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कहानी: मजबूरियां

 ज्योति के साथ कब इतनी ज्यादा नजदीकियां बढ़ने लगी प्रकाश को इस बात का अंदाज नहीं लगा.

‘‘अब सिर दर्द कैसा है आप का?’’ थोड़ी देर बड़े प्रेम से सिर दबाने के बाद ज्योति ने प्रकाश से पूछा.


‘‘तुम्हारे हाथों में जादू है, ज्योति,’’ प्रकाश उस की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराया, ‘‘दर्द उड़नछू हो गया. अब मैं खुद को बिलकुल तरोताजा महसूस कर रहा हूं, पर यह कमाल हर बार तुम कैसे कर देती हो?’’ प्रकाश ने पूछा.


‘‘कौन सा कमाल?’’ ज्योति बोली.


‘‘मेरे थकेहारे शरीर और दिलोदिमाग में जीवन के प्रति उमंग और उत्साह भरने का कमाल,’’ प्रकाश ने जवाब दिया.


‘‘मैं कोई कमाल नहीं करती जनाब, उलटा मैं जब आप के साथ होती हूं तब मेरी जीवन बगिया के फूल खिल उठते हैं,’’ ज्योति ने कहा.


‘‘और जरूर उन्हीं खूबसूरत फूलों की शानदार महक मु झे यों मस्त और तरोताजा कर जाती है, डार्लिंग,’’ अपनी गरदन घुमा कर प्रकाश ने एक छोटा चुंबन ज्योति के गुलाबी होंठों पर अंकित कर दिया.


‘‘बड़ी जल्दी शरारत सू झने लगी है, साहब,’’ कहते हुए ज्योति के गोरे गाल शर्म से गुलाबी हो उठे.


‘‘तुम कितनी सुंदर हो,’’ अपना मुंह उस के कान के पास ला कर प्रकाश ने कोमल स्वर में कहा, ‘‘एक बात मु झे अभी भी बहुत हैरान कर जाती है.’’


‘‘कौन सी बात?’’ ज्योति ने पूछा.


‘‘हमारी जानपहचान अब 5 साल पुरानी हो गई है. सैकड़ों बार मैं तुम्हें प्रेम कर चुका हूं. पर अब भी मेरा छोटा सा चुंबन तुम्हारे रोमरोम को पुलकित कर जाता है. यही बात मु झे हैरान करती है.’’


‘‘है न कमाल की बात. अब जवाब दो कि जादूगर मैं हुई कि आप?’’ ज्योति शरारती अदा से मुसकराई तो प्रकाश ने इस बार एक लंबा चुंबन उस के होंठों पर अंकित कर दिया.


अपनी सांसें व्यवस्थित करने के बाद प्रकाश ने मुसकराते हुए जवाब दिया, ‘‘जादूगरनी तो तुम हो ही ज्योति. पहली मुलाकात के दिन से ही तुम्हारा जादू मेरे सिर चढ़चढ़ कर बोलने लगा था.’’


‘‘याद है आप को हमारी वह पहली मुलाकात?’’ ज्योति ने पूछा.


‘‘बिलकुल याद है, मीठे खरबूजे चुनने में तुम ने मेरी खुद आगे बढ़ कर मदद की थी,’’ प्रकाश बोला.


‘‘और मैं ने जब अपने खरीदे खरबूजे प्लास्टिक के थैले में डाले तो थैला ही फट गया और थैले में रखे आलूप्याज भी चारों तरफ बिखर गए थे. कितनी चुस्ती दिखाई थी आप ने उन्हें समेटने में. भला 3-4 आलूप्याज निकालने को खरबूजे वाले के ठेले के नीचे घुसने की क्या जरूरत थी आप को?’’ पुराना दृश्य याद कर के ज्योति खिलखिला कर हंस पड़ी.


‘‘अरे, अगर ठेले के नीचे न घुसता तो कील में अटक कर मेरी कमीज न फटती. अगर कमीज न फटती तो तुम अफसोस प्रकट करने की मु झ से ढेरों बातें न करतीं. तब हमारा आपस में न परिचय होता, न हम साथसाथ थोड़ी देर पैदल चलते. उस 15 मिनट के साथसाथ चलने में ही तो हमारे दिलों में एकदूसरे के लिए प्रेम का बीज पड़ा था, मैडम. इसलिए मेरा ठेले के नीचे घुसना बड़ा जरूरी था. यदि मैं ऐसा न करता तो दुनिया की सब से खूबसूरत, सब से प्यारी सर्वगुणसंपन्न युवती के प्यार से वंचित रह जाता या नहीं?’’ प्रकाश का बोलने का नाटकीय अंदाज ज्योति को हंसाहंसा कर उस के पेट में बल डाल गया.


‘‘तुम से उस दिन मिल कर पहली नजर में ही मु झे ऐसा लगा था जैसे मु झे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया हो,’’  प्रकाश की गोद में सिर रख कर लेटते हुए ज्योति ने भावुक स्वर में कहा.


‘‘और जब बाद में तुम्हें यह मालूम चल गया कि तुम्हारे सपनों का राजकुमार शादीशुदा है, 2 बच्चों का पिता है तब तुम ने उस की तसवीर को अपने दिल से क्यों नहीं निकाल फेंका?’’ प्रकाश ने पूछा.


‘‘बुद्धू, इतने सोचविचार में ‘प्रेम’ कहां पड़ता है. प्रेम को अंधा कहा जाता है, जनाब. जिस से हो गया, हो गया. जिस से नहीं, तो नहीं. कोई जोरजबरदस्ती नहीं चलती प्रेम में.’’


‘‘ठीक कहती हो तुम, निशा के साथ मेरी शादी हुए 18 साल से ज्यादा समय बीत चुका है. हमारे बीच प्रेम का अंकुर कभी जड़ ही नहीं पकड़ सका. एकदूसरे के दिलों में जगह नहीं बना पाए


कभी हम. तुम्हारे मेरे साथ संबंधों  की जानकारी होने के बाद उस से मेरे संबंध बहुत बिगड़ गए हैं, ज्योति,’’ प्रकाश बोला.


‘‘मेरे कारण आप उन से मत उल झा करें, प्लीज. मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मैं आप के जीवन में समस्याएं पैदा करूं. मेरा प्रेम आप की सुखशांति और खुशियों के अलावा और कुछ भी नहीं मांगता,’’ कहते हुए ज्योति की आंखों में आंसू  िझलमिला उठे.


‘‘तुम कुछ मांगती नहीं. और मैं जो तुम्हें देना चाहता हूं वह दे नहीं सकता. अपनी मजबूरियां देख कर कभीकभी मु झे लगता है, मैं ने तुम से प्रेमसंबंध जोड़ कर तुम्हारे साथ बड़ा अन्याय किया है,’’  कहता हुआ प्रकाश उदास हो उठा.


‘‘बिलकुल गलत,’’ ज्योति फौरन हंस कर बोली, ‘‘तुम्हारा प्रेम मेरे लिए अनमोल है. प्रेम से मिलने वाला सुख सात फेरों का मुहताज नहीं होता. बस, मु झे तुम्हारे होंठों पर हंसी नजर आती रहे तो मैं अपने जीवन से, अपने हालात से कभी शादी न करने के अपने फैसले से, तुम्हारे प्रेम से पूरी तरह संतुष्ट हूं.’’


प्रकाश ने जब काफी देर तक उसे कोई जवाब नहीं दिया तो निशा क्रोधित हो कर बोली, ‘‘ऐसे चुप्पी मारने से काम नहीं चलेगा, यह आप सम झ लीजिए कि जवान होता बेटा कालेज जाने की तैयारी कर रहा है.

‘‘आई लव यू टू, ज्योति,’’ प्रकाश ने उस की आंखों को चूम कर कहा.


‘‘आई लव यू, प्रकाश,’’ ज्योति उस के कान में फुसफुसा उठी.


‘‘तुम मु झ से कभी दूर न होना, प्लीज,’’ प्रकाश बोला.


‘‘यह कभी नहीं होगा,’’ यह कह कर ज्योति प्रकाश की आगोश में समा गई थी.


निशा ने शयनकक्ष में घुसते ही प्रकाश से  झगड़ने के अंदाज में पूछा, ‘‘लंच के बाद औफिस से कहां गए थे आप?’’


‘‘क्यों जानना चाहती हो?’’ प्रकाश ने भावहीन लहजे में उलटा सवाल किया.


‘‘तुम्हारी पत्नी होने के नाते मु झे यह सवाल पूछने का अधिकार है.’’


‘पत्नी के अधिकार तुम कभी नहीं भूलीं और अपने कर्तव्यों के बारे में कभी प्रेम से सोचा ही नहीं तुम ने,’ प्रकाश बहुत धीमे स्वर में बुदबुदाया.


‘‘मुंह ही मुंह में क्या बड़बड़ा रहे हो, अगर गालियां देनी हैं तो सामने जोर से दो,’’ निशा चिढ़ उठी.


‘‘मैं गाली नहीं दे रहा हूं तुम्हें,’’ प्रकाश ने गहरी सांस छोड़ कर कहा.


‘‘कहां गए थे आप लंच के बाद?’’ निशा ने अपना सवाल दोहराया.


‘‘तुम्हें अच्छी तरह पता है मैं कहां गया था,’’ प्रकाश बोला.


‘‘उसी चुड़ैल ज्योति के पास?’’ निशा ने विषैले अंदाज में पूछा.


प्रकाश ने जब काफी देर तक उसे कोई जवाब नहीं दिया तो निशा क्रोधित हो कर बोली, ‘‘ऐसे चुप्पी मारने से काम नहीं चलेगा, यह आप सम झ लीजिए कि जवान होता बेटा कालेज जाने की तैयारी कर रहा है. लड़की जवान हो गई है तुम्हारी और तुम्हें खुद को इश्क करने से फुरसत नहीं है. क्यों अपने और हम सब के चेहरों पर कालिख पुतवाने का इंतजाम कर रहे हैं आप?’’


‘‘तुम बेकार की बातें कर के अपना और मेरा दिमाग खराब मत करो, निशा. ज्योति के कारण बच्चों की या तुम्हारी जिंदगी पर कुछ भी असर नहीं पड़ने वाला है. तुम लोगों से छीन कर मैं उसे कुछ भी नहीं दे रहा हूं, फिर तुम उस से शिकायत क्यों रखती हो?’’


‘‘क्योंकि जिस समाज में हम जी रहे हैं वह समाज ऐसे नाजायज संबंधों पर उंगलियां उठाता है. लोग हम पर हंसें, मेरा मजाक उड़ाएं, तुम्हारे इश्क के कारण हम महल्ले में सिर  झुका कर चलने को मजबूर हो जाएं, ऐसी हालत मैं कभी सहन नहीं कर सकती.’’


‘‘महल्ले वाले ज्योति के वजूद से परिचित ही नहीं हैं. उन्हें बीच में ला कर बेकार शोरशराबा मत करो. ज्योति के पास कुछ वक्त गुजार कर मु झे सुकून मिलता है. मेरे सुख की, मेरी खुशियों की चिंता तुम्हें कभी नहीं रही. फिर ज्योति और मेरे प्रेम संबंध को ले कर शिकायत क्यों करती हो तुम?’’ प्रकाश का स्वर ऊंचा हो उठा.


‘‘प्रेम संबंध… रखैल के साथ बने संबंध को प्रेम का नाम नहीं दिया जाता. रखैलें पुरुषों की जरूरतें पूरी करती हैं. तुम ने उसे रहने को फ्लैट ले कर दिया है. उस पर अनापशनाप पैसा खर्च करते हो. बदले में वह चुडै़ल तुम्हारे सामने कपड़े उतार डालती है. अपनी वासना को प्रेम मत कहो और मैं इस संबंध का बिलकुल सही विरोध करती हूं, क्योंकि मैं समाज में इज्जत से सिर उठा कर रहना चाहती हूं,’’ निशा की आवाज गुस्से से कांप रही थी.


‘‘और मु झे इस मामले में समाज की कोई चिंता नहीं रही है. ज्योति से मिलनाजुलना मैं किसी कीमत पर बंद नहीं करूंगा,’’ प्रकाश ने कहा.


‘‘आप की तो मति भ्रष्ट हो गई है. मेरी सम झ में कभी नहीं आया कि तुम क्यों उस के पीछे पागल हुए जा रहे हो. उस के साधारण नैननक्श हैं. वह बैंक में साधारण सी नौकरी करती है. व्यक्तित्व में उस के कोई जान नहीं है. कौन से सुरखाब के पर लगे दिखाई देते हैं तुम्हें उस में, जरा मु झे भी तो बताओ?’’ निशा ने चुभते लहजे में कहा.


‘‘उस का दिल सोने जैसा है,’’ प्रकाश भावावेश से भर उठा, ‘‘मु झ पर जान छिड़कती है वह. प्रेम बांटने की कला आती है उसे. पूरी तरह से समर्पित है वह मेरी सुखशांति के लिए. मु झे उस से वह सब मिला है जो कभी मैं ने अपनी पत्नी से पाने की कामना की थी और जो कभी मु झे तुम से नहीं मिला.’’


‘‘मु झ में  झूठेसच्चे दोष निकाल कर तुम अपनी चरित्रहीनता को सही ठहराने की कोशिश मत करो. तुम ने कभी मु झे दिल से प्रेम किया ही नहीं. फिर कैसे उम्मीद करते हो कि मैं तुम्हारे पैर धोधो कर पीती रहती? आदमी संसार में जैसा बोता है वैसा ही काटता है,’’  निशा ने कड़वे स्वर में जवाब दिया.


‘‘तब तो तुम ने भी कुछ जरूर गलत बोया होगा जो आज मैं तुम से दूर हो गया हूं. तुम गोरी हो, सुंदर हो, स्कूल की पिं्रसिपल हो, शानदार व्यक्तित्व है तुम्हारा लेकिन तुम्हारा दिल मेरे प्रेम में नहीं धड़कता. इस घर में सुखसुविधा की हर चीज है. यहां रसोई में बढि़या खाना बनता है. लोग हमारी खुशहाली देख कर शायद हम से कुढ़ते होंगे, लेकिन मु झे इस घर में कभी सुखशांति नहीं मिली. ज्योति, सिर्फ सादी चाय भी मु झे अगर पिलाती है, तो मेरा मन तृप्त हो जाता है. वह कभी मु झ से ऊंचे स्वर में नहीं बोली. मु झ से ज्यादा महत्त्वपूर्ण उस के जीवन में न पैसा है, न कैरियर और न ही सामाजिक प्रतिष्ठा. उस के असीम प्रेम ने, उस के समर्पण ने और उस के कभी मु झ से कुछ न मांगने के गुण ने लगाए हैं उस में सुरखाब के पर,’’  प्रकाश ने अपनी बात समाप्त कर के निशा की तरफ से मुंह फेर लिया.


निशा, आज तुम मेरी नजरों में पूरी तरह से गिर गई हो. जो तुम ने आज जन्मदिन की पार्टी में कहा और किया है उस के लिए मैं तुम्हें जिंदगीभर माफ नहीं करूंगा,’’ पार्टी के बाद प्रकाश की आवाज में बहुत दर्द समाया हुआ था.

निशा ने नफरतभरे स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारे सिर से उस कलमुंही के प्यार का भूत उतारने के मेरे पास और भी तरीके हैं. कभी यह उम्मीद न करना कि मैं तुम्हें तलाक दे कर तुम्हें आजाद कर दूंगी. अपनी रखैल की मांग में सिंदूर भरने की खुशी तुम्हें कभी नसीब नहीं होगी.’’


‘‘अपनी इस मजबूरी को मैं सम झता हूं और इसी कारण खून के आंसू रोता हूं. ज्योति को मांग का सिंदूर नहीं, बल्कि मेरा प्रेम चाहिए. तुम न उसे कभी सम झ सकोगी, न कभी उस की बराबरी कर पाओगी.’’


इस वार्त्तालाप के बाद उन दोनों के बीच बड़ी बो िझल खामोशी छा गई थी. प्रकाश उठ कर ज्योति के पास चल दिया.


ज्योति चाय का कप प्रकाश के हाथ में पकड़ाते हुए भावुक लहजे में बोली, ‘‘जब से आए हैं,  तब से खोएखोए नजर आ रहे हैं आप? मु झे बताइए, कौन सी उल झन आप के मन को परेशान कर रही है?’’


कुछ पलों की खामोशी के बाद प्रकाश ने संजीदा लहजे में जवाब दिया, ‘‘परसों मेरे बेटे का जन्मदिन है. निशा ने मु झ से कोई सलाह किए बिना उस दिन अपने और मेरे मातापिता व भाईबहनों को पार्टी देने का फैसला किया है.’’


‘‘इस में इतना चिंतित और परेशान होने वाली क्या बात है?’’ ज्योति बोली. ‘‘पिछले कुछ दिनों से निशा का मूड बड़ा अजीब सा हो रहा है.’’ ‘‘अजीब सा? इस का क्या मतलब हुआ?’’


‘‘मन ही मन मु झ से बेहद नाराज होते हुए भी वह बड़ी खामोश रहने लगी है. मु झे साफ एहसास हो रहा है कि मु झे तंग करने के लिए उस का दिमाग किसी योजना को जन्म दे चुका है. जन्मदिन वाली पार्टी में वह जरूर कुछ गुल खिलाने जा रही है,’’ प्रकाश बोला.


‘‘कोई गुल नहीं खिलेगा. आप बेकार की बातें सोच कर खुद को परेशान कर रहे हैं,’’  ज्योति की मुसकराहट, प्रकाश की आंखों में छाई हुई चिंता के भावों को कुछ ही कम कर पाई.


‘‘तुम दोनों में कैसा जमीनआसमान का अंतर है, ज्योति. निशा की शिकायतें कभी खत्म नहीं होतीं. मेरे लिए उस के दिल में न प्यार है न सम्मान. वह मेरा जरूर कुछ अहित करेगी, यह विश्वास दिनोंदिन मेरे दिल में मजबूत होता जाता है,’’ प्रकाश बोला.


‘‘इस शक को आप अपने दिल से निकाल फेंकिए. आप दोनों की चाहे कितनी ही न बनती हो, पर वे आप का बुरा नहीं सोच सकतीं. अगर हालत इतने बिगड़े होते तो वे आप के साथ रहना मंजूर न कर के आप को तलाक दे देतीं,’’  ज्योति ने प्रकाश को कोमल स्वर में सम झाया.


‘‘वह मु झे तलाक नहीं देती, क्योंकि उस से मेरी तलाक देने से पैदा होने वाली खुशी नहीं देखी जाएगी. तलाक उस की हार का सुबूत होगा और उस जैसी घमंडी औरत के लिए ‘हार’ शब्द मौत से बदतर माने रखता है. तुम जैसी सीधीसच्ची स्त्री निशा जैसी स्त्री के उल झे मन को कभी नहीं सम झ सकती,’’ प्रकाश के स्वर में अपनी पत्नी के लिए बड़ी नफरत भरी थी.


‘‘अब आप उलटीसीधी बातें बोलना और सोचना बंद कर अपना मूड सही कर लीजिए,’’  कहते हुए ज्योति की आंखों में एकाएक आंसू छलक आए.


‘‘तुम से मेरा दुख, मेरी चिंता, मेरा परेशान होना बरदाश्त नहीं होता?’’


‘‘नहीं, आप को खुश और सुखी देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. आप के होंठों की हंसी मेरी नजरों में मेरी जान से ज्यादा कीमती है, जनाब,’’ भावविभोर हो कर ज्योति ने प्रकाश की आंखों को चूम लिया.


‘‘और तुम मेरी जान हो, ज्योति,’’ कहते हुए प्रकाश ने ज्योति को सीने से लगा लिया. जैसी प्रकाश को आशंका थी, पार्टी में हंगामा हो गया.


‘‘निशा, आज तुम मेरी नजरों में पूरी तरह से गिर गई हो. जो तुम ने आज जन्मदिन की पार्टी में कहा और किया है उस के लिए मैं तुम्हें जिंदगीभर माफ नहीं करूंगा,’’ पार्टी के बाद प्रकाश की आवाज में बहुत दर्द समाया हुआ था.


‘‘मैं ने क्या कोई बात  झूठ कही आज?’’ निशा ने  झगड़ालू स्वर में जवाब दिया, ‘‘मेरे और तुम्हारे घर के लोग अब तक तुम्हें नेकदिल और चरित्रवान इंसान सम झते थे. आज मैं ने सब के सामने तुम्हारे नाजायज प्रेमसंबंध का भंडाफोड़ कर के तुम्हारी उस छवि को नष्ट कर दिया. इसी बात से पीड़ा हो रही है न तुम्हें?’’


‘‘मेरे लिए तुम ने जो जहर आज सब के सामने उगला है वह मेरे लिए अप्रत्याशित नहीं था. ज्योति के लिए तुम ने जिस गंदी भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया वह सर्वथा गलत और अनुचित था,’’ प्रकाश बोला.‘‘तुम बिलकुल गलत कह रहे हो. उस कलमुंही औरत के लिए मैं ने जो कहा, वह सब सच है और उस के लिए तुम से माफी मांगने का भविष्य में कभी सवाल ही नहीं उठेगा,’’ निशा ने मजबूती से कहा.


‘‘आज जितनी नफरत मैं ने तुम से कभी नहीं की,’’ प्रकाश ने कहा.‘‘और आज मेरे दिल को बहुत शांति महसूस हो रही है. अब मैं देखती हूं कि कैसे उस रखैल के घर की दहलीज लांघते हो.’’‘‘कौन रोकेगा मु झे ज्योति के पास जाने से?’’ प्रकाश ने माथे पर बल डाल कर पूछा.


‘‘मेरे और तुम्हारे घर वालों का दबाव तुम्हारे पैरों में बेडि़यां पहनाएगा. मेरी तो तुम ने कभी सुनी नहीं, पर अब दोनों तरफ के बड़ों का कहा अनसुना नहीं कर पाओगे,’’ कहते हुए निशा के होंठों पर कुटिल मुसकान उभरी.‘‘एक बात की चेतावनी तुम मेरी तरफ से सब को दे देना,’’ प्रकाश का स्वर एकाएक चट्टान सा कठोर हो गया, ‘‘अगर ज्योति से किसी ने कुछ कहा या उस के नाखून तक को किसी ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो मु झ से बुरा कोई न होगा.’’


ज्योति ने जिस दिन आत्महत्या की उसी दिन से मेरी जीने की चाह जाती रही. अपनी मौत का साया मु झे अब अपने सिर मंडराता साफ दिख रहा है, पर मेरी मौत के दिन की उलटी गिनती तो ज्योति की मौत के साथ ही शुरू हो गई थी.

‘‘वाह, एक बाजारू औरत की  इतनी चिंता.’’


‘‘निशा,’’  प्रकाश गुस्से से दहाड़ उठा.


‘‘चिल्लाओ मत और जिस से जो कहना हो, खुद कहना. मैं तो चली चैन की नींद सोने,’’ कह कर निशा बाथरूम की तरफ कपड़े बदलने चली गई और प्रकाश क्रोध व बेबसी का शिकार बना काफी देर तक छटपटाता रहा था.


प्रकाश को दोपहर का खाना खिलाने के बाद ही ज्योति ने उसे बड़े शांत स्वर में बताया, ‘‘आज सुबह आप की माताजी, बड़ी बहन और बड़ी साली मु झ से मिलने यहां आई थीं.’’


‘‘क्या कहा उन लोगों ने तुम से? देखो, मु झ से कुछ छिपाना मत. एकएक बात बताओ मु झे,’’ प्रकाश की आंखों में गुस्से के भाव जाग उठे.


‘‘आप से दूर हो जाने के लिए मु झे धमका रहे थे सब,’’ ज्योति का गला एकाएक भर आया, ‘‘मैं उन्हें कैसे सम झाती कि आप से दूर हो कर मेरे लिए जीना अब असंभव है. अपने  प्रेम के हाथों मैं मजबूर हूं और वे मेरी इस मजबूरी को सम झने को तैयार  नहीं थे.’’


‘‘तुम्हारी मनोदशा को वे तभी सम झ सकते थे जब उन के जीवन में प्रेम की एकाध किरण कभी उतरी होती. मैं उन तीनों को अच्छी तरह जानता हूं. ‘प्रेम’ शब्द का सही अर्थ सम झ पाना उन के लिए असंभव है,’’ प्रकाश ने खिन्न स्वर में अपनी बात कही.


‘‘वे तीनों बहुत गुस्से में थीं. मैं ने उन की बातों का जरा भी बुरा नहीं माना, पर अब वे सब आप के लिए जरूर परेशानियां खड़ी करेंगी, यह सोच कर मेरा दिल बहुत दुखी हो उठता है,’’ कहते हुए ज्योति की आंखों से आंसू बह निकले.


‘‘मैं उन से निबट लूंगा. तुम रोओ मत,’’ कहते हुए प्रकाश ने अपने होंठों के चुंबनों से उस के आंसुओं को पोंछ डाला.


‘‘आप मेरे लिए उन से लड़ना झगड़ना मत.’’


‘‘अच्छा, ठीक है, पर ऐसा इंतजाम मैं जरूर कर दूंगा कि आज के बाद उन  की तुम से मिलने आने की जरूरत  नहीं पड़ेगी.’’


‘‘मेरा दिल घबराने लगा है. हम इतने सुखी थे, पर अब दूसरों की दखलंदाजी मन में चिंताएं पैदा करने लगी है. पता नहीं क्या होने जा रहा है?’’ प्रकाश के सीने से लगने के बावजूद ज्योति का मन भय से कांप रहा था.


निशा बहुत परेशान और गुस्से में नजर आ रही थी, ‘‘मु झे विश्वास नहीं होता कि एक सम झदार, 45 साल की उम्र का इंसान किसी स्त्री के इश्क में ऐसा पागल हो सकता है कि अपनी


मां और बड़ी बहन को अपने घर में कदम रखने से मना कर दे. शर्म  आनी चाहिए आप को अपने ऐसे गंदे व्यवहार पर.’’


‘‘प्लीज, खामोश रहो, निशा. इस वक्त कुछ भी बोल कर मेरा दिमाग और न खराब करो,’’ प्रकाश बहुत तनावग्रस्त नजर आ रहा था.


‘‘हम सभी आप के हितैषी हैं. ज्योति से संबंध तोड़ लेने की हमारी सलाह आप मान लीजिए,’’  निशा ने उसे शांत लहजे में सम झाने का प्रयास किया.


‘‘उस से संबंध तोड़ लेना मेरे लिए संभव नहीं है,’’ प्रकाश बोला.


‘‘क्यों संभव नहीं है?’’ निशा ने पूछा.


‘‘क्योंकि उस ने बिना किसी स्वार्थ के मु झ से प्रेम किया है. उस से दूर होने का अर्थ उसे जबरदस्त धोखा देना होगा. वह उस सदमे को सहन नहीं कर सकेगी और अपनी जान दे देगी.’’


‘‘ऐसी फिल्मी बातें मत करिए मेरे सामने,’’ निशा चिढ़ कर बोली, ‘‘आप जब उस की आंखों से दूर रहने लगेंगे तो वह आप को भूलने लगेगी. कुछ दिन आंसू बहा कर बदली स्थिति को स्वीकार कर लेगी. उस जैसी तेज औरत की जिंदगी में दूसरा प्रेमी आने में ज्यादा देर भी नहीं लगेगी.’’


‘‘ज्योति को तुम सम झती नहीं हो. लिहाजा, उस के बारे में उलटेसीधे अंदाज मत लगाओ. मैं इस विषय पर और ज्यादा बातें नहीं करना चाहता हूं,’’ कहता हुआ प्रकाश ड्राइंगरूम से उठ कर बैडरूम की तरफ चल पड़ा.


‘‘अपनी रखैल से संबंध कायम रख के अगर तुम ने मु झे बेइज्जत करना जारी रखा तो मैं भी तुम्हारा जीवन बद से बदतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगी,’’ निशा की चेतावनी देर तक प्रकाश के कानों में गूंजती रही थी.


ज्योति ने प्रकाश का चेहरा अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘पिछले 3 महीनों में कितने कमजोर हो गए हैं आप.’’


‘‘हमारी खुशियां बरदाश्त नहीं हुईं लोगों से, ज्योति,’’ प्रकाश ज्योति से कह रहा था. उस के स्वर में निराशा और बेबसी के भाव थे, ‘‘मैं तंग आ गया हूं अपने परिवार वालों की दिनरात की  िझक िझक से. मालूम है कभीकभी मेरा दिल क्या करने को करता है?’’


‘‘क्या?’’


‘‘यही कि जो भी तुम्हारे खिलाफ जहर उगले उसे गोली मार दूं या अपना जीवन ही समाप्त कर लूं. मैं तुम से दूर हो कर नहीं रह सकता, यह क्यों नहीं सम झ पाते मां और निशा…’’ कहते हुए प्रकाश की पलकें गीली हो उठीं.


ज्योति एकाएक फूटफूट कर रो उठी, ‘‘मैं आप को ऐसे घुटघुट कर जीते नहीं देख सकती. आप मेरे दिल में बसे हैं. मैं बदनसीब आप के जीवन में खुशियां भरने के बजाय दुख, चिंता और तनाव भरने का कारण बनती जा रही हूं. मैं ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरा प्रेम आप की परेशानी का कारण बन जाएगा. मेरी सम झ में नहीं आता कि मैं क्या करूं?  मैं आप को ऐसे उदास और परेशान नहीं देख सकती.’’


‘‘तुम्हारी आंखों से बहते आंसू देख कर मेरे दिल को बहुत पीड़ा होती है, ज्योति. रोओ मत प्लीज,’’  प्रकाश की बांहों में कैद होने के बावजूद ज्योति का रोना बहुत देर तक बंद नहीं हुआ.


निशा ने प्रकाश का उतरा चेहरा देख कर चिंतित स्वर में पूछा, ‘‘क्या तबीयत ठीक नहीं है?  इतनी देर कैसे लग गई घर आने में?’’


‘‘तुम सब हत्यारे हो,’’ प्रकाश रुंधे गले से बोला, ‘‘तुम सब ने मेरी ज्योति को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया- वह आज मु झे अकेला छोड़ कर बहुत दूर चली गई मु झ से.’’


‘‘हमें जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं आप. उस की आत्महत्या के लिए वह खुद जिम्मेदार थी अपने जीवन को उल झाने के लिए. दूसरों के लिए कांटे बोने वाले का अंत सदा ही दुख और पीड़ा से भरा होता है. इसे ही कहते  हैं इंसाफ.’’


‘‘हम सब के मुकाबले वह कहीं ज्यादा नेक और सरल इंसान थी. निशा, मैं ही उस की जिंदगी में न आया होता तो वह आज जिंदा होती. ज्योति, ज्योति, तुम क्यों मु झे अकेला छोड़ कर चली गईं,’’ अपने हाथों में मुंह छिपा कर प्रकाश फूटफूट कर रोने लगा तो निशा पैर पटकती रसोई की तरफ चली गई.


अपनी बेटी के सगाई समारोह की समाप्ति के बाद अकेले में निशा प्रकाश से उल झ पड़ी, ‘‘खुशी के मौके पर आज दिनभर क्यों मुंह लटकाए रहे आप? सब मेहमानों को मु झ पर हंसने का मौका देने में आप को क्या मजा आता है?’’


‘‘मैं ऐसा कोई गलत प्रयास जानबू झ कर नहीं करता, निशा,’’ प्रकाश ने थकेहारे स्वर में जवाब दिया.


‘‘लेकिन आप की उदास सूरत देख कर तो लोग यही अंदाजा लगाते हैं न कि आप अभी तक अपनी मृत प्रेमिका को भूले नहीं हैं. मैं तुम्हें खुश और संतुष्ट नहीं रख सकती, इस कारण वे मु झ पर हंसते हैं.’’


‘‘ज्योति की यादों को भुलाना मेरे वश में होता तो मैं वैसा जरूर करता, निशा. मेरे कारण तुम खुद को परेशान करना छोड़ दो, प्लीज.’’


‘‘आप हंसनामुसकराना फिर से शुरू कर दीजिए,’’ निशा का स्वर कुछ कोमल हो उठा, ‘‘ज्योति की याद में अगर ऐसे उदास और बु झेबु झे रहेंगे तो आप का हाई ब्लडप्रैशर और ज्यादा बिगड़ता चला जाएगा.’’


‘‘अब और ज्यादा जीना नहीं चाहता मैं, मेरी फिक्र न किया करो,’’ प्रकाश का स्वर इतना टूटा और उदासी से भरा था कि निशा को अपना गला भर आया महसूस हुआ.


अपनी बहू के हाथ से पानी का गिलास ले कर निशा ने प्रकाश को पकड़ाया और चिंतित स्वर में बोली, ‘‘अपनी दवा ले लीजिए, आप की घबराहट और बेचैनी जल्दी ही कम  हो जाएगी.’’


दवा खाने के बाद प्रकाश ने गहरी सांस छोड़ कर कहा, ‘‘अब दवा खाखा कर मैं ऊब चुका हूं, निशा. पता नहीं कब इन गोलीकैप्सूलों से छुटकारा मिलेगा.’’


‘‘आप कोशिश करें तो जल्दी ही आप की तबीयत में सुधार होने लगे,’’ निशा की आंखों में अचानक आंसू छलक आए, ‘‘देखिए, अब तो घर में बहू भी आ गई है. मु झ से तो आप जीवनभर नाराज रहे. नहीं की मैं ने आप की सेवा, मैं यह मान लेती हूं, पर अब तो बहू है घर में, उसे सेवा करने दीजिए. उस के कारण हंसाबोला कीजिए. मैं आप की आंखों के सामने आना ही बंद कर दूंगी. पर मैं आप से हाथ जोड़ कर विनती करती हूं कि खुश रहा करिए. ज्योति की मौत के बाद से आप एक बार भी तो सही ढंग से कभी नहीं हंसे.’’


‘‘ज्योति की आत्महत्या ने मेरे अंदर तक तोड़ डाला, कुछ ऐसा महत्त्वपूर्ण सदा के लिए चला गया कि मु झे अपना जीवन नीरस और बेकार लगने लगा है. सच तो यही है कि उसे भी मैं सुख नहीं दे पाया और तुम्हें भी परेशान रखा है आज तक. अब मु झे मौत ही…’’


निशा ने प्रकाश के मुंह पर हाथ रख दिया और फिर रोंआसी आवाज में बोली, ‘‘ऐसी बात मुंह से मत निकालिए. अगर आप को कुछ हो गया, तो मैं खुद को कभी माफ नहीं  कर पाऊंगी.’’


‘‘मेरी बिगड़ी हालत के लिए  तुम खुद को जिम्मेदार मानना बंद कर दो, निशा.’’


‘‘अगर मु झे बहुत पहले यह अंदाजा हो गया होता कि ज्योति से अलग हो कर आप की सेहत इतनी खराब हो जाएगी कि आप जीने की चाह और उत्साह भी खो देंगे तो मैं आप को आजादी दे देती. ज्योति के चले जाने के बाद भी तो आप मु झे नहीं मिल पाए. यों साथसाथ रहने से क्या होता है,’’ कहतेकहते निशा सुबकने लगी थी.


प्रकाश ने निशा का हाथ थपथपा कर बेबस स्वर में कहा, ‘‘मैं ऐसा करती, अगर ऐसा होता… ऐसे वाक्य सोचनेविचारने से कोई फायदा नहीं होता. अपने दिल, अपने अहंकार, अपने स्वार्थ और अपनी कामनाओं के हाथों हम सब मजबूर हैं. ये मजबूरियां हम से जानेअनजाने सबकुछ करा लेती हैं. बाद में पछताने और आंसू बहाने से कुछ नहीं होता.’’


‘‘हमारा जीवन बेहतर गुजर सकता था अगर मैं कुछ सम झदारी से काम लेती,’’ निशा बोली.


‘‘यह बात मु झ पर भी लागू होती है, सभी पर लागू होती है, निशा, लेकिन अतीत तो सदा के लिए हाथ से निकल कर खो जाता है. इस तरह सोच कर खुद को दुखी न करो. अब सोने की कोशिश करो,’’ हाथ बढ़ा कर प्रकाश ने बत्ती बु झा दी, पर उन दोनों की आंखों से नींद बहुत देर तक दूर रही थी.


अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के पलंग पर लेटे प्रकाश से निशा ने हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘डाक्टर महेश शहर के सब से काबिल हृदय रोग विशेषज्ञ हैं. उन के द्वारा लिखी दवाओं के शुरू होते ही आप जल्दी ठीक होने लगेंगे.’’

‘‘2 बार दिल का दौरा पड़ चुका है मु झे. अब मैं क्या ठीक होऊंगा,’’ प्रकाश के होंठों पर उदास सी मुसकान उभरी.


‘‘उदासी और निराशा का शिकार हो कर आप ने अपने शरीर को घुन लगा लिया. ज्योति को भूल जाने की कभी दिल से कोशिश ही नहीं की आप ने. आप की यही नासम झी आज आप को यहां तक ले आई. कम से कम अब तो…’’ भावावेश का शिकार होने के कारण निशा का गला अचानक रुंध  गया था.


‘‘तुम ठीक ही कह रही हो, निशा. ज्योति ने जिस दिन आत्महत्या की उसी दिन से मेरी जीने की चाह जाती रही. अपनी मौत का साया मु झे अब अपने सिर मंडराता साफ दिख रहा है, पर मेरी मौत के दिन की उलटी गिनती तो ज्योति की मौत के साथ ही शुरू हो गई थी. मेरी नासम िझयों के लिए तुम मु झे माफ कर देना.’’ प्रकाश की आवाज तभी उस के सिर के ऊपर लगी मशीन से निकलने वाले खतरे के अलार्म की आवाज में दब गई थी.


डाक्टर और नर्सों की भीड़ को प्रकाश की तबीयत संभालने के प्रयास में जीजान से लगा देख निशा का चेहरा अपने पति की संभावित मौत की आशंका से पीला पड़ गया और वह बेहद दुखी व कांपती आवाज में बुदबुदा उठी, ‘‘तुम खुशकिस्मत हो, प्रकाश. तुम्हें जीवन के एक मोड़ पर ज्योति का सच्चा प्यार मिला तो सही. मैं बदकिस्मत न तुम्हें प्रेम कर पाई, न तुम्हारा प्यार पा सकी. वक्त रहते न मैं ने खुद को बदला न तुम्हें ज्योति को सौंपने की सम झदारी दिखाई. तुम भी मु झे माफ कर देना.’’


निशा की बात पूरी होने के साथ ही प्रकाश के बीमार दिल ने सदा के लिए धड़कना बंद कर दिया था.

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