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भारत बंद को लेकर यूपी में पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर, कैमरों से निगरानी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. भारत बंद के मद्देनजर यूपी अलर्ट है। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। खुफिया एजेंसियों को भी सक्रिय कर दिया गया है। सभी रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं। आरपीएफ, जीआरपी के अफसरों को गश्त के निर्देश दिए गए हैं। 

इसी प्रकार भारत बंद को लेकर एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ाई गई है। शहर में प्रवेश करने वाले भीड़ को देखते हुए सभी थानेदारों को सतर्क किया गया है। आईट्रिपलसी कंट्रोल रूम से सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जाएगी। संयुक्त किसान मोर्चा के सोमवार को बुलाए गए भारत बंद को देखते हुए उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर है। 

बंद को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सभी जरूरी सुरक्षा इंतजाम कर लिए हैं। किसान संगठन सुबह 6 से शाम चार बजे तक सड़कों को बंद रखेंगे। इस दौरान स्कूली वाहनों व एम्बुलैंस को आने जाने में छूट रहेगी। किसान संगठन ने कहा है कि उनका बंद पूरी तरह शांतिपूर्वक होगा। 

भाकियू और किसान यूनियन के पदाधिकारी बंद को सफल बनाने के लिए गांव-गांव जनसंपर्क करने में जुटे हैं। वहीं जिला प्रशासन भी बंद को लेकर पूरी तरह अलर्ट नजर आ रहा है। भारतीय किसान यूनियन व किसान यूनियन ने सभी श्रमिकों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों से बंद में समर्थन देने की भी अपील की है। भाकियू ने भी अपने-अपने पदाधिकारियों की बंद को सफल बनाने के लिए जिम्मेदारियां सौंप दी है। 

अपडेट्स-

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के 'भारत बंद' का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है।

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पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन

देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।  गतिरोध तोड़ने और किसानों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार और किसान यूनियन ने अब तक 11 दौर की बातचीत की है, आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी।

26 जनवरी को किसान प्रदर्शनकारियों की एक ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई है। किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून 'मंडी' और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देंगे। वहीं सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि इन कदमों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।  

 

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