनाती के दौरान ही मनीष को बुलाकर जालौन के एक मंदिर में प्रेम विवाह कर लिया था। इसके बाद पति के साथ उरई के शिवपुर में किराये के कमरे में रह रही थी। उसका छह माह का दुधमुंहा बेटा भी है।



पिता, भाई व मामा ने उजाड़ दिया मांग का सिंदूर
रिंकी का प्रेम विवाह उसके घरवालों को नागवार गुजरा। 27 अगस्त को परिवार वाले जालौन शिवपुरी रिंकी के पास मिलने आए थे। हंसी खुशी रिंकी ने सभी के लिए खाना बनाया था। खाना खाने के दौरान परिवार वालों की किसी बात पर कहासुनी हो गई। इसके बाद खाना खाने के समय ही चाकुओं से गोदकर मनीष की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से रिंकी बदहवास हो गई थी। पुलिस ने रिंकी के पिता प्रेम सिंह राजपूत, भाई अंकित राजपूत एवं मामा देशराज को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। इसपर व्यथित रिंकी अपने दुधमुंहे बेटे को लेकर ससुराल आ गई थी, यहां से वह पांच सितंबर को ममिया ससुर राम विशाल राजपूत के पास फतेहपुर के लोटहा थाना गाजीपुर आई थी।

रिंकी ने खत्म कर ली जिंदगी
पति की मौत के बाद से रिंकी बेहद व्यथित थी और उसका कहीं भी मन नहीं लग रहा था। हर वक्त वह उन बीते हुए पलों को याद करके परेशान रहती थी। ममिया ससुर के घर आई रिंकी ने बीते गुरुवार रात फांसी लगाकर जान दे दी। पति की मौत के 15वें दिन उसके जान देने से घर में कोहराम मचा है और पंद्रह दिन के अंदर माता-पिता का साया उठ जाने से छह माह का मासूम शिवांश अनाथ हो गया है। मां-पिता की मौत से अनजान मासूम को देखने वालों की आंखें भी बरबस ही नम हो जाती हैं।



...अब मैं जा रही हूं अपने बाबू के पास
खुदकुशी से पहले रिंकी ने सुसाइड नोट भी लिखा था। इसमें लिखा है-मुझे क्षमा करना, अब मै अपने बाबू (पति) के पास जा रही हूं, ससुरालीजन से पति के हत्यारे पिता, भाई व मामा को सख्त से सख्त सजा दिलाने की बात लिखी है। लिखा है कि पति मनीष की इच्छा थी कि बेटे के बड़ा होने पर उसे इंजीनियर बनाएंगे। इसलिए देवर-बेटा मंजीत उसके छह माह के बेटे शिवांश की अच्छी परवरिश करके इंजीनियर ही बनाना और ससुर विश्वनाथ सिंह लोधी के हिस्से की जमीन में बेटे को हिस्सा भी देना ताकि उसे कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े। एसओ कमलेश पाल ने बताया कि पति की याद में अवसाद में आकर सिपाही रिंकी ने जान दी है। 

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