Today Breaking News

Ghazipur: पंकज राय ने गेहूं, धान छोड़ स्ट्रॉबेरी उगा कमाए लाखों, अब कश्‍मीरी केसर की बारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. केंद्र सरकार दावा है कि साल 2022 तक देश के किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी। कुछ ऐसे किसान भी हैं जो सरकारी योजनाओं के भरोसे ना रहकर अपनी किस्‍मत खुद संवार रहे हैं। आज हम आपको गाजीपुर के ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान पंकज राय के बारे में बताएंगे जो पिछले दो सालों के दौरान स्‍ट्रॉबेरी की खेती कर लाखों रुपये कमा चुके हैं। पंकज अब केसर की खेती में हाथ आजमाने की तैयारी कर रहे हैं।

करीमुद्दीनपुर गांव के मूल निवासी पंकज राय ने पारंपरिक खेती को तिलांजलि देकर प्रयोगधर्मी खेती का रास्‍ता अपनाया। कुछ साल पहले उन्‍होंने अपनी पैतृक जमीन पर पॉलीहाउस का निर्माण करवाया। इस पॉलीहाउस में स्‍ट्रॉबेरी की खेती करने का निर्णय लिया। पंकज अपने पॉलीहाउस में उगाए गए स्ट्रॉबेरी को स्थानीय बाजार में ही 10 रुपये पीस के दर से बेच देते हैं। ऐसा करने से वह भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन बचा लेते हैं। इससे उन्‍हें मोटा मुनाफा हो जाता है।


केसर के लिए मुफीद है खेत की मिट्टी

पंकज ऑर्गेनिक खेती को एक कदम आगे ले जाते हुए अब कश्मीरी केसर उगाने की योजना पर काम कर रहे हैं। बातचीत में पंकज ने बताया केसर उगाने के लिए 5 से 7 पीएच वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही मौसम शुष्क ठंड वाला होना चाहिए। जहां तक मिट्टी की बात है तो केसर केशर उगाने के लिए मिट्टी के मानक की पुष्टि के लिए पंकज ने मृदा टेस्ट करवाया और उनके खेत की मिट्टी मानक अनुरूप पाई गई है। गौरतलब है कि मिट्टी का पीएच मिट्टी में अम्लता या क्षारीयता के माप स्तर को संदर्भित करता है। पीएच स्केल रेंज 7.0 न्यूट्रल के साथ 1.0 से लेकर14. 0 के बीच होती है। यदि मिट्टी का पीएच 7.0 से अधिक है तो यह क्षारीय है।


केसर की 500 नर्सरी मंगवाई

पंकज का दावा है कि पॉलीहाउस की मदद से वह आवश्यक शुष्क ठंड का वातावरण पैदा करने में कामयाब रहेंगे। कश्‍मीरी केसर की खेती के लिए इस सीजन में पंकज ने तकरीबन 500 नर्सरी मंगवाई हैं। इस साल वह केसर की खेती को प्रयोग के रूप में करेंगे। अगर व्यवसायिक रूप से मुनाफा हुआ तो अगले साल से इसकी व्‍यापक खेती करेंगे।


लाल भिंडी और पीली शिमला मिर्च का भी उत्‍पादन

इन सबके अलावा पंकज अपने पॉलीहाउस और खेतों में लाल भिंडी, पीली शिमला मिर्च के साथ ही केमिकल मुक्त खाद के उपयोग से लौकी, खीरा और बींस भी उगाते हैं। पंकज राय ने बताया कि खेती को अब तक घाटे का धंधा मानने वालों के लिए वह नई नजीर पैदा करना चाहते हैं। यही वजह है कि वह खेती को लेकर सदैव प्रयोगधर्मी बने रहते हैं।

'