Ghazipur: बिजली हड़ताल से खुली घोटाले की पोल, जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. जिले में विद्युत संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर अनुबंधित संस्था और कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। जिले में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तैनाती में घोटाले की जांच शुरू हो गई है। मामले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारी नेताओं की मिलीभगत भी सामने आ रही है।
दस्तावेजों में हेर-फेर और उपकेंद्रों पर तैनाती का पूरा विवरण न मिलने के बाद डीएम ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर अनुबंधित संस्था और कर्मचारियों के दस्तावेजी साक्ष्य, भौतिक सत्यापन समेत अन्य बिंदुओं पर जांच शुरू करा दी है। कमेटी में विद्युत अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया गया है।
गाजीपुर में 92 उपकेंद्रों पर सरकारी कर्मचारियों के साथ संविदाकर्मियों की भी तैनाती की गई है। इसके लिए भारत इंटरप्राइजेज से अनुबंध के बाद 712 विद्युत संविदाकर्मियों को तैनाती दी गई है। सब स्टेशन के आधार पर नौ कर्मचारी से लेकर 12 कर्मचारियों तक की तैनाती हुई है। इनमें लाइनमैन, एसएसओ समेत अन्य पदों के कर्मचारी शामिल हैं। लाइनमैनों का मानदेय 6100 प्रति माह और एसएसओ का 7100 निर्धारित किया गया है।
पिछले दिनों निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर संविदा कर्मियों से आपूर्ति की तैयारी की गई लेकिन देर शाम कर्मचारी विद्युत उपकेंद्रों पर नहीं मिले। डीएम मंगलाप्रसाद सिंह ने संविदाकर्मियों का डाटा तलब किया तो तैनाती के अनुरूप संख्या भी कम मिली। आठ कर्मचारियों के तैनाती स्थल पर चार कर्मी ही काम करते मिले तो कहीं कर्मचारी ही नदारद थे। डीएम ने मामले की पड़ताल की तो सवालों में संस्था के कर्मचारी उलझ गए।
डीएम ने भारत इंटरप्राइजेज से तैनात कर्मचारियों की सूची तलब की है। उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच शुरू करा दी है। टीम इसी सप्ताह से जांच करेगी। टीम में शामिल अधिकारी अनुबंधित संस्था की सूची के अनुरूप कर्मचारियों का सत्यापन करेंगे। कर्मचारी के तैनाती स्थल, अनुभव समेत निर्धारित बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर सौंपेगे।
डीएम मंगलाप्रसाद सिंह का कहना है कि जिले में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान विद्युत व्यवस्था बिगड़ी तो संविदा में तैनाती की पर्ते मेरे सामने आईं। संविदा कर्मचारियों की तैनाती में प्रथम दृष्टया कई खामियां और घोटाले के सबूत मिले हैं। निर्धारित 712 पदों पर 600 कर्मचारी भी पूरी तरह से काम करते नहीं मिले हैं। हकीकत जांचने के लिए टीम गठित कर दी गई है और शासन को भी हालातों से अवगत कराया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।