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गाजीपुर जिले में गंगा नदी में उफान जारी, गांवों में घर तक घुसा पानी, आजतक गंगा का जलस्तर 63.820 मीटर रिकार्ड - Ghazipur Ganga News Today

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गंगा में उफान का सिलसिला बना हुआ है। वह खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जलस्तर के दो सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने का सिलसिला रविवार को भी बना रहा। तीसरे पहर तीन बजे गंगा का जलस्तर 63.820 मीटर रिकार्ड किया गया। गंगा के साथ उसकी सहायक नदियां भी उफनाने लगी हैं। बेसो का पानी लगातार बढ़ रहा है जिससे कठवामोड़ के पास डायवर्जन पुल डूब चुका है। इसके अलावा गंगा का पानी आसपास के गांवों में घुसने लगा है। कई गांव बाढ़ से घिर गए हैं, जिससे लोग वहां से पलायन कर रहे हैं।

गंगा सहित सहायक नदियों के बढ़ने का भी सिलसिला बना हुआ है। गंगा का पानी बढ़ने से नगर के सभी घाटों की सीढि़यां पानी में डूब चुकी हैं। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए सभी बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। इसके अलावा कंट्रोल रूम ने काम करना शुरू कर दिया है। वहीं मछुआरों ने अपनी नाव को गंगा के किनारे पर बांध दिया है। 

जंगीपुर में बेसो नदी में आई बाढ़ से मिठ्ठापारा, देवकठियां, जगनापुर, बघोल, तारनपुर, कटैला, तुर्कवलिया, करकापुर सहित दर्जनों गांव की फसलें पानी में डूब गई हैं। पशुओं के सामने चारे की समस्या खड़ी हो गई है।

सिवान व बस्ती में फैलना शुरू हुआ पानी

मुहम्मदाबाद में गंगा का पानी अब सिवान में फैलना शुरू हो गया है। जलस्तर में बढ़ाव होने सेमरा से शेरपुर के बीच जगह-जगह काफी तेज कटान हो रही है। करीब तीन किलोमीटर के क्षेत्र में कटान से सैकड़ों बीघा से अधिक कृषि भूमि गंगा में समाहित हो गयी है। जलस्तर में बढ़ाव के चलते बेसो नदी में बाढ़ आ गई है। इससे तहसील मुख्यालय से गाजीपुर जाने वाले एनएच-31 स्थित कठवामोड़ बेसो नदी के डायवर्जन पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा है। 

गंगा के जलस्तर में बढ़ाव से शेरपुर के परिया तिरपन, सत्तर से शेरपुर घाट, माघी तक कटान हो रही है। इससे कई पुरवों के अस्तित्व पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। कृषि भूमि के लगातार कटान से काश्तकार चितित व बेचैन नजर आ रहे हैं। रविवार को गंगा का पानी सेमरा प्राथमिक विद्यालय के सामने नाला के माध्यम से बस्ती में प्रवेश कर गया। पानी घुसने पर लोग अपने सामान को गांव में ऊंचे स्थान पर ले जाकर सुरक्षित कर रहे हैं।

निचले इलाकों में भरा पानी

गाजीपुर जिले के रेवतीपुर क्षेत्र में लगातार गंगा में बढोत्तरी से निचले इलाकों में पानी भर आया है। रामपुर, नगदिलपुर, रेवतीपुर, हसनपुरा, वीरऊपुर, नसीरपुर खेतों में बाढ का पानी पहुंच गया है। हसनपुरा, वीरऊपुर, नगदिलपुर में बस्तीयों तक पानी में डूब गया है। एसडीएम सेवराई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान रामपुर गंगा घाट पर पहुंच नाविकों को बाढ़ प्रभावित गांव में नाव लेकर जाने का निर्देश दिए।

तटवर्तियों की बढ़ी मुसीबत

गाजीपुर जिले के खानपुर क्षेत्र में नदियों के तटवर्ती गांवों में पटना, शादीभादी, औड़िहार, गोपालपुर, कुसही, हथौड़ा के खेतों को डुबोने के बाद बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कई मछुआरों नाविकों का परिवार अपने रोजी रोजगार से वंचित नावों या पड़ोसियों के घर शरण लिए हुए है। शंकर निषाद, कन्हैया मांझी, हंसराज निषाद, खिचडू निषाद ने बताया कि तैयार सब्जियों के फसलों के डूब जाने से भारी नुकसान हुआ है। 

बुजुर्ग नाविकों ने बताया कि पिछले कई सालों से गंगा के बाढ़ को देखते आ रहे है पर इस बार गंगा के पानी का बढ़ाव और बहाव काफी तेज है। गोपालपुर, खरौना, कुसही, हथौड़ा के सैकड़ों बीघा खेत में ज्वार, बाजरा, मकई, धान की फसल पानी में पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं। प्रशासनिक रोक की वजह से हमलोग मछली पकड़ने नदी में नहीं जा रहे हैं। शादीभादी पटना के कई पक्के मकानों को बाढ़ ने चारों तरफ से घेर लिया है। मकान में रहने वाले लोग दूसरी मंजिल पर शरण लिए हैं।

पशुओं में चलाया गया टीकाकरण अभियान

गाजीपुर जनदपद के खानपुर में बाढ़ और बारिश में गाय, भैंस प्रजाति के पशुओं में कई रोग होने की संभावना बनी रहती है। गौरी हास्पिटल के पशु चिकित्सक डा. संजय सिंह ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित गौरहट, गौरी, तेतारपुर, गदनपुर, बहुरा आदि गांवों में तीन हजार पशुओं को गलघोंटू से बचाव के लिए टीका लगाया गया है। पशुधन विभाग के अनुसार पशुओं में होने वाली गलघोटू बीमारी से पशुधन हानि होने का अंदेशा रहता है।

गलाघोटू बीमारी वर्षा ऋतु के प्रारंभ और बाढ़ में रोगग्रस्त पशुओं के मल, मूत्र आदि से चारागाह के प्रदूषित होता है। रोगी पशु के जबड़े के बीच दर्दयुक्त कड़ी सूजन दिखाई पड़ती है। जीभ सूजकर मुंह से बाहर निकलने लगती है। मुंह से लगातार लार बहने, श्वास लेने में बेचैनी इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। रोगग्रस्त पशु के गले एवं जीभ में सूजन अधिक बढ़ने के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है और दम घुटने से पशु की मृत्यु हो जाती है।

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