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नाबालिगों मासूम बच्‍चों से भी बलिया पुलिस को शांति भंग की आशंका, मामला उजागर होते ही भूल सुधार में जुटी पुलिस

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. बलिया जिले में पुलिस को अपराधियों से कम बल्कि मासूम बच्‍चों से अधिक खतरा है। जी हां! ग्रामीणों के खिलाफ शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने के क्रम में बिना जांच पड़ताल पुलिस ने बच्‍चों तक को निरुद्ध कर अपनी मेधा का परिचय दिया है। मगर, मामला उजागर हुआ तो पुलिस की लापरवाही और कारगुजारी को छिपाने का प्रयास करते हुए अधिकारियों ने आनन फानन इस मामले में नाबालिगों का नाम अलग करने का आदेश जारी करते हुए संबंधित विवेचक को निर्देश जारी किया है। इस बाबत ग्रामीणों ने एसडीएम को पत्रक देकर न्याय की गुहार लगाई थी। 

सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र के मासूमपुर के दर्जनों लोगों ने उप जिलाधिकारी से मिलकर खेजुरी पुलिस द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए नाबालिक और बाहर रह रहे युवाओं पर भी 107/116 में पाबन्द कर अनावश्यक परेशान करने का आरोप लगाया है। पीड़‍ितों ने कहा है कि मासूमपुर गांव के पिन्टू कनौजिया (18), अभिषेक (12) पुत्र जयराम, सुनील वर्मा (17) पुत्र भिखारी, आशुतोष (19) वर्ष आदि कम उम्र के हैं। उनका केस से कोई संबंध नहीं होने के बाद भी पुलिस ने पार्टी बना दिया। इनमें से दो की उम्र 18 साल से कम होने की वजह से उनपर कोई आपराधिक मामला भी नहीं बनता है। इसके बाद भी बिना जांच पड़ताल के ही पुलिस ने उनको भी पाबंद करने की नोटिस जारी कर दी है। वहीं इसी मामले में दो वर्ष से बाहर रह रहे मंजय कन्नौजिया, लालबाबू, अजित चौरसिया, मुन्ना चौरसिया, धीरू गोड़ जो गैर प्रान्त में काम करते हैं उनको भी पाबंद किया गया है। 

ग्रामीणों का आरोप था कि पुलिस गांव में गये बिना ही थाने पर बैठ कर नाम लिख दी है ऐसा ये पहली बार नही हुआ है। प्रत्येक त्योहार में पुलिस द्वारा ऐसा किया जाता है। जिससे कम उम्र के बच्चे डरे सहमे हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। इस सम्बंध में सीओ सिकंदरपुर अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि नाबालिक लड़कों को अगर शांति भंग की आशंका में निरुद्ध किया गया है तो गलत है। जांच कर नाबालिगों को बाहर किया जाएगा तथा जांच कर ऐसे सूची बनाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ करवाई भी की जाएगी।

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