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गाजीपुर ब्लाक प्रमुख चुनाव में प्रतिष्ठा की लड़ाई, भाजपा और सपा के हैं अपने-अपने दावे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिला पंचायत के बाद अब भाजपा और सपा के लिए ब्लाक प्रमुख की लड़ाई प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। ढाई दशक के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का सीट गंवाने के बाद सपा इस चुनाव में पूरी मुस्तैदी से लगी हुई है तो भाजपा ने दो सीट निर्विरोध जीतकर शुरुआती बढ़त बना ली है।

गाजीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिष्ठापरक चुनाव में जिस तरीके से भाजपा ने सपा की रणनीति को ध्वस्त करते हुए एकतरफा जीत दर्ज की उसका असर ब्लाक प्रमुख चुनाव में रहेगा या नहीं इसे लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं, कयास लगाए जा रहे हैं। यह देखने वाली बात होगी कि पिछली बार के सर्वाधिक 10 ब्लाक प्रमुख के साथ मैदान में कूदने वाली सपा अब भाजपा को कैसे मात देती है, जिसकी सूबे में सरकार है। 


बहरहाल, दावे दोनों तरफ से ज्यादा सीटों के जीतने के हैं। बहरहाल, दावे चाहे जो भी किए जाएं यह सच है कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों को अपने पाले में किए रहने में लोगों को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का भी सिलसिला चल रहा है। भाजपा-सपा के साथ कुछ स्थानों पर निर्दलीय सबकी गणित गड़बड़ा रहे हैं।


हम ब्लाक प्रमुख के चुनाव में मजबूती के साथ लड़ रहे हैं

हम ब्लाक प्रमुख के चुनाव में मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। सही से चुनाव हुआ तो भाजपा को पहले की तरह अधिकतर सीटों पर हराएंगे।-रामधारी यादव, सपा जिलाध्यक्ष।


जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह यहां भी विरोधियों के दावे हवा-हवाई साबित होंगे

भाजपा जिले की सभी सीटों पर जीतने के इरादे से मैदान में उतरी है। जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह यहां भी विरोधियों के दावे हवा-हवाई साबित होंगे।-विशाल सिंह चंचल, एमएलसी।


दो दिग्गजों के घरेलू ब्लाक में ब्लाक प्रमुख का चुनाव

जमानियां विधानसभा के दो दिग्गजों के घरेलू ब्लाक में ब्लाक प्रमुख का चुनाव दोनों दिग्गजों के प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। भाजपा विधायक सुनीता सिंह व समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह का पैतृक ब्लाक भदौरा है। सपा अल्पसंख्यक महिला नरगीस खां पर दांव लगाई है तो भाजपा ने सुनीता सिंह के गांव की ही क्षत्रिय महिला रीना सिंह पर दांव खेला है। 


अब यह चुनाव दो प्रत्याशियों के बीच नहीं बल्कि दो दिग्गजों के बीच का मुकाबला हो गया है। दोनों अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के एड़ी-चोटी का जोर लगा दिए हैं। वैसे अगर आंकड़ों पर अब तक देखा जाए तो भदौरा ब्लाक प्रमुख के कुर्सी पर भाजपा का केसरिया चोला अभी किसी के सर पर सवार नहीं हो पाया है। कौन कितना सफल हो पाता है यह तो दस जुलाई को परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा।

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