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Ghazipur: एसपी ग्रामीण ने गंगा घाटों का लिया जायजा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. एसपी ग्रामीण राजधारी चौरसिया ने शुक्रवार को सुहवल थाना क्षेत्र के मेदनीपुर में गंगा किनारे अघोरेश्वर विभूति स्थल (श्मशान घाट) का निरीक्षण किया। उन्होंने घाट पर जलाए जा रहे शवों के बारे में डोमराजा नेपाली से जानकारी ली। इसके अलावा बवाड़ा, कालूपुर, ताड़ीघाट में गंगा घाटों पर भी पहुंचे। उन्होंने अभिलेखों व रसीद के बाबत पूछताछ की। अंत्येष्टि स्थल के आसपास सफाई कराने का भी निर्देश दिया।

बताया कि गंगा में जलप्रवाह तथा अधजले शवों को प्रवाहित करना दंडनीय है। ऐसा करते पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसपी ग्रामीण ने बवाड़ा, कालूपुर, ताड़ीघाट आदि घाटों पर निरीक्षण के बाद थाना प्रभारी को सख्त हिदायत दी कि घाटों की निगरानी प्रतिदिन होनी चाहिए। प्रत्येक शवों का बायोडाटा रखना निश्चित है। निर्देशित किया कि दाहसंस्कार के समय सरकार की गाइड लाइन का पालन होना चाहिए। अनावश्यक घरों बाहर निकलने वालों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। प्रभारी निरीक्षक योगेन्द्र सिंह, उपनिरीक्षक राजेश कुमार गिरी, अमित सिंह, राहुल आदि थे।


गंगा में मिल रहे मानव शवों से मछली खाने वाले सहमे

खानपुर : गंगा में अचानक मानव शव के मिलने से लोग सकते में हैं। पटना, शादीभादी, औड़िहार और खरौना गांव के तटवर्ती के मछुआरे और नाविक यह देख सन्न हैं। गंगा नदी किनारे फल सब्जी की खेती करने वालों सहित मछुवारा, नाविक और नित्यप्रति स्नान करने वाले स्त्री-पुरुषों में इन शवों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कोरोना संक्रमित शवों की आशंका में लोग गंगा से निकले मछली खाने और गंगा स्नान से संकोच करने लगे हैं। शादीभादी के नाविक गोपाल मांझी, मनोज और मदन साहनी कहते हैं कि दिन रात गंगा की लहरों में बसेरा बनाए हम लोगों ने गंगा नदी में मानव शवों को बहते नहीं देखा है। आम दिनों की तरह कभी कभार सर्पदंश से मृत एक दो शवों को केले पर बहते जरूर देखा गया है। पटना के प्रमोद और वंशराज नागर कहते हैं कि जिले के पूर्वी छोर पर गंगा नदी में मिल रहे मानव शवों का मिलना रहस्यमय है। थानाध्यक्ष जितेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि गंगा प्रहरियों सहित पुलिस गश्ती दल बराबर गंगा गोमती और अन्य नदियों पर सतर्क निगाह बनाए हुए हैं। सभी लोगों से अपील की जा रही है कि किसी प्रकार के शव को नदियों में न डालें अन्यथा उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


धार्मिक मान्यताओं में गृहस्थ के शव का जल प्रवाह गलत

किसी भी गृहस्थ की मृत्यु के बाद स्त्री या पुरुष को जलसमाधि देना शास्त्र सम्मत नहीं है। गंगा में अचानक ढेर सारे शवों के जलप्रवाह किए जाने से धार्मिक कर्मकांडी ब्राह्मणों सहित धर्मशास्त्र के जानकारों ने शवों के जलप्रवाह को सर्वथा अनुचित करार दिया। हिदू संस्कृति में मृत्यु के बाद शवों के तीन तरह की जल, भू एवं अग्नि समाधि विधित है। संन्यासी परंपरा में जल एवं भू समाधि दिया जाता है , जिसमें साधु को पदमासन की मुद्रा में बैठाकर जल या जमीन में समाधि दी जाती है। साधु समाज भी कहता है कि जनश्रुतियों और अंधविश्वास में पड़कर गंगा में शवों को प्रवाहित करना गलत है। साथ ही तमाम धार्मिक सामाजिक सरकारी गैर सरकारी संगठन नदियों में प्रदूषण को लेकर आंदोलित हैं। 


आचार्य बालकृष्ण पाठक ने कहा कि साधु को समाधि इसलिए दी जाती है क्योंकि ध्यान और साधना से उनका शरीर एक विशेष ऊर्जा और ओज लिए हुए होता है इसलिए उसकी शारीरिक ऊर्जा को प्राकृतिक रूप से विसरित होने दिया जाता है। आम व्यक्ति को इसलिए अग्निदाह किया जाता है क्योंकि यदि उसकी अपने शरीर के प्रति आशक्ति बची हो तो वह छूट पंचतत्व में विलीन हो जाए और यदि किसी भी प्रकार का रोग या संक्रमण हो तो वह जलकर नष्ट हो जाए। बाद में बची हुई राख या हड्डी को किसी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। कुछ लोग पानी में विषविहीन होने के लिए सर्पदंश से मृत व्यक्ति और छोटे बच्चों के शव का जल प्रवाह करते हैं।

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