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गाजीपुर के जिलाधिकारी 'मंगला प्रसाद सिंह' जैसे हों अधिकारी तो कैसे नहीं हारेगी महामारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सेवा भाव से की गई नौकरी और आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठा लेने का हौसला सबमें कहां होता है? जिनमें होता है, वही नजीर होते हैं। बेड की कमी की बेचैनी, आक्सीजन न मिलने की अकुलाहट के बीच इन दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ ऐसे ठोस निर्णय लिए, कुछ ऐसी पहल की जो अब सबके लिए नजीर है। इस हाहाकारी दौर में जहां बदइंतजामी की खबरें चहुंओर हैं, वहीं गाजीपुर के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने जिला अस्पताल को सुविधा संपन्न बनवाया। वह कोरोना पीडि़तों की व्यवस्था के लिए खुद जुटे रहते हैं। आक्सीजन व जीवन रक्षक दवाओं की कमी न हो, इसके लिए हर सिलेंडर और कीमती दवा के स्टॉक की खुद निगरानी करते हैं। अपने मोबाइल नंबर को सार्वजनिक किया है और कोरोना प्रभावित लोगों की जरूरतों को सुनकर उसका समाधान करते हैं। कोविड मरीजों के लिए 50 बेड वाला जिला अस्पताल दो अप्रैल से ही 244 बेड के कोविड हास्पिटल के रूप में संचालित हो रहा है। उन्होंने इस अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।

यह व्यवस्था की है कि आक्सीजन की जरूरत होने पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के पास जाएं, वहां निदान न हो तो सीधे उनके पास आएं। वह आक्सीजन की हर जरूरत पूरी करेंगे। इंटरनेट मीडिया पर अभी गाजीपुर के जिलाधिकारी और एक तीमारदार का आडियो खूब चर्चा में है। किसी नीतेश से डीएम की बातचीत है, जिसमें उन्होंने शिकायत की है कि उनके मरीज को अस्पताल में पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल रहा है। डीएम तत्काल इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक से बात कराने को कहते हैं। चिकित्सक को नसीहत देते हैं और खरीखोटी भी सुनाते हैं। भरोसा दिलाते हैं कि जिले में आक्सीजन का पर्याप्त प्रबंध करना उनकी (डीएम की) जिम्मेदारी है। लोग निश्चिंत रहें, दहशत में न आएं। इंटरनेट मीडिया पर डीएम के सद्कार्य को लेकर काफी प्रशंसा हो रही है।


गाजीपुर के अजय ने लिखा है कि डीएम गाजीपुर की संवदेनशीलता को नमन है। वहीं, संजय कुमार राय ने अस्पताल का अपना अनुभव साझा किया है-'आपने जनपद की लाज बचा रखी है। मैंने खुद 10 दिन हास्पिटल के कोरोना वार्ड में रहकर वहां का हाल देखा है। आपने आकर जो किया था, वह काबिले तारीफ है।

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