बसपा में बगावत : अपने होते रहे बेगाने, जो गया उसे जाने दिया गया
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बसपा में बगावत कोई नई बात नहीं है। यूपी की राजनीति में अगर देखा जाए तो सबसे अधिक बगावत बसपा के ही खाते में रही है। चाहे जो भी दौर रहा हो, बसपा में बगावत के सुर हमेशा मुखर होते रहे हैं। इन सबके बावजूद बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसकी कभी परवाह नहीं की। जो गया उसे जाने दिया...।
वोट नहीं फिर भी लगाया दांव
मायावती यह बाखूबी जानती थी कि रामजी गौतम को राज्यसभा पहुंचाने के लिए उनके पास जरूरत भर वोट नहीं है। इसके बाद भी उन्होंने दांव खेला। रामजी गौतम को मैदान में उतार कर सभी को चौंकाया। राजनीतिक गलियारे में इसके मायने तलाशे जाने लगे। भाजपा के आठ उम्मीदवारों की घोषणा के बाद यह चर्चाएं शुरू हुई कि भाजपा और बसपा में नजदीकियां बढ़ रही हैं। मिशन 2022 में नए गठबंधन की नई संभावनाओं पर चर्चाएं शुरू हो गईं। इसी बीच सपा समर्थित प्रकाश बजाज ने मैदान में आकर सभी को चौंका दिया। इसके अगले ही दिन यानी बुधवार को बसपा विधायकों का बागी होना और उनका सपा मुख्यालय पर जाकर अखिलेश से मिलना, काफी कुछ साफ कर रहा है।
17 साल पुरानी घटना हुई ताजा
बसपा विधायकों के बगावत ने 17 साल पहले वर्ष 2003 की उस घटना की याद ताजा कर दी, जब मुलायम सिंह यादव ने कम विधायक होने के बावजूद बसपा के 13 विधायक तोड़ लिए और सरकार बना ली थी। यह मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और आखिरकार बसपा के विधायकों की सदस्यता रद्द हुई थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सपा सरकार ने करीब-करीब अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। उस समय बसपा के 37 विधायकों ने मायावती से बगावत करते हुए लोकतांत्रिक बहुजन दल के रूप में मान्यता दी गई, जिसका बाद में सपा में विलय हो गया।
अपने होते रहे बेगाने
बसपा से एक-एक कर अपने बेगाने होते रहे। राज बहादुर, आरके चौधरी, डा. मसूद, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, राम लखन वर्मा, भगवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर आदि अनेकों ऐसे नेता हैं जो बसपा से बाहर हो गए। इसमें से आरके चौधरी और सोने लाल पटेल ने अपनी पार्टी बना ली थी। विधानसभा चुनाव 2017 से पहले बसपा में ऐसी भगदड़ मची की स्वामी प्रसाद मौर्या, बृजेश पाठक, धर्म सिंह सैनी जैसे नेता निकल कर भाजपाई हो गए।