Today Breaking News

13 साल में हुए 6 बार फेल फिर 7वीं बार में गोल्ड मैडल के साथ सेना में अफसर बने नरेन्द्र प्रताप सिंह

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रतापगढ़. ये कहानी हौसले की उड़ान की है, जिसे सच कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले किसान के बेटे नरेन्द्र प्रताप सिंह ने. घर की माली हालत खराब थी. इसलिए नरेन्द्र को पढ़ाई में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. तमाम परेशानियों को पार करते हुए नरेन्द्र भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशंड हुए हैं.

प्रतापगढ़ के कतरौली गांव के रहने वाले नरेन्द्र 12वीं तक की पढ़ाई घर के पास स्थित आदर्श इंटर कॉलेज मैलहन से की. बचपन से ही उनका सपना सेना में अधिकारी बनने का था. सो वक्त आ गया था एनडीए परीक्षा की तैयारी का. लेकिन घर की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते नरेन्द्र कोचिंग में एडमिशन नहीं ले पाये. लिहाजा उन्होंने कानपूर यूनिवर्सिटी में बीएससी में दाखिल ले लिया और सेना में जाने की तैयारी भी करने लगे.


2006 में बतौर जवान भर्ती हुए

दो साल बाद साल 2006 में नरेन्द्र सेना में बतौर जवान भर्ती हुए. लेकिन अभी भी सेना में अफसर बनने का सपना उनका पूरा नहीं हुआ था. इसलिए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी. इंग्लिश में पीजी, फिर एमबीए किया. साथ ही घर भी संभालते रहे.

2008 में नरेन्द्र इंटरनल एग्जाम पास कर एसएसबी तक पहुंचे. लेकिन सेना में अफसर बनने के लिए उन्हें एसएसबी क्लियर करना था. नरेन्द्र को भरोसा था कि वो एसएसबी क्लियर कर लेंगे, लेकिन वो फेल हो गये. इसके बाद 2011 और 2013 में उन्होंने आर्मी कैडेट कॉलेज का एग्जाम पास किया. लेकिन दोनों ही बार एसएसबी में फेल हो गये.


7वीं बार में बने अफसर

2015, 2017 और 2019 में नरेन्द्र ने स्पेशल कमीशंड ऑफिसर का एग्जाम दिया. लेकिन तीनों बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. बीच में सीडीएस की भी परीक्षा दी, पर उसमें भी फेल हो गये. 6 बार फेल होने के बाद नरेन्द्र का हौसला डगमगाया. पर वो कमजोर नहीं पड़े. तैयारी जारी रखा. फिर एक दिन सफलता का स्वाद उन्हें मिल ही गया. सेना में अधिकारी बनने का सपना लंबे संघर्ष के बाद पूरा हो ही गया. 2019 में नरेन्द्र सेना के इंटरनल एग्जाम पीसी (एसएल) में पास हो गये.


नरेन्द्र के मुताबिक 6 बार बैक-टू-बैक फेल होने के बाद लोग उन्हें तैयारी छोड़ने के लिए कहने लगे थे. लेकिन वो अपने सपने के पीछे भागते रहे. हर बार रिटेन निकाला, लेकिन एसएसबी में पिछड़ते रहे. आखिरकार अपनी जिद के चलते उन्हें सफलता मिल ही गई.


बतौर नरेन्द्र पीसी (एसएल) एग्जाम में देशभर के 19 लोगों को सलेक्शन हुआ था, जिन्हें इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून में ट्रेनिंग दी गई. बीते 17 अक्टूबर को पासिंग आउट परेड के बाद नरेन्द्र सेना में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशंड हुए हैं. इस दौरान फिजिकल एक्टिविटी के लिए उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला. 13 साल सेना में जवान की नौकरी करने के बाद आखिरकार नरेन्द्र को अफसर बनने का मौका मिल ही गया.

'