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धमकाने के मामले में डॉन मुख्तार अंसारी की अर्जी स्पेशल कोर्ट ने खारिज की, एक बार फिर बढ़ी मुश्किलें

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. मुख्तार अंसारी की अर्जी स्पेशल एमपीएमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इन के विरुद्ध लगाए गए आरोप निराधार नहीं है। आरोप तय करने का मामला बनता है। मामला 24 वर्ष पुराने नंदकिशोर रुंगटा अपहरण कांड के वादी को विस्फोटक से उड़ा देने की धमकी देने का है। यह आदेश विशेष अदालत के न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने अभियोजन पक्ष की ओर से राजेश कुमार गुप्ता तथा मुख्तार अंसारी की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने एवं दौरान विवेचना एकत्र किए गए सबूतों के अवलोकन के पश्चात दिया।

अदालत ने कहा कि मुख्तार अंसारी के विरुद्ध जो आरोप अभियोजन पक्ष ने आरोप पत्र में लगाए हैं, वह निराधार प्रतीत नहीं होते हैं इसलिए इनके विरूद्ध आरोप तय करने का मामला पाया जाता है। 

यह था मामला...

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के थाना भेलूपुर पर महावीर प्रसाद रुंगटा ने 1 दिसंबर 1997 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 5 नवंबर 1997 को शाम 5 बजे उन्हें टेलीफोन पर धमकी दी गई कि उनके भाई रूपकिशोर रुंगटा जिनका 22 जनवरी 1997 को अपहरण कर लिया गया है, इस मामले में पुलिस का सहयोग मत करो। सहयोग करोगे तो विस्फोटक से उड़ा दिया जाएगा। 

पुलिस ने विवेचना करने के पश्चात न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया। मजिस्ट्रेट के न्यायालय के द्वारा संज्ञान ले जाने के पश्चात विचारणा की परवाह ही प्रारंभ की गई परंतु इस मामले में आरोप तय नहीं हो सका था। मुख्तार अंसारी की ओर से इस मामले में डिस्चार्ज  करने का प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिस पर न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात यह आदेश दिया।

मुख्तार अंसारी के आधार

अदालत में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में यह आधार लिया गया था कि वह बसपा के विधायक हैं और उनके विरोधी पार्टी की सरकार है इसलिए झूठा फंसा दिया गया है। टेलीफोन से धमकी देने के आरोप पर ही पूरा मुकदमा आधारित है परंतु मुकदमा में कोई भी गवाह नहीं बनाया गया है। किस टेलीफोन नंबर से धमकी दी गई थी, इसका भी कोई उल्लेख नहीं है। मुकदमा 25 दिन विलंब से दर्ज कराया गया है,  इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। सभी आरोप झूठे और निराधार हैं इसलिए उन्हें डिस्चार्ज कर मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी जाए.

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