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वाराणसी-नई दिल्‍ली हाई स्‍पीड रेल कारीडोर की पांच प्रमुख बातें जो बदलेंंगी पूर्वांचल का भाग्‍य

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. नई दिल्‍ली - वाराणसी हाई स्‍पीड रेल कारीडोर का सर्वे शुरू हो चुका है। सर्वे की रिपोर्ट अप्रैल माह तक आने के बाद इस रूट पर अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू हो जाएगी। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड हाई स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार का एक संयुक्त उद्यम है जो इन दिनों लिडार तकनीक के सहारे नई दिल्‍ली से वाराणसी तक हाई स्‍पीड रेल कारीडोर का सर्वे कर रही है। कई मायनों में देश में बुलेट ट्रेन के आने का क्रम शुरू होने के बाद तेज गति के साथ ही अर्थव्‍यवस्‍था को भी गति देने की कवायद शुरू होगी जिसका लाभ पूर्वांचल को भी मिलना तय है। पांच प्रमुख बिंदुओं में जानिए कि आखिर योजना से कितना बदल जाएगा अपना पूर्वांचल।

पर्यटन को धार : उत्‍तर प्रदेश की दो प्रमुख धर्म नगरी अयोध्‍या और काशी को वाराणसी-नई दिल्‍ली हाई स्‍पीड रेल कारीडोर के जरिए जोड़ने का प्‍लान है। उम्‍मीद है कि इससे अयोध्‍या के विकास के साथ ही काशी में पर्यटन और धर्म आधारित गतिविधियों को गति मिलेगी। अयोध्‍या में एक ओर निर्माण जारी है तो दूसरी ओर काशी में कोरोना संक्रमण के बाद से ही मेगा परियोजनाओं को गति मिलने लगी है। पर्यटन के नक्‍शे पर काशी तो पहले से ही अव्‍वल रही है मगर अयोध्‍या में मेगा परियोजनाओं को जमीन मिलने के बाद से ही सरकार ही नहीं बल्कि देश विदेश के लोग भी रुचि लेने लगे हैं। धर्म आधारित पर्यटन को बुलेट ट्रेन से जुड़ाव होने की वजह से देश और विदेश के पर्यटकों की राह बुलेट ट्र्रेन तो सरल करेगी ही साथ ही अयोध्‍या और वाराणसी में उड़ान योजना के जरिए जल्‍द सफर पूरी करने को लेकर योजना पूरी होते ही छोटे रास्‍तों पर सफर की गति तेज होगी। इसका सीधा लाभ पर्यटन आधारित अर्थव्‍यवस्‍था को मिलेगा।   


अधिग्रहण की प्रक्रिया : किसी भी परियोजना में भूमि अधिग्रहण सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि है। हाई स्‍पीड रेल कारीडोर टीम ने परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए विस्तृत प्रक्रिया तैयार की है। रूट पर सर्वे के बाद यह कार्यशालाओं का आयोजन या कागज पर काम या मुआवजा विवरण में मदद करने के लिए काम करता रहा है। लिडार सर्वे के बाद रूट तय होते ही जमीन अधिग्रहण का दौर शुरू होगा। इसके लिए चार चरणों की तैयारी की गई है। पहले चरण में सेमिनार और प्रस्‍तुतिकरण के कार्यक्रमों का आयोजन होना है, दूसरे चरण में पेपर वर्क और तीसरे चरण में अधिग्रहण के लिए खाते खोलने की प्रक्रिया का अनुपालन पूरा किया जाएगा और अंतिम चरण में दावों का निस्‍तारण किया जाएगा। इस प्रकार चार चरणों में जमीन अधिग्रहण का कार्य पूरा होगा।  


पर्यावरण संरक्षण : नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से भूमि अधिग्रहण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी व्‍यापक स्‍तर पर पहल की गई है। इस बाबत नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार एनएचएसआरसीएल द्वारा वड़ोदरा, गुजरात में हाई स्‍पीड रेल कारीडोर के बीच मेंं आने वाले पेड़ों को काटने के बजाय उनको नए स्‍थान पर रोपा जा रहा है। वृक्ष हो चुके पेड़ों को उस रूट पर काटने के बजाय जड़ सहित उनको सावधानीपूर्वक हटाकर नए जगहों पर पूरे वृक्ष को रोपा जा रहा है। उम्‍मीद है कि हरियाली से परिपूर्ण इस हाई स्‍पीड रेल कारीडोर में कई पेड़ों को भी नए स्‍थानों पर रोपा जाएगा। परियोजना का यह हिस्‍सा पर्यावरण के हित में होने के साथ ही सफर करने वाले यात्रियों को भी हरियाली का अनुभव कराएगा। 


भारत-जापान सहयोग : जापान के तत्‍कालीन पीएम शिंजो आबे के वाराणसी दौरे और गंगा आरती में शामिल होने के पूर्व ही भारत जापान में बुलेट ट्रेन संचालन को लेकर समझौता हो चुका था। वाराणसी आने के दौरान ही शहर के लोगों को अंदेशा हो गया था कि आने वाले दिनों में जापान के सहयोग से इस रूट पर भी बुलेट ट्रेन भविष्‍य में दौड़ेगी। उसी समय घोषित जापान के सहयोग से बन रहे रुद्राक्ष कन्‍वेंशन सेंटर भारत और जापान के साझा सहयोग के केंद्र के तौर पर जाना जाता है। उम्‍मीद है कि आने वाले दिनों में इसके संचालन के साथ ही जापानी बुलेट ट्रेन तकनीक शिंकानशेन के माध्‍यम से यह रूट भी जुड जाएगा। हालांकि, इस रूट पर कौन सी ठ्रेन चलेगी इसका निर्णय नहीं हुआ है। हालांकि चीन के साथ खराब संबंधों का फायदा जापान को मिलना तय माना जा रहा है। इस लिहाज से इस रूट पर अधिक उम्‍मीद है कि 'शिंकानशेन' तकनीक की बुलेट ट्रेन ही दौड़ेगी।


रोजगार पर नजर : अभी तक पूर्वांचल के पिछड़ेपन की चर्चा ही संसद में होती रही है। गाजीपुर के सांसद गहमरी के द्वारा संसद में गोबर से अनाज बीनने की दुश्‍वारी की चर्चा कर पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल को विकास के रास्‍ते जोड़ने की कई मौकों पर प्रतिबद्धता दोहराई है। इस लिहाज से इस रूट पर बुलेट ट्रेन का सर्वे होने के बाद से लेकर इसको दौड़ानें तक रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। इस उम्‍मीद के साथ ही मेगा परियोजनाएं भी पूर्वांचल में अब आकार पा रही हैं। रोप वे से लेकर मेट्रो चलाने तक की संभावनाओं के बीच बुलेट ट्रेन पर सवार होकर रोजगार के अवसर भी यकीनन पूर्वांचल का रुख करेंगे और यहां का पिछड़ापन दूर होगा।

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