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ठेला लगाकर मेराज करता था परिवार का गुजारा, जानिए फिर कैसे बनाया करोड़ों का साम्राज्य

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर/वाराणसी. बात अस्सी के दशक की है। चित्रकूट जेल में गैंगवार में मारा गया भाई मेराज आर्थिक स्थिति खराब होने पर ठेला लगा कर कपड़ा बेचता था। इसी से वह अपने परिवार की रोजी-रोटी का जुगाड़ करता था। इसी दौरान गाजीपुर के मोहम्मदाबाद के रहने वाले मेराज का संबंध मुख्तार अंसारी से हो गया। इसके बाद उसने जल्द ही करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया। ठेकेदारी से लेकर रंगदारी व अन्य आपराधिक पृष्ठभूमि में उसकी भूमिका सामने आने लगी और वह जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। बताया जाता है कि उसके काम को देखते हुए मुन्ना बजरंगी ने उसे अपना मैनेजर बना लिया था।

बागपत जिला जेल में बदमाश मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराज ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान संभाल ली थी। इस काम में गैंगस्टर मुकीम काला उसका सहयोग करता था। हालांकि मुख्तार अंसारी के करीबी रिश्तों के कारण मेराज ने जरायम की दुनिया में कम समय में ही अपनी पैठ बना ली थी। मेराज के मुख्तार के इतर अन्य बदमाशों से भी अच्छे संबंध थे। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में मेराज ने मुख्तार के लिए मुखबिरी का काम शुरू किया था। इसके बाद उसने जल्द ही करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के ठेकों में भी भाई मेराज सीधी दखल थी।


गैंगस्टर एक्ट के तहत हुई थी कार्रवाई

मुख्तार अंसारी के गैंग के सदस्य मृतक मेराज अहमद व उसके भांजे परवेज अहमद पर थाना जैतपुरा ने गैंगेस्टर की कार्रवाई की थी। भाई मेराज को पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों पर शस्त्रों का नवीनीकरण कराने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद तीन अक्टूबर 2020 को आरोपित मेराज ने जैतपुरा थाना क्षेत्र के सरैया चौकी में जाकर समर्पण कर दिया था। पुलिस ने तीन अक्टूबर को जेल भेज दिया था। पुलिस ने मेराज के भांजे परवेज अहमद को भी सहयोग करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। 


मेराज को मिला था भाई मेराज का नाम

बाहुबली मुख्तार अंसारी गैंग और उनके करीबियों पर हो रही कार्रवाई की जद में उसके खास गुर्गा मेराज अहमद खान भी पुलिस की कार्रवाई की जद में आ गया था। जरायम की दुनिया में आने के बाद मेराज को भाई मेराज के नाम से भी जाना जाता है।


 
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