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छह बार निलंबित यूपीसीडा के महाप्रबंधक अरुण मिश्र जबरिया रिटायर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) से संबंद्ध निलंबित प्रधान महाप्रबंधक अरुण कुमार मिश्र को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। वर्तमान में मिश्र विभिन्न गंभीर धाराओं में केस के चलते जेल में बंद है। कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत खारिज कर दी थी। पूर्व में अरुण कुमार मिश्र को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने के आरोप में बर्खास्त भी किया गया था, पर वह इस फैसले के खिलाफ कोर्ट से स्टे ले आया।

उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के प्रधान महाप्रबंधक रहे अरुण मिश्रा भ्रष्टाचार के आरोप में पहली बार वर्ष 1988 में निलंबित हुए। इसके बाद अभी तक छह बार निलंबित हो चुके हैं। उस पर वर्ष 2007 में गाजियाबाद स्थित ट्रोनिका सिटी में 400 से ज्यादा औद्योगिक प्लाट बेचने में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे।

इतना ही नहीं लखनऊ के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में एक्जिबिशन सेंटर की जगह पर पांच मजिला इमारत बनवाने में गलत तरीके से ठेकेदार और सलाहकार चुनकर करीब 27 करोड़ रुपये का भुगतान किया। महंगे प्लाटों को सस्ते दर पर बेचकर सरकारी राजस्व को 152 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लगाई।

 प्लांट आवंटन को लेकर बड़ा खेल आया सामने

वर्ष 2007 में कैग की एक जांच रिपोर्ट में ट्रोनिका सिटी में प्लाट आवंटन को लेकर अरुण मिश्रा का बड़ा खेल सामने आया। यहां 96,600 वर्ग मीटर ग्रुप हाउसिंग और 76,640 वर्ग मीटर कॉमर्शियल के प्लाट आवंटित हुए थे। ग्रुप हाउसिंग के प्लाटों का मूल्य 12 से 13 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर  के बीच रखा गया था।

लेकिन, अरुण ने इन्हेें 3200 से 4475 की दर पर बेच दिया।15 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के कॉमर्शियल प्लाट 5500 से 11500 तक रुपये में बेच डाले। कानपुर स्थित गंगा बैराज किनारे बसाई जा रही ट्रांसगंगा सिटी में भी बिना काम के छह करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। इन बिलों पर सहायक अभियंता के हस्ताक्षर भी नहीं हुए थे।

जब आयकर विभाग ने अरुण मिश्रा के कारनामों की जांच की तो उसके एक  बड़े  स्कूल का भी पता चला। बाराबंकी के कुर्सी रोड स्थित एशिया स्कूल ऑफ  इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट का संचालन अप्रत्यक्ष रूप से अरुण मिश्रा ही करता पाया गया। इस कॉलेज को कोलकाता की एक बोगस कंपनी से फंड मिला था। स्कूल भवन का नक्शा तक पास नहीं था।

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