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नमकीन खाकर गुजारी रात, अफगानिस्तान से वतन लौटे इंजीनियर अशोक सिंह की दहशत से भरे 83 घंटे की पूरी कहानी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रतापगढ़. तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान का माहौल काफी बदल गया है. सभी देश अब अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर सुरक्षित निकाल रहे है. अफगानिस्तान में रह रहे कई भारतीय भी वापस लाए गए. उन्हीं में से एक प्रतापगढ़ के अशोक सिंह भी है. अशोक ने एक न्यूज़ चैनल से अपने वतन लौटने की पूरी कहानी बताई. साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान के हालातों के बारे में भी कहा. दहशत भरे वो 83 घंटे अशोक सिंह को पूरी जिंदगी याद रहेगी. प्रतापगढ़ के लालगंज के कुवर का पुरवा गांव के रहने वाले अशोक सिंह जैसे वापस पहुंचे परिजन खुशी से अपने बेटे को देख झूम उठे. परिवार को देख अशोक की भी आंखे भर आई.

अशोक ने कहा, ‘महज दो घंटे में सामान को समेट कर काबुल एयरपोर्ट पहुंचे तो तालिबान के लड़ाकों ने एयरपोर्ट पर हमला शुरू कर दिया. यूएस आर्मी और तालिबानियों के बीच जमकर गोलाबारी भी हुई. यूएस सेना ने तालिबान के लड़ाकों से लोहा लेते हुए उनको बाहर खदेड़ा. लेकिन तालिबान सिविल एयरबेस पर कब्जा कर दहशत फैलता रहा. पूरी रात नमकीन और स्नैक्स के भरोसी गुजारी’. ये दहशत भरी दास्तां है काबुल से लौटे आईटी इंजिनियर अशोक सिंह की.

आईटी इंजीनियर हैं अशोक 

अशोक सिंह आर्मी के बेस कैम्प में आईटी इंजीनियर के पद पर तीन सालों से तैनात है. अशोक ने बताया,’ 14 अगस्त को आर्मी का बेस कैम्प खाली करने के लिए फोन आया. शाम को चिनूक हेलीकॉप्टर से सभी साथी के साथ काबुल एयरपोर्ट पहुंच गए. यहां तालिबानी धीरे -धीरे कब्जा करने पहुंच रहे थे. किसी तरह से पूरी रात एयरपोर्ट पर गुजारी. लेकिन 15 अगस्त की दोपहर तालिबानियों ने सिविल एयरपोर्ट पर हमला कर दिया. यूएस एयरबेस पर भी कई घंटे फायर कर तालिबानी हमलावरों ने खूब दहशत फैलाई. 15 अगस्त की शाम को यूएस की फ्लाइट से कतर की राजधानी दोहा के लिए निकले तो राहत की सांस ली’.

अशोक ने कहा,’ दोहा से कुवैत पहुंचे ,जिसके बाद कुवैत से 17अगस्त को दिल्ली के लिए रवाना हुए. 18 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे.’ उन्होंने बताया कि काबुल एयरपोर्ट पर खौफ और भगदड़ का माहौल था. एयरपोर्ट पर भयानक भीड़ थी. हर कोई अफगानिस्तान को तालिबान के खौफ में छोड़ कर भागना चाहता था. अशोक बताते है कि बहुत ही मुश्किल वक्त था, लेकिन यूएस सरकार ने खूब साथ दिया. इसके चलते आज हम अपने देश ,अपने परिजनों के बीच पहुंच सके. घर पहुंचने के बाद वो भावुक भी हो गए. गाव में हर कोई तालिबानियों की करतूत उनके मुंह से सुन रहा है. उनका हाल -चाल लेने उनके घर पहुंच रहे हैं.

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