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काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले की अगली सुनवायी 15 अक्‍टूबर को

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर आज मंगलवार को अदालत में सुनवाई दोपहर में शुरू हो गयी। याचिका के एडमिट होने पर मंगलवार दोपहर बाद तक फैसला आने की उम्‍मीद जताई जा रही है। इस बाबत जिला कोर्ट तय करेगा कि केस सिविल कोर्ट या वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलेगा। इस बाबत जिला जज वाराणसी कोर्ट में सुनवाई को लेकर सुबह से ही परिसर में दोपहर में सुनवायी शुरू होने तक काफी गहमागहमी बनी रही। हालांकि, दोपहर बाद इस मामले में अगली तिथि 15 अक्‍टूबर की पड़ गई।

इससे पूर्व हुई सुनवायी के दौरान ज्ञानवापी मामले में पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता की ओर से दाखिल विलंब माफी के प्रार्थना पत्र को जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत ने तीन हजार रुपये जुर्माने के साथ मंजूर कर लिया था। अदालत ने एक सप्ताह के भीतर जुर्माने जमा करने का आदेश देते हुए निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तिथि नियत की थी।


सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने में हुए विलंब के लिए क्षमा मांगते हुए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। इस प्रार्थना पत्र पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने निर्धारित समयावधि के बाद याचिका दायर करने पर आपत्ति जतायी थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने निर्णय के लिए छह अक्टूबर की तिथि तय की थी, इसके बाद अगली तिथि 13 अक्‍टूबर नियत की गई थी।


ज्ञानवापी मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की पोषणीयता पर अपर जिला जज (प्रथम) राजीव कमल पांडेय की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने पर आपत्ति जताया। दलील दी गई कि सिविल जज का निर्णय अंतरिम आदेश है। इस आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दाखिल नहीं किया जा सकता। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता तौहिद खान की ओर से दलील दी गई कि सिविल जज का आदेश फाइनल आदेश है। फाइनल आदेश के खिलाफ  निगरानी याचिका पोषणीय है और ग्राहय करने योग्य (एडमिट) है। ऐसे में मेरी तरफ से दाखिल निगरानी याचिका को स्वीकार किया जाए। अपर जिला जज ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात सिविल जज की अदालत से संपूर्ण पत्रावलियों को तलब करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर कर दी।

 
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