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एआरटीओ कार्यालय गाजीपुर 'ठंडी में कबे से इंतजार करत बानी, लेकिन हाकिम आईबे ना अइलन अब हमरा समस्या के समाधान कईसे होई'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. शासन का निर्देश है कि अधिकारी और कर्मचारी अपने दफ्तरों में समय से उपस्थित होकर फरियादियों की समस्याओं का समाधान करें लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। गाजीपुर न्यूज़ टीम ने सोमवार को सुबह दस बजे सहायक संभागीय परिवहन विभाग (एआरटीओ) का जायजा लिया तो सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी मौजूद नहीं थे। अन्य पटलों पर भी कुर्सियां खाली नजर आईं। अलग-अलग कई कार्यालयों पर ताले लटके थे। डीएल समेत अन्य कार्यों से आए लोग अधिकारी और संबंधित कर्मचारी की प्रतीक्षा करते मिले। जबकि बिचौलिए आसपास सक्रिय नजर आए। जंगीपुर से आए जर्नादन ने बताया कि कई दिनों से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने कार्यालय आ रहे हैं। बिचौलिए अलग-अलग रेट बता रहे हैं। इस संबंध में एआरटीओ से मिलना है। उन्होंने भोजपुरी में कहा कि ‘ठंडी में कबे से इंतजार करत बानी, लेकिन हाकिम ना अइलन, अब हमरा समस्या के समाधान कईसे होई..।’

एआरटीओ कार्यालय के मुख्य गेट पर सोमवार की सुबह दस बजे होमगार्ड जगदीश यादव एवं दीनानाथ राम आने वालों का नाम रजिस्टर पर दर्ज करने के बाद ही अंदर जाने दे रहे थे। इसी बीच कर्मचारी वशिष्ठ भी पहुंचे। 10.05 बजे मुख्य गेट के पास सहायक संभागीय निरीक्षक इंजीनियर संतोष कुमार पटेल के कक्ष का ताला खुला था, लेकिन बाहर से कुंडी लगी थी। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि साहब के आने का कोई निश्चित समय नहीं है। एआरटीओ दफ्तर में लर्निंग लाइसेंस, आंख की जांच कराने और फाइल जमा करने के लिए ग्रामीण इलाके से आए लोगों की भीड़ लगी थी। सुबह 10.15 बजे पहुंचे सुपरवाइजर अनिल कुमार ने फाइल जमा करना शुरू किया जबकि अन्य लोग पटल सहायकों का इंतजार रहे थे। पूर्वांह्न 10.45 बजे तक सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी राम सिंह कार्यालय नहीं पहुंचे थे, वहीं पटल सहायक नदारद थे। एआरटीओ 11.5 पर कार्यालय पहुंचे। सुबह कोहरे और ठंड के बाद भी लोग घर से चलकर कार्यालय पहुंचे थे। लोगों को फोटो खिंचवाने एवं परीक्षा के लिए ऑनलाइन निर्धारित तिथि पर सुबह नौ बजे पहुंचना था। इसकेे लिए कतार लग गई थी। ऐसे में एक घंटे तक खड़ा रहा। दस बजे कक्ष खुला जरूर, लेकिन खिड़की बंद रही।- विवेक, सैदपुर।


काफी दिनों से लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। निर्धारित समय पर फाइल जमा करने के लिए सुबह साढ़े नौ बजे तक पहुंच गया था, लेकिन अब तक किसी कर्मचारी का पता नहीं है। ऐसे में विभागीय कर्मचारियों की मनमानी से आए दिन लोग परेशान होते हैं। - मुकेश कुमार, बेटावर खुर्द


घने कोहरे व ठंड के बावजूद समय से एआरटीओ कार्यालय तो पहुंच गया लेकिन संबंधित कर्मचारी का पता नहीं था। काफी पूछताछ के बाद भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। सुबह 10.15 बजे कक्ष में एक कर्मचारी पहुंचकर फाइल जमा करना शुरू किया। - आकाश राजभर, हंसराजपुर।


अगर समय से कर्मचारी अपने कक्ष में बैठकर काम करते तो शायद कतार में लोगों को खड़ा नहीं होना पड़ता, लेकिन स्थिति तो यह है कि यहां किसी के आने-जाने का कोई समय ही निर्धारित नहीं है। ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। - सूरजभान, विक्रमपुर सैदपुर

 
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